लखनऊ। महंगा होता उपचार आज आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। वहीं, होम्योपैथी की दवाएं जटिल बीमारियों जैसे पथरी, स्वाइन फ्लू, डेंगू, खसरा, चिकन पाक्स, कालरा, मलेरिया, दिमागी बुखार रोगों से बचाव में कारगर है। गोमती नगर स्थित राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कालेज की ओपीडी में इन दिनों रोजाना 800 मरीज पहुंच रहे हैं। आज विश्व होम्योपैथी दिवस है, जो महान जर्मन चिकित्सक व होम्योपैथी के संस्थापक डा. सैमुअल हनीमैन की जयंती के रूप में दुनियाभर में मनाया जाता है।
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. अरविंद वर्मा ने बताया कि आज स्वास्थ्य के प्रति लोगों की अवधारणा और समझ तेजी से बदल रही है। आधुनिक चिकित्सा के युग में दुनियाभर में एलोपैथ चिकित्सा पद्धति के बाद यह सबसे अधिक पसंद की जानेवाली और प्रयोग में लायी जानेवाली चिकित्सा पद्धति है। परिसर में मरीजों को हर तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। बुजुर्गों को खासतौर पर इलाज मुहैया कराया जाता है। उनके लिए 50 बेड भी लगाए गए हैं जहां आपातकालीन स्थिति में उनको भर्ती किया जा सके।
अधिक गर्मी की वजह से मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जहां दो माह पहले 400-500 मरीज आ रहे थे। वहीं, अब इनकी संख्या 800 पहुंच गई है। इनमें 40 फीसदी बुजुर्ग हैं। जिन्हें कमजोरी और आर्थो की शिकायत है। उन्होंने बताया कि कालेज के अंतर्गत डेंटल और फीजियोथेरैपी की सुविधा भी मरीजों को दी जा रही है। मंगलवार और शुक्रवार को मदर एंड चाइल्ड की ओपीडी भी अलग से शुरू की गई है।
क्रोनिक रोगों का भी इलाज : होम्योपैथिक दवा सांस की बीमारी, पेट, त्वचा और मानसिक विकार जैसी पुरानी बीमारियों में प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है। जो लोग एलोपैथी और सर्जरी के जरिये जल्दी राहत चाहते हैं, वे केवल आधा जीवन ही जीते हैं और जो स्थायी सुधार के लिए होम्योपैथी को अपनाते हैं, वे पूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं।
राजधानी में सबसे अधिक चिकित्सक : होम्योपैथी चिकित्सा के पूर्व सचिव डा. आशीष वर्मा ने बताया कि प्रदेश में कुल 1586 राजकीय होम्योपैथी चिकित्सालय हैं। जहां 40500 होम्योपैथिक के चिकित्सक पंजीकृत हैं। इनमें से सबसे ज्यादा करीब आठ हजार चिकित्सक लखनऊ के हैं। इसके अलावा नौ मेडिकल कालेज और एक आयुष विश्वविद्यालय है।