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अलबत्ता पुल के बीच सफेद संगमरमर पर अरबी भाषा मे दर्शाया गया, किस बादशाह ने बनवाया?

दोस्तपुर (सुल्तानपुर) :  सुल्तानपुर जिले की सबसे बड़ी नगर पंचायत दोस्तपुर की पहचान दोस्तपुर की उत्तर अंबेडकर नगर सीमा को विभाजित करती मझुई(मंजूषा)नदी पर बने मुगल कालीन पुल एक पहचान है पुल आज से लगभग चार सौ साल पहले का बना है इस पुल को कौन बादशाह बनवाया था इस का कोई प्रमाण नही मिलता अलबत्ता पुल के बीच सफेद संगमरमर पर अरबी भाषा मे दर्शाया गया है .

कि इस पुल की मरम्मत औरंगजेब ने करवाया था पुल की खासियत है कि इस पुल में लखावरी ईंट का प्रयोग किया गया है व विशेष प्रकार के मशाले से इसे जोडा़ गया है पुल के दोनो तरफ आठ आठ कोठरियां बनी हुई हैं जिसमें जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है ऐसा प्रतीत होता है जैसे राहगीरों के रूकने के लिए कोठरियां बनाई गई होगीं, या बरसात में नदी के स्वरूप का आनन्द लेने के लिए बनाया गया था.

, इस पुल से इलाहाबाद से नैपाल, बस्ती गोरखपुर, अयोध्या, आदि शहरों का आवागमन का रास्ता है इस ऐतिहासिक पुल इस समय देख रेख के अभाव में बडी़ गाडियों का आवागमन बंद हो चुका है पुल के दक्षिण शिरे के पश्चिम तरफ पुल निर्माण के समय एक कूंऐ का निर्माण किया गया है जिसके बारे में मान्यता है कि जिस दिन बरसात में मझुई नदी का बाढ़ के समय का पानी जिस दिन पानी कूंऐ में चला जाएगा.

उसी दिन दोस्तपुर डूब जाएगा, सन् 71,80की भयंकर बाढ़ में भी पानी कूऐं में नही जा सका, परन्तु इस समय इस मुगल कालीन पुल को पुरातत्व विभाग ने उस समय निशप्रयोग धोषित कर दूसरा पुल बनाने का आदेश दे दिया जब पिछले बरसात में पुल के उत्तरी सीमा की दोनो तरफ अप्रोज की दीवारें गिर गई थी अब बडी़ गाडियों का आवागमन पूरी तरह वर्जित है.

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