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वैध और अवैध की चर्चा के बीच वीरा भार ठोकर से निकलने वाला बालू बना हॉट टॉपिक!

हिन्दमोर्चा न्यूज़ कुशीनगर/खड्डा!

  • सोशल मीडिया पर खूब हो रही है चर्चा,,प्रशासन पुलिस और पॉलीटिशियन को किया जा रहा टारगेट!
  • बालू निकासी के बाद दाम में आई वृद्धि ने लोगों की उड़ाई नींद?
  • मानकों के विपरीत ढुलाई, ओवरलोडिंग, और अनियंत्रित वाहनों से होने वाले हादसे बने चर्चा का विषय!
  • क्या वैध और अवैध के खेल का होगा पर्दाफाश?

कुशीनगर: कुशीनगर जनपद में बालू खनन की खबरें तो आए दिन समाचार पत्रों और अनेक माध्यमों से प्रकाशित होती रहती हैं लेकिन जब से कुशीनगर जनपद के खड्डा तहसील अंतर्गत वीरा बार ठोकर के पास से बालू निकासी प्रारंभ हुई है तब से यह चर्चा और तूल पकड़ती दिख रही है! खेत में सिल्ट सफाई के नाम पर किए गए टेंडर से निकले बालू की कीमत ने अपने भवन का निर्माण करवाने वाले तथा इसका रोजगार करने वाले लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है!

कुछ लोगों की माने तो ठेकेदार द्वारा मौके पर ही अधिक दाम वसुल लिया जा रहा है, जिससे कि जरूरतमंदों तक पहुंचते-पहुंचते एक ट्राली की कीमत 6 से ₹7000 हो जा रही है! नारायणी के तट पर होने के कारण लोगों की उम्मीदें होती हैं कि उन्हें अपने निर्माण कार्यों के लिए सस्ता बालु उपलब्ध हो सकेगा, पहले टेन्डर न होने की वजह से चोरी छुपे निकलने वाला बालू काफी महंगा मिला करता था लेकिन जब से यह टेंडर हुआ है तब से बालू की कीमतों ने और आसमान पकड़ लिया है!

प्रत्येक वर्ष बरसात के समय में नदी में जब पानी आता है तो बंधे की मरम्मत की जाती है वही लगातार बालू की ढुलाई से बंधों की हालत भी दयनीय होती जा रही है! सवाल यह उठता है कि वैध हो या अवैध आखिर इसका निर्धारण कौन करेगा! जानकारों की माने तो सरकारी राजस्व का भी काफी नुकसान इन माफियाओं /ठेकेदारों के द्वारा किया जाता है!

बालू परिवहन के लिए निर्धारित समय सीमा के बाद भी इस का परिवहन होता है और जिस को ढकने के लिए पुलिस से सांठगांठ की जाती है! सोशल मीडिया पर चल रहे चर्चाओं पर गौर करें तो इसमें प्रशासन के साथ-साथ पुलिस और कुछ सफेदपोशो की भी सांठगांठ की सुगबुगाहट हो रही है!आखिर किसी भी टेंडर के समय इसकी जानकारी और नियमावली सर्वसाधारण के लिए उपलब्ध क्यों नहीं करवाई जाती जिससे कि लोग यह जान सकें कि कौन सा तरीका वैध है और प्रशासन किसे अवैध मानती है!

विगत कुछ सालों का इतिहास देखें तो लगातार धड़ल्ले से संचालित हो रहे बालू के टालियों को तब जाकर ब्रेक लगता है जब इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों या बडे़ नेताओं तक पहुचती है! नाम ना छापने की शर्त पर कुछ व्यवसायियों का यह भी कहना है कि वर्तमान राजनीतिक परिवेश में सब की हिस्सेदारी के बढ़ने की वजह से बालू की कीमत हैं आसमान छू रही हैं!

विधानसभा चुनाव 2022 से पहले जनप्रतिनिधियों पर यह लांछन लगाया जाता था कि उनके संरक्षण में इस तरह के काम किए जा रहे हैं! वर्तमान सरकार के गठन के बाद जिस तरह से इन सारी चीजों के ऊपर चर्चाएं हो रही हैं उसे देखते हुए तो यह लगता है की इस समस्या का समाधान कर पाना किसी के बस में नहीं!

जिलाधिकारी ,उप जिला अधिकारी, जिला खनन अधिकारी, पुलिस और सिंचाई विभाग के इर्द-गिर्द घिरा हुआ यह क्षेत्र इस तरह की चर्चाओं के साथ नित नए आयाम लिख रहा है.. वास्तविक रुप से एक ट्राली बालू पर कितना सरकारी टैक्स लगता है और एक ट्राली बालू में कितने स्क्वायर फिट बालू अधिकृत है और उसका वजन और एरिया कितना होना चाहिए इसकी जानकारी जब तक सार्वजनिक नहीं होती है.

तब तक इस तरह की राजस्व की चोरी अनवरत जारी रहेगी! और यह सवाल भी उठता रहेगा यह कारोबार वैध होगा या फिर अवैध.दे खना यह होगा कि प्रशासन और जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों का किस तरह से निर्वहन करते हैं और वास्तविक स्वरूप में निर्धारित मानकों के अनुसार कार्यों की निगरानी कैसे करते हैं!

हिन्दमोर्चा टीम कुशीनगर!

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