Lucknow News: केजीएमयू के सीएलएम सेंटर में मांओं के दूध-दान से नवजातों को मिल रहा पोषण, 2019 में हुई थी स्थापना
लखनऊ, नवजात के लिए स्तनपान जितना जरूरी है उतना ही मां के स्वास्थ्य के लिए भी स्तनपान करवाना जरूरी है। कई ऐसे भी नवजात होते हैं जिन्हें अपनी मां का दूध नहीं मिल पाता। इसके लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर में पांचवें तल पर पांच मार्च 2019 को कंप्रिहेंसिव लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (सीएलएमसी) की स्थापना की गई।
उत्तर प्रदेश में मां के दूध को संजो कर रखने वाला यह इकलौता सेंटर है। इसे धात्री अमृत कलश का नाम दिया गया है। यहां पर प्रसूता अपने स्तन का एक्स्ट्रा दूध दान कर सकती हैं। एनआईसीयू में भर्ती गंभीर और कम वजन वाले बच्चों को यह दूध दिया जा सकता है।
इस सेंटर की नोडल अधिकारी डा. माला कुमार के अनुसार, 2019 से अब तक 17,500 महिलाओं को स्तनपान पर काउंसलिंग दी जा चुकी है। 900 महिलाओं के दूध-दान के बाद मिल्क बैंक द्वारा अब तक 800 बच्चों को डोनर मिल्क दिया जा चुका है। दान किए गए दूध को पाश्चराइज करके माइनस 20 डिग्री पर तीन से छह माह तक सहेजा जाता है।
दूध को जमा करने से पहले मां की वीडीआरएल, एचआइवी और हेपेटाइटिस बी की जांच की जाती है। यह भी जांचा जाता है कि महिला एंटीकैंसर दवाएं आदि न खा रही हो। धूमपान या शराब का सेवन करने वाली महिलाओं द्वारा दूधदान नहीं लिया जाता है। इसके अलावा दूध को भी नवजात को देने से पहले माइक्रोबियल कल्चर भी किया जाता है। बैक्टीरियल काउंट शून्य पाए जाने पर ही नवजात को डोनर मिल्क दिया जाता है।
सहमति से निश्शुल्क सुविधा : डा. माला के अनुसार, सभी नवजात शिशु को उनकी मां का दूध जन्म के एक घंटे के भीतर मुहैया करवाना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। ऐसा करने से नवजात की मृत्यु होने की आशंका 22 प्रतिशत तक घट जाती है। इसके लिए लेक्टेशन काउंसलर केजीएमयू में भर्ती हर नवजात को पैदा होने के एक घंटे के अंदर मां का दूध पिलाने का प्रयास करते हैं, कंगारू मदर केयर (केएमसी) का प्रशिक्षण और स्तनपान के सही तरीके पर मां को काउंसिल करते हैं।
डा. माला बताती हैं कि नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में भर्ती नवजात बच्चों को उनकी मां का दूध उनके कहीं और भर्ती होने, या मां के न रहने या कुछ और कारणों से नहीं मिल पाता है तो उन्हें इस सेंटर से निशुल्क डोनर मिल्क दिया जा सकता है।
अभी तक यह सुविधा केजीएमयू में जन्में या रेफर होकर आये भर्ती बच्चों को ही मुहैया हो पा रही है। इस बात को खास ध्यान में रखा जाता है कि दूध दान करने वाली धात्री महिला और डोनर मिल्क लेने वाले बच्चे के परिवार की सहमति हो।