NR लखनऊ मंडल के मैकेनिकल विभाग में आऊटसोर्सिंग कंपनी के ठेके को लेकर बङा खेल, चहेते ठेकेदार को अधिकारी ने 3 करोङ 2 लाख में दिया ठेका
2 करोङ 98 लाख का कोटेशन के बावजूद कमीशन खोरी ने दिखाई ताकत
लखनऊ : उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में मैकेनिकल विभाग O&f बना अधिकारियों एवं ठेकेदारों का गंठजोङ वर्षो में हो जाते हैं करोङपति रेल मंत्री एवं प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार जीरो टारलेन्स का उङा रहे हैं खुलेआम धज्जियां।
प्राप्त विवरण के अनुसार एक भुक्तभोगी लोको निरीक्षक ने हिन्दमोर्चा को दूरभाष पर बताया है कि लखनऊ स्थित डार्ईवर रनिंगरुम का सफाई का टेन्डर कानपुर की एक फर्म जिसका नाम भूपेन्द्र सिंह एंण्ड है
जिसकी पकङ लखनऊ मंडल के मैकेनिकल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से बताया जाता है चूंकि इसके पहले भी लखनऊ के अलावा भी क्ई स्टेशनों का ठेका मैकेनिकल विभाग द्बारा गैर कानूनी ढंग से इस फर्म को दिया गया है, चालक लाईन बाक्स को उठाने के लिए सारे नियम कानून को ताक पर रखकर उक्त अधिकारी द्बारा तीन करोङ दो लाख में ठेका भूपेन्द्र सिंह एंण्ड संस को दिया हुआ है
जबकि इससे कम का कोटेशन 2- करोङ 98-लाख का भी कोटेशन मौजूद था ।सबसे मजे की बात तो ये है कि इसके पहले भी उक्त फर्म बिना किसी शिकायत के कार्य को अच्छी तरह से पिछले लगभग एक दशक से कर रही थी लेकिन इसके द्धारा कमीशन कम होने के कारण इसको सारे नियम को ताक पर रखकर कार्य दिया गया है।
अभी हाल की एक कहानी प्रकाश में आई है कि पांच माह का बिल लगभग 60-लाख का भुगतान नियम को धता बताकर किया गया है जबकि ठेकेदार संविदा कर्मियों को मात्र 8000/- रुपया ही प्रतिमाह वेतन भुगतान करता है और बिना बैंक प्रक्रिया पूरा किये ही मैकेनिकल विभाग का संबंधित अधिकारियों ने लोको निरीक्षक टेंडर, ओएस टेंडर व बिल सत्यापन के लोको निरीक्षकों द्बारा इसमें लगभग 10-लाख रुपयों का चूना लगाये जाने का समाचार सूत्रों द्धारा ज्ञात हुआ है।
सूत्रों के एक अनुसार एक कर्मचारी पर लगभग 12000/-रु प्रतिमाह बचता है और इस समय लगभग 40- कर्मचारी संविदा पर रनिंग रुम में कार्यरत हैं इसके अलावा जो सफाई का सामान देना होता है उसमें भी रनिंगरुम इंचार्ज से समझौता होता है।
ज्ञात हो कि इसके कुछ माह पहले भी मंडल में स्टेशनों की मरम्मत के लिए आये 12 करोङ रूपये का घोटाला हो चुका है और
मामले को रफा दफा कर दिया गया।
अब देखना ये है कि क्या इस काकस भ्रष्ट अधिकारियों एवं ठेकेदारों के गठजोङ की जांच रेलवे विभाग निष्पक्ष करवा पायेगा या फिर कुख्यात भ्रष्ट मुख्य कार्मिक निरीक्षक राजेश महाजन की तरह मामला को विजिलेंस अधिकारी दबा देंगे।