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भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र नेपाल के भरोसे , घनी आबादी में फायर फाइटिंग का इंतजाम रामभरोसे

हिन्दमोर्चा न्यूज़ महराजगंज/ सोनौली.भारत के सीमावर्तीय क्षेत्रो में भैरहवा नेपाल से बुलाये जाते है दमकल, सोनौली नौतनवां कई वार्डो में रिक्सा जाने में होती है परेशानी.

दिल्ली अग्निकांड में 27 लोगों की जिंदा जलने की घटना ने पूरे देश के साथ महराजगंज को भी झकझोर कर रख दिया है। इसी के साथ आग से बचाव के इंतजाम की भी चर्चा है। देश के अंतिम छोर पर 2952 वर्ग किमी क्षेत्र में बसे यूपी के महराजगंज जिले की आबादी 32 लाख को पार कर गई है, लेकिन आबादी के हिसाब से यहां आग से बचाव का सरकारी इंतजाम नाकाफी है।स्थिति यह है कि हर घर में आग धधक रही है, पर सेफ्टी फीचर की व्यवस्था नहीं है।

शहर में आवास बनाने के लिए विनियमित क्षेत्र तो नक्शा स्वीकृत करता है, लेकिन उसके मुताबिक मौके पर निर्माण नहीं हो रहा है। फायर फाइटिंग के सरकारी इंतजाम पर नजर डालें तो जिला मुख्यालय पर ही केवल तीन फायर टेंडर हैं। निचलौल सिसवा में फायर टेंडर एक भी नहीं है। जिले में कुल 11 नगर निकाय हैं, जहां घनी बस्तियों में पहुंचने के लिए संकरी गलियां ही हैं।

हर घर में गैस सिलेंडर व बिजली की वायरिंग हैं, जिसमें फाल्ट से आए दिन आग लगती रहती है। पर जिले में फायर हाईडेंट एक भी नहीं है। महराजगंज नगर क्षेत्र में फायर हाईडेंट बनाए गए थे, लेकिन इनकी वर्तमान स्थिति यह है कि सभी जमीन के अंदर दब गए हैं।

कुछ फायर हाईडेंट के उपर कब्जा कर आशियाना बना लिया गया है। हर साल आग से जिले को बड़ी क्षति का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ईश्वर ना करें कि आग से कोई घटना हो, लेकिन अगर शहर के घनी बस्तियों में आगजनी की घटना सामने आई से तो बचाव की व्यवस्था राम भरोसे ही है।

कुछ साल पहले शासन से यह फरमान जारी हुआ था कि जनप्रतिनिधि अपने निधि से फायर टेंडर खरीद क्षेत्र में आग से बचाव के लिए अग्निशमन विभाग को दे सकते हैं, लेकिन एक भी जन प्रतिनिधि फायर टेंडर खरीदने के लिए आगे नहीं बढ़े।

जिले में आगजनी की घटनाओं पर नजर डालें तो पिछले तीन साल में नौ लोगों लोगों की आग में जलने से मौत हो चुकी है। तीन करोड़ की सम्पत्ति राख हुई थी। सबसे भीषण घटना फरेंदा क्षेत्र के धानी ढाला पर 13 जून 2021 को हुई थी।

यहां गारमेंट की दुकान में गैस सिलेंडर फटने से एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हुई थी। अग्निशमन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2018 से 2020 तक जिले में आगजनी की 903 सूचना मिली थी। 19 करोड़ 41 लाख रुपये की सम्पत्तियों पर आग का जोखिम था। इसमें से अग्निशमन विभाग ने 16 करोड़ 39 लाख की सम्पत्तियों को फायर फाइटिंग में बचा लिया था।

तीन करोड़ तेइस लाख की सम्पत्तियों की आग से क्षति हुई थी। इस दौरान दो लोगों की मौत हुई है। 27 बेजुबान पशु भी आग की चपेट में आने से झुलस कर दम तोड़ दिए थे। यह आंकड़ा सरकारी है। वास्तविक स्थिति यह है कि हर साल आग से करोड़ों रुपये की सम्पत्ति खाक हो जा रही है।

पिछले साल कोठीभार क्षेत्र के ग्राम सभा बसूली में गैस रिसाव से लगी भीषण आग में राजकिशोर मद्धेशिया की मौत हुई थी। फरवरी 2019 में सोहगीबरवा में आग लगी थी। गृह स्वामी रूदल बकरियों को बचाने में झुलस गए थे।

नौतनवां थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत चकदह टोला बेलहिया में 12 नवम्बर 2020 की रात करीब 9 बजे झोपड़ी में आग लगने से 71 वर्षीय बुजुर्ग जोखन की मौत हो गई थी। इस मामले में तीन लोगों पर जमीन की लालच में झोपड़ी फूंकने का आरोप लगा था। आरोपित पति-पत्नी हत्या के मामले में जेल भेजे गए थे।

साल 2019 में श्यामदेउरवां थाना क्षेत्र में मंगलपुर सीवान में गेहूं की खड़ी फसल में भीषण आग लजगी थी। आधा दर्जन से अधिक गांव के दो सौ एकड़ फसल राख हुई थी। इस घटना में चंद्रावती पत्नी राजेन्द्र की जलने से मौत हो गई थी। वह खेत में कटे गेहूं को बोरे में भर रही थी। उसी दौरान आग की चपेट में आ गई थी।

पुरन्दरपुर थाना के ग्राम टेढ़ी टोला आनंदनगर में बीते 24 अप्रैल को गेहूं की डंठल की आग पहुंच गई थी। इस घटना में 22 घर जल कर राख हो गए थे। 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला शिवराजी देवी पत्नी गगन चौधरी झोपड़ी के अंदर ही जिंदा जल कर मर गई थी।

एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत से धानी ढाला में पसरा था मातम.

13 जून 2021 को फरेन्दा धानी ढाले के पास अहमद गारमेंट्स की दुकान में भीषण आग लग गई थी। इसमें अहमद के परिवार के लोग भी रहते थे। सुबह नाश्ता बनाने के लिये जैसे ही गैस जलाया गया तभी तेज घमाके के साथ गैस सैलेन्डर फटने से आग लग गई थी। जिसमें छह लोग घायल हो गये थे। सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र फरेन्दा भर्ती कराया गया था जहां गंभी हालत देख मेडिकल कालेज गोरखपुर रेफर कर दिया था, लेकिन इलाज के दौरान पांच लोगो की मौत हो गयी थी।

अग्निशमन विभाग में हैं केवल तीन चालक, कैसे बुझेगी आग.

जिले में आग से बचाव के लिए अग्निशमन विभाग है। महराजगंज के अलावा निचलौल व सिसवा में फायर स्टेशन है। विभाग के संसाधनों पर गौर करें तो चार हजार लीटर पानी की क्षमता वाला एक फायर टेंडर व दो-दो हजार लीटर पानी की क्षमता वाले दो फायर टेंडर हैं।

निचलौल व सिसवा फायर स्टेशन में एक भी फायर टेंडर(बड़ी दमकल गाड़ी) नहीं है। घनी बस्तियों में आग बुझाने कें लिए चार सौ लीटर क्षमता के तीन वाटर मिस्ट हैं। बिना पानी के तीन बोलेरो बिथ पम्प है। इस गाड़ी से आग वहीं बुझाने में मदद मिलती है जहां पानी के स्रोत हैं।

फायर एक्सटिंग्विशर पर्याप्त मात्रा है। इससे घनी आबादी जहां आग बुझाने की गाड़ियां नहीं जा पाती हैं वहां इस यंत्र से अग्निशमन विभाग आग बुझाने का प्रयास करता है। अग्निशमन विभाग के पास केवल तीन ड्राइवर हैं। छह पद रिक्त हैं। 63 फायरमैन के स्वीकृत पद के सापेक्ष केवल 45 फायरमैन की तैनाती है।

हेड कांस्टेबिल के नौ पद में दो रिक्त हैं। सिसवा फायर स्टेशन में कर्मचरियों के रहने का इंतजाम नहीं है। आवास जर्जर हैं। उसे गिराने का आदेश हो चुका है। निचलौल क्षेत्र में पकड़ी नौनिया के पास 2019 से ही फायर स्टेशन का निर्माण हो रहा है। अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। नौतनवा व फरेंदा तहसील क्षेत्र में आगज़नी की घटनाओं में बचाव कार्य के लिए जिला मुख्यालय से कर्मचारियों को भेजना पड़ता है।

आग से बचाव के लिए अग्निशमन विभाग सूचना मिलते ही त्वरित गति से प्रयास करता है। पिछले तीन साल में 16 करोड़ की सम्पत्ति व सात लोगों की जान आग से बचाई जा चुकी है। कुछ समस्याएं भी हैं, जिसे उच्चाधिकारियों के स्तर से समाधान का प्रयास किया जा रहा है। समय-समय पर कामर्शियल बिल्डिंग में फायर सेफ्टी फीचर की जांच भी की जाती है। आग लगने की शुरुआती घटना से बचाव के लिए अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया जाता है।

वीरसेन सिंह-जिला अग्निशमन अधिकारी.

हिन्दमोर्चा तहसील प्रभारी नौतनवां रतन गुप्ता की रिपोर्ट.

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