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Video News : “जय श्रीराम” नारा कांड पर आखिरकार क्यों पर्दा डाल रहे पुलिस कप्तान

एम एल शुक्ला

👉सम्मनपुर पुलिस के घटिया कृत्य को क्यों छुपाना चाह रहे हैं पुलिस कप्तान
👉आखिरकार अभी तक पुलिस कप्तान ने क्यों नहीं की कोई कार्रवाई
👉सम्मनपुर थानाध्यक्ष और पुलिस कप्तान को पीड़ित दे चुका है लिखित तहरीर
👉आखिरकार किस बात का डर सता रहा पुलिस कप्तान आलोक प्रियदर्शी को

अंबेडकर नगर।18 मार्च होली का वह दिन जब जनपद के सम्मनपुर थाना पुलिस के संवेदनहीनता और सौहार्द बिगड़ने का किया था असफल प्रयास क्यों कि घटना का कारण धर्म-धर्मप्रेमी से जुड़ा है। जिसमें”जय श्रीराम” नारा कांड का मामला प्रकाश में आया। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे सम्मनपुर पुलिस के घटिया कृत्य की हकीकत को देखकर हर कोई अचंभित और आश्चर्यचकित हो गया।

वीडियो में सब कुछ स्पष्ट रूप से बयां हो रहा पीड़ित थाने तक पहुंचा ग्रामीणजन भी पहुंचे और पीड़ित बार-बार पूछता रहा साहब क्या “जय श्रीराम” का नारा लगाना गलत है? हम पर लाठी क्यों भाजी? आखिरकार मेरा कसूर क्या था? यही कि मैंने “जय श्रीराम” का नारा लगाया। क्या जय श्री राम का नारा लगाना आपको रास नहीं आया या फिर “जय श्रीराम” का नारा लगाना कोई अभिशाप है।

” जय श्रीराम” का नारा लगाएंगे तो सम्मनपुर पुलिस की लाठी खाएंगे कहीं इस तर्ज पर तो नहीं चल रही। पीड़ित ने यह भी कहा कि यह सिपाही परविंदर यादव अखिलेशवादी (सपा समर्थक) और इसका सहयोग करने वाले सिपाही भी अपनी संदिग्ध भूमिका निभा गए और घटना को अंजाम दे गए।

मामला जब आग की तरह क्षेत्र में फैली तो ग्रामीणजन थाने जा पहुंचे और पूछते रहे साहब लाठी क्यों चलाई?
“जय श्रीराम”का नारा लगाना क्या गलत है।
चारों तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है इतिहास गवाह है कि अंबेडकर नगर जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था इतना मनबढ, घटिया और तानाशाही कभी भी किसी शासनकाल में नहीं रही है।

बेशक विपक्ष की सरकार क्यों ही ना रही हो लेकिन प्रशासन द्वारा जनता के साथ इतनी दुर्दशा कभी नहीं हुई जितना पुलिस कप्तान आलोक प्रियदर्शी के समय काल में हो रहा है आज जनता त्राहि-त्राहि कर रही है और खामियाजा भुगत रहा है मौजूदा वर्तमान की भाजपा सरकार।

उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार इस बात को गंभीरता से स्वीकार करें कि जब तक ऐसे भ्रष्टाचारी, अत्याचारी,सत्ता विरोधी अधिकारी पुलिस प्रशासन में रहेंगे तब तक उम्मीद भी ना करिएगा कि आप की छवि जनता के बीच अच्छी और सुंदर होगी क्योंकि जब तक ऐसे लोग रहेंगे तब तक प्रशासनिक गुंडागर्दी जारी रहेगा और जनता में हाय तौबा हाय- तौबा मचा रहेगा।

जब इस प्रकरण को लेकर कई ग्रामीणों से वार्तालाप किया गया तो सभी ने यही कहा कि पुलिस अब रक्षक नहीं है भक्षक है,इनसे कोई उम्मीद और आशा अब नहीं करनी चाहिए ,ये वर्दी वाले गुंडे हैं, अब यह वर्दी की आड़ में गुंडई करते हैं, इन्हें “जय श्रीराम” का नारा नहीं पसंद है, ये कुछ ही लाठी चलाएंगे,गलती भी करेंगे भद्दी-भद्दी गालियां भी देंगे और आपकी आवाज बंद करने के लिए फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी देंगे। वाह रे सम्मनपुर की घटिया पुलिस।

लेकिन कप्तान साहब! सुन लीजिए हम जनता हैं मतलब जनता जनार्दन होती है आप की गुंडई नहीं बर्दाश्त करेंगे और इन गुंडों को पालने का काम आप कर रहे हैं इन्हें संरक्षण देने का काम आप कर रहे हैं ऐसे मनबढ, छुट्टा, किस्म के गुंडा के पुलिस कर्मियों के घटिया कारनामों को छुपाने का काम आप कर रहे हैं।

कप्तान साहब!यह जनता के हित में बहुत ही गलत हो रहा है अगर आपसे इस जनपद की सुरक्षा का कमान नहीं संभाली जा रही है तो पद से इस्तीफा दे दीजिए और अपने घर बैठ जाइए क्योंकि सरकार को ऐसे घटिया नाकारा और मक्कार अधिकारियों की जरूरत नहीं है बल्कि कर्मठशील लोगों की जरूरत है। जो जनता के हित में कार्य कर सके और जनता की रक्षा कर सकें।

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