टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज में क्या है अंतर? जानें कैसे ये शरीर को करते हैं प्रभावित
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Difference Between Type 1 & Type 2 Diabetes : आजकल के लाइफस्टाल में अनियमित खानपान, लंबे समय तक बैठे रहने का काम, कम पैदल चलना और एक्सरसाइज ना करना कई बीमारियों को खुला न्योता देने के समान है.
इस न्योते पर हमारे शरीर में एक बहुत कॉमन बीमारी एंटर करती है, उसका नाम है डायबिटीज (Diabetes), साधारण भाषा में इसे शुगर की बीमारी (मधुमेह) कहा जाता है. आमतौर पर ये धारणा होती है कि ये बीमारी उन लोगों को ज्यादा लगती है जिन्हें बहुत ज्यादा मीठा खाने का शौक होता है. लेकिन ऐसा नहीं है, जानकार बताते हैं कि इसका सीधा संबंध आपके लाइफस्टाइल, खान-पान के तरीके और व्यायाम की आदतों से है.
मतलब अगर आप ज्यादा तला-तीखा-चटपटा खाने के शौकीन है, आपका काम लगातार बैठे रहने का है, आप कम पैदल चलते हैं, आपको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है, परिवार में माता-पिता में से किसी को डायबिटीज है, आप एक्सरसाइज या वॉक नहीं करते हैं, तो आपको डायबिटीज का खतरा ज्यादा है.
डायबिटीज में क्या होता है
दरअसल,डायबिटीज में हमारे पैनक्रियाज काम करना बंद कर देते हैं. पैंक्रियाज में बीटा सेल्स होती हैं. ये सेल इंसुलिन जेनरेट करने का काम करते हैं. जब हम खाना खाते हैं तो उससे ग्लूकोज (शुगर) बनता है. ये इंसुलिन उसी शुगर को कंट्रोल करने का काम करती है. कई बार इंसुलिन पैदा करने वाले यही बीटा सेल्स कम या खत्म हो जाते हैं.
ऐसे में खाने पर शरीर में बनने वाली शुगर अनियमित हो जाती है क्योंकि इंसुलिन बनाने वाली बीटा सेल्स ही नहीं हैं. तब दवा लेने पर शुगर कंट्रोल में रहता है लेकिन डायबिटीज खत्म नहीं होती.
डायबिटीज के क्या लक्षण हैं?
डायबिटीज के दो चरण के होते हैं एक टाइप 1 और दूसरा टाइप 2 डायबिटीज. हेल्थलाइन की खबर के अनुसार, डायबिटीज के लक्षण कुछ इस तरह से होते हैं.
– बार-बार पेशाब आना
– बहुत प्यास लगना और बहुत ज्यादा पानी पीना
– बहुत भूख लगना
– बहुत थकान महसूस होना
– धुंधली दृष्टि होना
– कट या घाव होना जो ठीक से ठीक न हो
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में अंतर
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज वाले लोग भी चिड़चिड़ापन, मूड में बदलाव और अनजाने में वजन घटाने का अनुभव कर सकते हैं. टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के हाथों या पैरों में सुन्नता और झुनझुनी भी हो सकती है. अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (एडीए) के अनुसार, बेहतर ग्लूकोज मैनेजमेंट, टाइप 1 डायबिटीज वाले किसी व्यक्ति में सुन्नता और झुनझुनी होने के रिस्क को काफी कम करता है. हालांकि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के कई लक्षण समान हैं, लेकिन वे बहुत अलग तरीके से मौजूद हैं.
टाइप 2 डायबिटीज
type 2 डायबिटीज वाले कई लोगों में कई वर्षों तक लक्षण नहीं होते हैं, और उनके लक्षण अक्सर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होते हैं. कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं और जब तक जटिलताएं उत्पन्न नहीं होती हैं, तब तक उन्हें पता नहीं चलता है कि उनकी क्या स्थिति है. टाइप 2 डायबिटीज में या तो इंसुलिन कम बनता है या फिर शरीर उसके प्रति संवेदनशील नहीं रहता इसलिए इसमें दवाओं के जरिए शरीर को और इंसुलिन बनने के लिए प्रेरित किया जाता है.
टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण तेजी से विकसित होते हैं, आमतौर पर कई हफ्तों के दौरान. डायबिटीज टाइप-1 की समस्या किसी बच्चे में जन्म से भी देखने को मिल सकती है. इस स्थिति में शरीर के अंदर इंसुलिन बिल्कुल नहीं बनता है.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वंशानुगत कारणों से पैंक्रियाज में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है. यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है. चूंकि टाइप 1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन बनता ही नहीं है इसलिए इसमें मरीज को समय-समय पर इंसुलिन को इंजेक्शन या पंप के जरिए लेना पड़ता है
डायबिटीज शरीर को कैसे प्रभावित करता है?
दोनों प्रकार के डायबिटीज पुरानी बीमारियां हैं जो आपके शरीर के ब्लड शुगर या ग्लूकोज को कंट्रोल करने के तरीके को प्रभावित करती हैं. ग्लूकोज वह ईंधन है जो आपके शरीर की कोशिकाओं को पोषण देता है, लेकिन आपकी कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए इसे एक चाबी की आवश्यकता होती है. इंसुलिन वो चाबी है.
टाइप 1 डायबिटीज वाले लोग इंसुलिन का उत्पादन नहीं करते हैं. आप सोच सकते हैं कि आपके पास चाबी नहीं है.
टाइप 2 डायबिटीज वाले लोग इंसुलिन के प्रति उतनी अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं जितनी उन्हें चाहिए और बाद में बीमारी में अक्सर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाते हैं. आप इसे एक टूटी हुई चाबी के रूप में सोच सकते हैं.
दोनों प्रकार के डायबिटीज लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल को जन्म दे सकते हैं. इससे डायबिटीज की कॉम्प्लिकेशंस का खतरा बढ़ जाता है.