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गोरखपुर एम्स: नहीं आ पा रहीं कैंसर के इलाज की मशीने, स्विटजरलैंड में खरीदी जा चुकी है ड्यूल एनर्जी की रेडियोथेरेपी.

हिन्दमोर्चा न्यूज़ गोरखपुर.

स्विटजरलैंड में ड्यूल एनर्जी की रेडियोथेरेपी मशीन खरीदी जा चुकी है। एम्स में आरएसओ की नियुक्ति न होने से विलंब हो रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर (आरएसओ) की नियुक्ति न होने से कैंसर रोगियों की रेडिएशन थेरेपी की मशीनें नहीं आ पा रही हैं।

जबकि, ड्यूल एनर्जी की रेडियोथेरेपी मशीन सहित तीन मशीनें स्विटजरलैंड व जर्मनी में खरीद ली गई हैं। लेकिन, मुश्किल यह है कि रेडिएशन सेफ्टी आफिसर की नियुक्ति का प्रमाणपत्र भेजने के बाद ही मशीनें वहां से भेजी जाएंगी।

एम्स जिले का पहला सरकारी अस्पताल है, जहां ड्यूल एनर्जी की रेडियोथेरेपी मशीनें आनी हैं। इसकी खासियत यह है कि प्रभावित अंग की सेंकाई ठीक से हो सकेगी। प्रभावित अंग के अगल-बगल रेडिएशन का प्रभाव नहीं होगा। एम्स में यह मशीन लगने से रोगियों के उपचार का खर्च बहुत कम पड़ेगा। इसके अलावा स्तन व ओरल कैंसर से जूझ रहे रोगियों की सेंकाई के लिए ब्रेकीथेरेपी मशीन लगाई जाएगी।

सीटी स्कैन, एमआरआई व अल्ट्रासाउंड जांच भी शुरू नहीं

करीब डेढ़ साल पहले सीटी स्कैन, एमआरआई जांच की मशीन इंस्टाल हो चुकी है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट न होने से अभी जांच नहीं हो पा रही है। अल्ट्रासाउंड जांच हो रही थी, लगभग एक साल से वह भी बंद है। एक ही रेडियोलॉजिस्ट थे, जो अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चले गए। एम्स ने एक्सरे के लिए एक निजी लैब से समझौता किया है।

एम्स मीडिया प्रभारी डॉ. शशांक शेखर ने कहा कि आरएसओ की नियुक्ति हो गई है। पांच मई को वह अपना कार्यभार ग्रहण कर लेंगे। इसके बाद उनकी नियुक्ति का प्रमाणपत्र कंपनी को भेजा जाएगा। वहां से मशीन आ जाएगी। मशीन आने में लगभग तीन माह का समय लग सकता है। रेडियोलॉजिस्ट के लिए भी आवेदन मांगे गए हैं, शीघ्र ही नियुक्ति हो जाएगी। इसके बाद सीटी स्कैन, एमआरआई व अल्ट्रासाउंड जांच भी शुरू कर दी जाएगी।

हिन्दमोर्चा टीम गोरखपुर.

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