वंचित व्यक्ति असक्त असहाय दीन दुखी का उद्धार किए बिना ईश्वर भक्ति अधूरी है-डॉक्टर सी वी सिंह
कसया/कुशीनगर (हिंदमोर्चा संवाददाता) दरिद्रनर की सेवा ही नारायण सेवा है।वंचित व्यक्ति, असक्त,असहाय, दीन- दुखी आदि का उद्धार किए बिना ईश्वर भक्ति अधूरी है।सही अर्थों में वही योगी है जो कर्मयोगी है।जो भक्ति हमें जन सरोकारों से नहीं जोड़ती वह मुक्तिकामी नहीं हो सकती।उपरोक्त बातें विवेकानंद संदेश यात्रा समिति कुशीनगर द्वारा आयोजित गोष्ठी एवम् पुरस्कार वितरण समारोह में डा सी बी सिंह ने कही।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रो ममता मणि त्रिपाठी ने बताया कि स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के शिल्पियों में है। आपने नैराश्य और दिग्भ्रम की स्थिति में पड़े समाज को जगाने का कार्य किया।प्राचार्य प्रो सिद्धार्थ पांडेय ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। आपने विवेकानंद जी के संदेश को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधायक श्री रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने बताया कि आधुनिक भारत की नीव स्वामी विवेकानंद जी के दर्शन पर आधारित है। आपने विचार व कर्म के माध्यम से चरित्र और व्यक्तित्व निर्माण की बात कही।आज के नवयुवकों के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण विचार है।स्वामी विवेकानंद जी हमारे युवाओं के आदर्श है।उनके पदचिन्हों पर चलकर ही भारत का पुननिर्माण किया जा सकता है।
कार्यक्रम की रूपरेखा और विषय स्थापना श्री श्रवण जी ने किया।उन्होंने विवेकानंद केंद्र,कन्याकुमारी के कार्यों और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।कार्यक्रम का संचालन डॉ निगम मौर्य ने किया जबकि आभार ज्ञापन डॉ चंद्रशेखर सिंह ने किया। आज की गोष्ठी में स्वामी विवेकानन्द संदेश यात्रा के समय स्वयंसेवक के रूप में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले छात्र/छात्राओं को विवेकानंद साहित्य और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
आज सम्मानित होने वालों में आदर्श मिश्र,सुजाता मिश्रा,रितेश यादव,गंगा गोस्वामी,तनुज, राजन मद्धेशिया समेत बड़ी संख्या में एन एस एस और एन सी सी के स्वयंसेवक सम्मिलित रहे। इस अवसर पर डॉ अनिल सिन्हा, डॉ चंद्रप्रकाश सिंह,संजय राव, फूलचंद अमन,श्रवण ,सुधीर साही समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।