Lucknow

एडेड माध्यमिक विद्यालयों के तदर्थ अध्यापकों के विनियमितीकरण प्रकरण में शिक्षा निदेशकों की मनमानी को लेकर उठ रहे सवाल

  • एडेड माध्यमिक विद्यालयों के तदर्थ अध्यापकों के विनियमितीकरण प्रकरण में शिक्षा निदेशकों की मनमानी को लेकर उठ रहे सवाल
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश बावजूद निदेशक महेंद्र देव, अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र तिवारी व उदय राज यादव शासन को कर रहे गुमराह
  • इसी तरह की कार्यशैली में संयुक्त शिक्षा निदेशक अरविंद पांडेय हो चुके हैं कार्यवाही का शिकार

लखनऊ । सूबे की बागडोर जब से योगी आदित्यनाथ जी ने संभाली है उनका यही मानना है की प्रदेश में कानून का राज स्थापित हो बहुत हद तक इस दिशा में सफलता भी मिली है लेकिन कुछ अधिकारी उनकी छवि को धूमिल करने के लिए नाना प्रकार का हथकंडा अपना रहे हैं | प्रदेश के सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज और माध्यमिक विद्यालयों में 1992 से प्रबंध तंत्र के हाथ से नियुक्ति का अधिकार शिक्षकों के मामले में सरकार ने ले लिया है परंतु शिक्षकों की कमी के कारण प्रबंधकों द्वारा तदर्थ अध्यापकों की नियुक्ति की गई और माननीय न्यायालय के आदेश पर विभाग द्वारा उन्हें वेतन प्राप्त होते रहा |

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने विगत दिनों तदर्थ वाद को समाप्त करने के लिए सरकार को निर्देशित किया था |इसके बावजूद 2000 के पहले प्रबंध समिति द्वारा नियुक्त तदर्थ अध्यापकों का विनियमितीकरण करने के मामले में अयोध्या मंडल के जेडी अरविंद पांडेय को विगत दिनों शासनन द्वारा निलंबित किया जा चुका है लेकिन अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र तिवारी अपने लखनऊ के तैनाती के दौरान प्रबंध समिति द्वारा 2000 तक नियुक्त शिक्षकों का अवैध रूप से विनियमितीकरण कर डाले हैं ||

इतना ही नहीं उदय राज यादव साथ ही साथ महेंद्र देव जो वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा के निदेशक हैं इन्होंने जेडी रहते अनियमित रूप से विनियमितीकरण का कार्य किया है |अब सवाल यह उठता है जब 1992 के बाद जितने भी शिक्षक प्रबंध तंत्र की नियुक्ति के बाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में वेतन प्राप्त कर रहे हैं सबकी नियुक्ति को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ माना है इसके बावजूद शिक्षा निदेशक माध्यमिक महेंद्र देव शासन को गुमराह कर 2000 के बाद प्रबंध तंत्र द्वारा नियुक्त शिक्षकों को वेतन देने से मना कर रहे हैं जबकि 1992 से 2000 तक के तदर्थ को विनियमित करके उन्हें नौकरी से.

बचा रहे हैं जो दोहरा मापदंड है | नियमानुसार येसे तदर्थ अध्यापक विनियमितीकरण के हकदार हैं | जिनकी नियुक्ति मंडलीय चयन समिति ने की है लेकिन मंडलों के संयुक्त शिक्षा निदेशक गण अपने आप को माध्यमिक शिक्षा अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट से पावर फुल मानते हुए नियम कानून को ठेंगा दिखाकर मनमानी तरीके से विनियमित करके दोहरा मापदंड अपना रहे हैं जिससे यह साफ जाहिर होता है कि नियम कानून और सुप्रीम कोर्ट इनके आगे बौना है |

ऐसे में आम जनता के बीच यह सवाल उठना लाज़मी हो गया है कि अपराधियों, गुंडों, मावलियों पर मुख्यमंत्री जी ने लगाम लगा दिए है लेकिन बेलगाम शिक्षा निदेशक महेंद्र देव, अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र तिवारी व उदयराज यादव आदि द्वारा मनमाने तरीके से किए गए विनियमितीकरण पर कार्रवाई करके इसकी सजा उपरोक्त अधिकारियों को कब देगे ? इसका इंतजार है प्रदेश के आमजन को है ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षा विभाग का अधिकारी अपने आप को नियम कानून से ऊपर मानकर कोई कार्य न करें |

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