सरकार ऐसे इन्तजाम से तो नहीं बच पाएगा महदेवा गाँव
खडडा /कुशीनगर (हिंदमोर्चा संवाददाता) बांध की जगह परक्यूपाइन लगाकर गंडक नदी के प्रकोप से महदेवा गाँव की छत्तीस सौ जनता को बचाने हेतु चल रहे कार्य से गाँव का बच पाना मुश्किल दिखाई दे रहा है। अगले महीने आने वाली बाढ को लेकर गाँव वाले चिन्तित हैं।पिछले वर्ष दो करोड़ रुपये का परक्यूपाइन लगाने के बावजूद गाँव कटने से बाल बाल बचा था। प्रशासन बाढ के समय तो खूब हाथ पैर चलाता है ,जनप्रतिनिधि पानी में घुस कर तो कभी नाव पर बैठकर फोटो खिचाते है परंतु बाढ समाप्त होने के बाद भूल जाते हैं।
खडडा विकास खंड का ग्राम सभा महदेवा की (छत्तीस सौ) आबादी पांच वर्ष से गंडक नदी के कहर से दो चार है ,तीन किलोमीटर दूर से नदी खेतों को काटते हुए ,गाँव के एकदम करीब पहुच गयी है ,हालात यह है कि लगभग दो माह पहले विना बाढ के महाबीर व सहबर अंसारी को कटान से घर छोड़ना पड़ा था ,गाँव को बचाने के लिए लोग बांध की मांग कर रहे हैं ,परंतु बाढ विशेषज्ञों की कमेटी ने इस मांग को नामंजूर करते हुए परक्यूपाइन लगाने को कहा था। ,
पिछले वर्ष लगभग दो करोड़ की लागत से पौने दो किलोमीटर परक्यूपाइन लगवाया गया ,परंतु बाढ में यह खुद कटकर गायब हो गये ,और गाँव बाल बाल बच पाया था। पुनः इस वर्ष 9 सौ मीटर परक्यूपाइन लगाया जा रहा है ,इसे देख लोग चिंतित हैं कि इस व्यवस्था से गाँव का बच पाना मुश्किल होगा ।
*क्या कहते हैं बाढ खंड के एसडीओ*!
इस संबंध में बाढ खंड के सहायक अभियंता मनोरंजन चौधरी का कहना है कि बांध के प्रस्ताव को हाइलेवल कमेटी ने अस्वीकार कर परक्यूपाइन लगाने को कहा था ,उसी के अनुसार महदेवा गाँव को सुरक्षित रखने हेतु नदी किनारे कार्य कराया जा रहा है।
*22 परिवारों को विस्थापित कर सुरक्षित स्थान पर बसाने की योजना खटाई मे ,तहसील /जिला प्रशासन पर सवालिया निशान*!
पिछले बाढ के समय महदेवा गाँव के लगभग 22 से ज्यादा परिवारों को नदी कटान की जद में पाए जाने के बाद ,इनको घर छोड़कर चले जाने का फरमान तहसील प्रशासन ने दिया था।तत्कालिन डीएम एस राजलिंगम के आदेश पर योजना बनाई गयी थी कि इन परिवारों को सुरक्षित स्थानो पर बसाया जाएगा,इसके लिए रामपुर जंगल सहित दो गाँव में सरकारी जमीन को चिन्हित भी किया गया था ,परंतु यह योजना ठंडे बस्ते मे डाल दी गयी है।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि नथुनी कुशवाहा बताते हैं कि जब कटान हो रहा था तो लोगों को घर खाली करने व सुरक्षित बसाने के बारे कहा गया था ,परंतु इस पर कोई अमल नहीं हुआ है।हर वर्ष बाढ का खतरा उत्पन्न होने पर प्रशासन तेजी का दिखावा करता है,और जब बाढ समाप्त हो जाती है ,समस्या का हमेशा के लिए समाधान करने का समय होता है तो खामोश बैठा रहता है ,फिर तभी तेजी दिखती है ,जब लोगों की जिन्दगी बाढ में तबाह हो रही होती है।
*क्या कहती हैं एसडीएम *!
इस संबंध में एसडीएम खडडा भावना सिंह का कहना है कि रामपुर जंगल गाँव व अन्य गाँव में महदेवा गाँव के पात्र बाढ प्रभावित लोगों को बसाने हेतु ,इन ग्राम पंचायतों में बैठक कराई जाएगी ,अगर ग्राम पंचायत प्रस्ताव पास कर सहमति दे देती है ,तो बसाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी ।कटान से गाँव को बचाने के सभी उपाय किये जाएंगे।