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हारे विधायकों से वापस लिए जाएंगे आवास, स्‍वामी प्रसाद का सरकारी बंगला हो रहा खाली

लखनऊl यूपी में योगी सरकार पार्ट-2 के गठन की तैयारी शुरू हो गई है। इस बीच लखनऊ में हारे हुए विधायकों से आवास खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शुरुआत स्‍वामी प्रसाद मौर्य के बंगले से हो गई है। शुक्रवार की रात से स्‍वामी प्रसाद मौर्य का बंगला खाली हो रहा है। नए जीते विधायकों को आवास आवंटन को लेकर प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

गौरतलब है कि स्‍वामी प्रसाद बतौर मंत्री लखनऊ में कालीदास मार्ग स्थित मंत्रियों के सरकारी आवास में रहते थे। इसी मार्ग पर मुख्‍यमंत्री आवास (5,कालीदास मार्ग) भी है। स्‍वामी, लंबे समय तक मंत्री रहे हैं। जाहिर है सरकारी बंगले में उन्‍होंने कई साल गुजारे हैं लेकिन इस बार चुनावों में पराजय का मुंह देखने के बाद उन्‍हें सरकारी बंगला खाली करना पड़ रहा है।

नई सरकार के गठन के साथ ही विधायकों और नए मंत्रियों के आवास को लेकर सम्‍पत्ति राजस्‍व विभाग सक्रिय हो जाता है। इस बार भी विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव में हारे और जीते विधायकों की लिस्‍ट के साथ बंगलों के आवंटन से पहले उन्‍हें खाली कराकर छोटी-मोटी मरम्‍मत कराई जाएगी। बंगलों को आवंटित करने से पहले पूरी तरह तैयार किया जाएगा। इसी के तहत हारे हुए विधायकों से आवास खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

स्‍वामी ने बीजेपी पर फिर बोला हमला

स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने नतीजों में हार के बाद एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोला है। मीडिया से बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी के साथ है और समय-समय पर सरकार को घेरते रहेंगे। यही नहीं स्‍वामी ने सांप-नेवला वाला अपना बयान दोहराया और कहा कि नेवला हमेशा बड़ा होता है और मैं आज भी नेवला हूं और बीजेपी रूपी नाग और सांप को एक न एक दिन खत्म कर दूंगा। इस बार नागर और सांप ने मिलकर नेवले को जीतने नहीं दिया, लेकिन इस बार जो कमी रह गई, उस पर विचार होगा।

सपा को जितवाने का दावा किया, अपनी सीट भी नहीं बचा पाए स्‍वामी

स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने ऐन चुनाव से पहले भाजपा का साथ छोड़ने और सपा का दामन थामने के बाद अखिलेश की मुख्‍यमंत्री पद पर ताजपोशी कराने का दावा किया था। उन्‍होंने कहा था कि वह आज जिस किसी पार्टी में गए, उसकी सरकार बन गई। स्‍वामी के सहारे अखिलेश यादव को सपा को गैर यादव पिछड़ी जातियों के बंपर वोट मिलने की उम्‍मीद थी। सपा के रणनीतिकारों को लगा कि स्‍वामी के आने से वोटों का नया समीकरण बनेगा जो सूबे में उसे सत्‍ता वापसी कराने में सहायक होगा लेकिन स्‍वामी खुद अपनी ही सीट नहीं बचा सके।

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