सीतापुर : भागवत कथा में सुनाया भक्त ध्रुव का चरित्र का प्रसंग
अटरिया सीतापुर:- अटरिया क्षेत्र के टापर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र की लीला प्रसंग पर चर्चा हुई। कथावाचक पंडित अनीत कुमार ने बताया कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है।
कुछ समय बाद सुरुचि को एक संतान की उत्पत्ति होती है। जिसका नाम उत्तम रखा। उसके कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक ध्रुव को जन्म देती है। 5 वर्ष बाद जब राजा उत्तम का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों के साथ खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर सुरुचि उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर।
बालक ध्रुव यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए। कथा के बीच-बीच में कथावाचक के द्वारा सुनाए गए भजनों पर भक्त झूम उठें। पांच तारीख को भंडारे के साथ कथा का समापन होगा। इस दौरान शिवशंकर गुप्ता,संदीप, पंकज, राजू, रामजीवन सहित सैकड़ों की संख्या में भक्त उपस्थित रहे।