Lucknow

NR लखनऊ मंडल में रेल कर्मियों एंव चिकित्सकों का काले कारनामें उजागर

  • फर्जी मेमों पर कर्मचारी करते हैं सिक आखिर इस जालसाजी के पीछे कौन

(ओपी सिंह वैस )

लखनऊ/ उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में एक ऐसा भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है जो रेलवे के अधिकारी एवं रेल प्रशासन खुद सकते में आ सकता है और यह गोरख धंधा विगत क्ई वर्षो से अनवरत जारी है तथा रेलवे का करोङों की हानि होने का अंदेशा बताया जाता है ये इतना बङा जालसाजी का मामला है कि अगर सरकार निष्पक्षता से जांच कराये तो दर्जनों रेलवे कर्मियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटकती नजर आयेगी।

सूत्रों के अनुसार सबसे पहले तो बताते हैं कि रेल कर्मचारी का सिक करने का नियम क्या है और रेलवे बोर्ड का सर्कुलर क्या कहता है।
यदि कोई कर्मी आन डियूटी बीमार होता है या घर पर बीमार होता है तो रेल अस्पताल में कर्मचारी आपात कालीन आन डियूटी चिकित्सक के अधीन भर्ती किया जाता है ,और 24-घंटे के अन्दर उसको तैनाती स्थल आफिस से उसके इंचार्ज द्बारा एक सिक मेमो जारी किया जायेगा और उसको वरिष्ठ मंडल चिकित्सा अधिकारी के नाम ईशू होगा.

जिसके बदले उक्त अस्पताल से एक एडवाईज मेमों चिकित्सक जारी करेगा जो संबधित कर्मचारी के आफिस में जमा होगा और फिर वेतन बनने के पहले मंडल आफिस में जाता है। जबकि नियम ये भी है कि अगर कर्मचारी खुद सिक करेगा तो उसको 24-घंटे के अंदर अपने इंचार्ज को सूचना देनी होगी।

आईए बताते चले कि जालसाजी का खेल कहां से शुरू होता है जब कर्मचारियों को ठंडक या अन्य सीजन में सिक करना होता है एंव अधिकारियों के दबाव में इनको आफिस से सिक मेमों नहीं मिलता है तो ये सब क्या करते हैं कि आफिस से फर्जी सिक मेमों सादा रख लेते हैं और उस पर दूसरे आफिस की मुहर एवं संबंधित बाबू का फर्जी हस्ताक्षर बना कर सीधे अस्पताल में चले जाते हैं और चिकित्सक को मुंहमांगी रकम देकर उनके कमरे पर हस्ताक्षर करवा कर अस्पताल में जमा कर देते हैं।

इस जालसाज़ी के खेल में यूनियनों के नेता की भूमिका अहम बतायी जाती है इस तरह से क्ई दर्जन रेल कर्मी इसका लाभ उठा चुके हैं
इस जालसाज़ी में लोको पायलट, गार्ड, चेकिंग स्टाफ के लोग अधिक सक्रिय रहते हैं ये सब एडवांस सिकमेमों रखे रहते हैं जबकि ये सबसे बङा गुनाह है। उदाहरण स्वरुप डी आर एम आफिस का सीपीआई राजेश महाजन एवं चारबाग का डिप्टी एस एस एके रायजादा महीनों से बिना बीमारी के सिक कर के घूम रहे हैं।

एक रिटायर एपीओ ने बताया कि रेल प्रशासन को चाहिए कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार के सीएम ओ के अधीन मेडिकल चेक अप के लिए भेज देना चाहिए और कम से कम पांच चिकित्सक की कमेटी गठित कराये और गलत पाये जाने पर बर्खास्त करे।

रेलवे का एक अधिकृत सूत्र ने बताया कि चारबाग में तो क्ई ऐसे टीटीई हैं जो वर्षो से यही खेल करते हैं फर्जी सिक में रहकर अपना बिजनेस एवं अन्य अवैध कार्य करने में संलग्न बताये जाते हैं और यह मामला केवल चारबाग का ही नहीं बल्कि वाराणसी, अयोध्याकैंट, प्रतापगढ आदि स्टेशनों का भी शामिल बताया जाता है उदाहरण स्वरूप एक टीटीई काल्पनिक नाम अकबरपुर स्टेशन पर टीसी के पद पर तैनात थे ये महाशय बीते क्ई वर्षो से गायब रहा करते थे।

यही स्थित चारबाग स्टेशन पर क्ई गार्ड भी सक्रिय हैं जैसे अधिकारी सख्ती किया तो ये सब फर्जी सिकमेमो ले जाकर अस्पताल में भर्ती हो जायेंगे। क्या कभी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक इसकी जांच कराने की सोची नहीं? मंडल में वर्षो से ये धंधा अनवरत जारी है और रेलवे की विजिलेंस कुंभकर्णी नींद में आराम फरमा रही है।

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