अंतिम दो चरणों में मोदी और योगी के कंधों पर टिका पूरा भार!
हिन्दमोर्चा न्यूज़ महराजगंज!
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने आखिरी पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है। छठे चरण का मतदान 3 मार्च और सातवें चरण का 7 मार्च को संपन्न होने के साथ ही अगले पांच साल के लिए नई सरकार चुनने पर जनता की मुहर लग जाएगी। नतीजे 10 मार्च को आएंगे। लेकिन, अगला दोनों चरण देश और प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे की परीक्षा है।
उत्तर प्रदेश चुनाव जैसे-जैसे आखिरी पड़ाव की तरफ बढ़ रहा है, कई नए राजनीतिक समीकरण बनते और बिगड़ते दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक मैदान में एक सवाल खूब पूछा जा रहा है, क्या भारतीय जनता पार्टी की दोबारा सत्ता में वापसी होगी या फिर समाजवादी पार्टी पांच साल बाद फिर से सरकार बनाती दिखेगी?
इन सवालों के बीच चुनाव के पांच चरण बीत चुके हैं। जनता अपना मैसेज दे रही है। अब तक पांच चरणों में 292 सीटों पर वोटिंग समाप्त हो चुकी है। बचे दो चरणों में 111 सीटों पर वोटिंग होनी है और इन सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ के कंधों पर ही भाजपा की उम्मीदों का भार टिका हुआ है।
उत्तर प्रदेश में हुए पिछले पांच चरण के चुनावों को लेकर आपका सवाल हो सकता है कि भाजपा का क्या कोई और चेहरा वहां पर प्रभावी था? ऐसा नहीं है। यूपी चुनाव इस बार योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर ही लड़ा जा रहा है और पीएम मोदी भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा हैं। ऐसे में दोनों पर पूरे 403 विधानसभा सीटों पर पार्टी का भार रहा।
लेकिन, छठा और सातवां चरण का चुनाव अन्य चरणों से अलग है। छठा चरण जहां सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर और आसपास के जिलों में होना है। वहीं, सातवां चरण पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और आसपास के जिलों में होना है। ऐसे में भाजपा के इन दोनों ही चेहरों पर सबसे अधिक दारोमदार दिखता है।
छठे चरण को लेकर काफी सक्रिय हैं योगी,
गोरखपुर शहरी विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए छठा चरण अग्निपरीक्षा के समान है। इस परीक्षा को पास करने के लिए उनका तूफानी दौरा लगातार जारी है। गोरखपुर सदर सीट से भले ही सीएम योगी को हरा पाना किसी के लिए आसान नहीं हो, लेकिन इसी जिले की अन्य सीटों के अपने मसले हैं। वहां की चुनावी लड़ाई अलग है। इसे मुख्यमंत्री भी भली प्रकार से जानते हैं। ऐसे में वे लगातार चुनावी मैदान में उतर कर वोट मांग रहे हैं।
छठे चरण में सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, बलरामपुर और अंबेडकरनगर जिले में चुनाव होना है। इन सीटों पर कभी बसपा और सपा का वोट बैंक हुआ करता था। भाजपा ने यहां अपनी जगह बनाई है और उसे बरकरार रखने की कोशिश हो रही है। 1 मार्च को छठे चरण की वोटिंग को लेकर प्रचार अभियान समाप्त होने से पहले सीएम योगी की कोशिश सभी सीटों तक पहुंचने की है। इसके लिए वे एक दिन में कई-कई रैलियां कर रहे हैं।
सातवें चरण में मोदी का इम्तिहान,
सातवें चरण में पीएम नरेंद्र मोदी का इम्तिहान होना है। वाराणसी और आसपास के इलाकों में मोदी का जादू पिछले तीन चुनावों में चलता दिखा है। पीएम मोदी इस बार यूपी में जीत का चौका लगाने की बात करते दिख रहे हैं। इसको लेकर वे काफी गंभीर भी दिख रहे हैं। पूर्वांचल के रण को साधने के लिए वे लगातार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। रविवार से उन्होंने पूर्वांचल को साधने के लिए ताबड़तोड़ रैलियां की।
बस्ती और देवरिया में रैली के बाद पीएम मोदी वाराणसी में बूथ कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करते नजर आए। सोमवार को भी उनकी महाराजगंज और बलिया में रैली है। 2 मार्च को सोनभद्र और गाजीपुर में उनके रैली का कार्यक्रम है। 4 मार्च तक वे पूर्वांचल को पूरी तरह से मथने की योजना बनाकर चल रहे हैं। इस मंथन से भाजपा के लिए अमृत निकलता है या नहीं, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
अखिलेश का भी है लिटमस टेस्ट,
पूर्वांचल केवल योगी और मोदी के लिए टेस्ट ग्राउंड नहीं है। यहां समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के प्रभाव का भी लिटमस टेस्ट होना है। आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव के क्षेत्र में आखिरी चरण में वोटिंग होगी। सीएम योगी और पीएम मोदी की चुनाव की घोषणा होने से पहले से आजमगढ़ पर नजर रही है। वहां कार्यक्रमों का आयोजन हो चुका है। पीएम मोदी तक पहुंच चुके हैं।
सीएम योगी तो अखिलेश के कोरोना काल में आजमगढ़ से गायब रहने का मुद्दा कई बार उठा चुके हैं। भाजपा बूथ स्तर पर इस जिले में काम करती नजर आ रही है। ऐसे में अखिलेश यादव को इस सीट पर अपनी अहमियत का अहसास कराना है। इसको लेकर वे लगातार पूर्वांचल में दौरे कर रहे हैं। गोरखपुर में पहुंच कर सीधे सीएम योगी पर पलटवार करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि वे योगी और मोदी की उम्मीदों को झटका देने में कितना कामयाब हो पाते हैं!