मनुष्य का सबसे कीमती धन है समय ,जिसे सत्संग में प्रयोग करें संत दीन दयाल दास
इटौंजा लखनऊ
बाबा पुरवा गांव में शनिवार को कबीर पारख ज्ञान सत्संग समारोह में बोलते हुए संत दीनदयाल दास ने कहा मनुष्य के अंदर मोह पाप का कारण है। जिस दिन मनुष्य मोह से विरक्त हो जाएगा। उसी दिन उसके अंदर ज्ञान की जयोति प्रखर होगी और वह संसार के माया जाल की बेड़ियों से मुक्त हो जाएगा ।यह बातें उन्होंने आयोजित दो दिवसीय विशाल सत्संग समारोह में प्रवचन के दौरान कही।
संत दीन दयाल दास ने आगे बोलते हुए कहा मनुष्य के पास सबसे बहुमूल्य समय है। लेकिन वह समय वह सत्संग में नहीं लगाता है। बल्कि संसार में तमाम फैली कुरीतियों जैसे नशाखोरी, जुंआ, तथा गलत धंधों में जकड़ा रहता है ।
जिससे उसका जीवन पतन की ओर ग्रसित हो जाता है। इसलिए मनुष्य को अपना जीवन सार्थक करने के लिए सत्संग में अवश्य समय देना चाहिए। क्योंकि संतों की वाणी से वहां अच्छी चीजें निकल कर आती हैं। जो उसके जीवन के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। जिस दिन उसके अंदर ज्ञान का भंडार भर जाएगा उसके अंदर का अहंकार मिट जाएगा ।
अहंकार से व्यक्ति अंधा हो जाता है और वह समाज में किसी को नहीं समझता है। पेड़ों में फल लगता है तो डाली झुकती हैं। बिना फल वाले वृक्ष सीधे ऊपर बढ़ते रहते हैं। ठीक उसी प्रकार ज्ञान रूपी मनुष्य समाज में झुक कर बात करता है और सभी का सम्मान करता है।
जिसके अंदर ज्ञान नहीं है वह उदंड रहता है । इस सत्संग समारोह में संत शांती साहेब, सत्यानंद त्यागी, गुरु रमन साहेब, विवेक शरण साहिब, निर्मल साहेब ,सियाराम साहेब, गोपाल मिश्रा, निर्माण साहेब ने प्रवचन किए।
फोटो सत्संग समारोह में प्रवचन देते संत दीन दयाल दास