किताबों से मोह भंग होने के चलते जंक्शन के बुक स्टॉल का अस्तित्व हुआ ख़त्म
बाय लाइन:- नवजोत सक्सेना ।।बरेली।।
करीब आठ माह पूर्व प्रख्यात सिंडिकेट बुक हॉउस भी हो चुका है बन्द
‘किताब महबूब के चेहरे की तशबीह में भी काम आती है और आम इंसानी ज़िंदगी में रौशनी की एक अलामत के तौर पर भी उस को बरता गया है’ कभी किताबों में इंसान इतना मशगूल रहा करता था कि किताबों पर तमाम शेर-शायरी व गजलें हमे विरासत में मिली लेकिन अगर कुछ नहीं मिला तो वो है किताबों को पढ़ने शौक, समय व वर्तमान पीढ़ियों की दिलचस्पी। किताबें आम आदमी जे जीवन में किस तरह शुमार थी आइये कुछ शेर पर नज़र डाल कर अंदाज़ा लगया जा सकता है।
निदा फ़ाज़ली जी का एक शेर ” धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो!
एवं जाँ निसार अख्तर साहब का शेर ‘ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं’ इनसे साफ जाहिर है कि आखिर उस सदी में किताबें क्या महत्वत्ता रखती थी ।
लेकिन अब 21वीं सदी के आगे जहां हम इंटरनेट पर ई बुक, यू ट्यूब एवं सोशल मीडिया के ऊपर इतना अधिक निर्भर हो चुके हैं कि हमारी जीवनशैली में से किताबे बिल्कुल गायब हो चुकी हैं। बात करते हैं बरेली की जहां रेलवे स्टेशन जंक्शन पर कभी जो बुक स्टाल 143 सालों से गुलज़ार हुआ करता था वो अब तंगी के दौर से गुजरने के चलते बन्द हो रहा है ।
बरेली जिसे आज आप रोहिलखण्ड की शान मानते हैं एवं माना जाता है कभी अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाया जाएगा तो बरेली उसकी राजधानी बनेगी। निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर स्मार्ट सिटी बन ने जा रही बरेली अब इतनी स्मार्टनेस की तरफ बढ़ चुकी है
कि यहाँ के लोगों का किताबों से मोह भंग होता चला गया जिसके चलते करीब 8 माह पूर्व शहर का प्रख्यात सिंडिकेट बुक हाऊस तो बन्द हुआ ही था अब जंक्शन बुक स्टॉल भी बंद हो गया ।
बीते कुछ सालों से किताबें खरीदने वाले तो छोड़ दें देखने वाले तक नहीं देते थे तबज्जो
शायद आपको याद हो हम- आप जब कभी ट्रेन से सफर किया करते थे तब स्टेशन पर सजा हुआ बुक स्टाल काफी अपना ध्यान आर्कषित करता था बड़े तो बड़े उस समय बच्चे भी बुक स्टॉल की तरफ काफी आकर्षित होते थेl
इन बुक स्टाल्स पर बच्चों की कॉमिक्स से लेकर दैनिक , साप्ताहिक अखबार , मैगजीन्स, उपन्यास आदि का एक बड़ा संग्रह देखने को मिलता था जो कि बच्चे, बड़े, बुजुर्ग एवम महिलाओं आदि के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहता था।
लोग बुक स्टॉल्स पर अपनी अपनी ट्रेन की प्रतीक्षा में काफी काफी देर तक समय बिताते थे इनमे किताबें खरीदने वालों की भीड़ के साथ साथ देखने वालों की भी भीड़ रहती थीl
जिस से जंक्शन का बुक स्टाल गुलज़ार रहता था परंतु अब तो बीते कुछ वर्षों से जब से स्मार्ट फोन एवं इंटरनेट का युग आया है इन स्टाल्स पर किताबे खरीदना तो दूर देखने वाले तक नहीं भटकते।
इन्ही कारणों से अब अंततः जंक्शन का 143 साल पुराना बुक हाउस भी बंद हो गया यहॉं अब यात्रियों के उपयोग में आने वाली वस्तुएं जैसे तौलिया, रुमाल, टॉर्च, साबुन, तेल कंघा, चप्पल आदि समान की बिक्री शुरू की जाएगी।