NR लखनऊ: मंडल आफिस के कार्मिक विभाग में आधा दर्जन बाबू अवैध कमाई से बने करोङपति
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रिटायर होने से पहले रेलकर्मी की सेवा पुस्तिका कर दी जाती है गायब
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शटलमेंट से लेकर लेखा विभाग की भूमिका अहम ,शिकायत पर कार्रवाई सिफ़र
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अयोध्या कैंट स्टेशन पर तैनात सीओएस मैकेनिकल मनीराम वर्मा बना नजीर
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कार्मिक विभाग का एक एपीओ एवं शटलमेंट का सीओएस संदेह के घेरे में
लखनऊ | उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का कार्मिक विभाग एक बार फिर सुर्खियों में दर्जनों रेल कर्मियों का अवैध ढंग से करोङों का हुआ पेमेंट एवं बनी पेंशन, लेकिन इन भ्रष्टाचारियों के काले कारनामों पर कोई अंकुश नहीं लग सका |यूनियन के नेता और अधिकारियों के गठजोड़ में भ्रष्टाचार को अंजाम देने का खेल चल रहा है।
आईए आपको भ्रष्टाचार देखना है तो हम लखनऊ मंडल के कार्मिक विभाग की तरफ ले चलते हैं जहां सरकार की जीरो टालरेंस नाम का कोई चीज ही नहीं है यहां केवल भ्रष्टाचारी नेता एवं बाबुओं का ही राज चलता है। सूत्रों के हवाले से खबर ये फर्जीवाङा खेल कहां से होता है बताते हैं सबसे पहले रेल कर्मचारियों का रिटायर के समय सर्विस रिकार्ड गायब कर दिया जाता है फिर लाखों का सौदा होता है
इसके बाद नया सर्विस रिकार्ड बनाकर पूरा पेमेंट शटलमेंट एवं लेखा विभाग द्बारा कर दिया जाता है इसलिए घबङाने की जरुरत नहीं है अगर आप रेल कर्मचारी हैं तो डियूटी करने की जरूरत नहीं है बस अपने बाबू को पटाये रखिए एवं मोटी रकम फेंकिए पूरा लाभ उठाईए। जैसा कि इसका ताजा उदाहरण मनीराम सीओएस के साथ हुआ है।
रेलवे के सूत्रों के अनुसार मनीराम वर्मा अंबेडकर नगर निवासी अयोध्या कैंट स्टेशन पर विगत क्ई वर्षो से तैनात रहा और कभी भी डियूटी नहीं किया शराब पीने के साथ साथ लूट खसोट में व्यस्त रहा जिसके खिलाफ दर्जनों S-11 एंव .S-5 चार्जशीट रेलवे अधिकारी देकर पनिशमेंट दे चुके हैं और जांच भी विचाराधीन थी लेकिन शटलमेंट का एक चर्चित सीओएस एवं एक एपीओ की मिलीभगत से संबधित बाबू ने सर्विस रिकार्ड ही गायब कर दिया.
यानी कि न रहे बांस न बजे बांसुरी की कहावत चरितार्थ हो गयी फिर लाखों रुपयों का सौदा मनीराम ने किया । सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि मोटी रकम देकर मनीराम खुद सर्विस रिकार्ड हासिल कर लिया जब हो हल्ला मचा तो मनीराम का रिटायर मेंट अभी कुछ माह पहले ही हुआ है के समय नया सर्विस रिकार्ड बनाया गया और जितना गैर हाजिरी या छुटटी गायब थी सबको हटा कर पूरा वेतन बनाकर भुगतान कराया गया।
जिससे रेलवे का लगभग 20 लाख रुपयों का चूना ये भ्रष्ट अधिकारी एवं बाबू मिलकर लगा चुके हैं केवल एक केस में। इस तरह से क्ई दर्जन रेल कर्मचारी जो कभी भी डियूटी नहीं किये पूरा बेनीफिट रेलवे से ले कर रिटायर हो गये। एक जीता जागता उदाहरण है परिचालन विभाग में एक स्टेशन अधीक्षक जिनका नाम घनश्याम पांडेय है, एक यूनियन के पदाधिकारी भी थे और बङे चर्चित बताये जाते हैं .
इनका कभी भी डियूटी के प्रति झुकाव नहीं रहा लेकिन एक नेताजी के बदौलत इनको एवार्ड तक मिल चुका है और सबसे मजे की बात तो ये है कि घनश्याम पांडेय 2020 में रिटायर हुए हैं इनको रिटायरमेंट के दो दिन पहले पूर्व सीडीपीओ मुकेश बहादुर सिंह ने इनको 5400/ ग्रेड -पे देकर रिटायर कर दिया। इसी तरह से एक नेता जी हैं वे दिन भर सिगरेट सुलगाते रहते हैं ये वही चर्चित भ्रष्ट सीपीआई है
जिसने गोपनीय विभाग में तैनाती के दौरान एक नेताजी की बिटिया को क्ई वर्षो तक फर्जी हाजिरी दिखा कर वेतन भुगतान करवाया। हालांकि नेताजी भी इसका एहसान चुकाया और उक्त सीपीआई को विजिलेंस जांच से बचाया और फिर कमाई वाली सीट दिलाने के लिए लगे हुए हैं ये अलग बात है कि सबसे तेज तर्रार एंव ईमानदार छवि के आईआरपीएस अधिकारी सीडीपीओ अमित पांडेय ने इनको तवज्जो तक नहीं दिया।