डॉक्टरों के अनुसार, डायबिटीज से किडनी में होती हैं समस्याएं, नियमित रूप से चेकअप कराते रहना बहुत जरूरी
लखनऊ ,1 फ़रवरी 2023 : भारत को दुनिया की डायबिटीज की राजधानी कहा जाता है। यहाँ पर 80 मिलियन से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। आने वाले समय में जैसे-जैसे डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ेगी, वैसे-वैसे किडनी वाले मरीजों की भी संख्या बढ़ती जायेगी। ऐसा देखा गया है.
डायबिटीज से पीड़ित लोगों में जो किडनी की बीमारी सबसे ज्यादा होती है, वह बीमारी क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) है। सीकेडी होने से किडनी फेलियर होता है। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी, लखनऊ के डॉ दीपक दीवान ने समझाया कि कैसे डायबिटीज से जानलेवा बीमारियाँ होती है और हमें इन बीमारियों से बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए।
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के रीनल साइंस के डायरेक्टर, नेफ्रोलॉजी, एमडी डीएम- डॉ दीपक दीवान ने इस बारे में बताते हुए कहा, ” हमारे पास जो सीकेडी से पीड़ित मरीज है उसमे 70% डायबिटीज के मरीज हैं। सीकेडी की बीमारी में किडनी की काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है.
जिसके कारण शरीर में तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट्स, यूरिया और क्रिएटिनिन जैसे अपशिष्ट उत्पादों की मात्रा बहुत ज्यादा जमा होने लगती है। सीकेडी के अंतिम स्टेज में जिंदा रहने का एकमात्र तरीका यह है कि आप डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट कराएँ। अभी हमारे पास 200 मरीज डायलिसिस करा रहे हैं। इन 200 में से 20 मरीजो को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है।
सीकेडी के केस में मुश्किल बात यह होती है कि इसे विकसित होने में काफी समय लगता है। शुरुआत में इसके लक्षण ज्यादा नज़र नहीं आते हैं। इसका मतलब यह है कि जब तक आप खुद की जांच नहीं करवाते हैं, तब तक आपको पता नहीं चल पाता है कि आप सीकेडी से पीड़ित हैं या नहीं। ज्यादातर लोगों को इस बीमारी के बारे में तब पता चलता है जब यह एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है।
यहाँ यह बताना जरूरी है कि डायलिसिस से जीवन में सुधार देखने को मिलता है। वहीं जहाँ तक जीवन की गुणवत्ता में सुधार और समाधान की बात है तो ट्रांसप्लांट कराना सबसे बेहतरीन उपाय होता है।” अगर आप टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित है, या 5 साल से ज्यादा समय से आप टाइप 1 डायबिटीज के शिकार है, तो शुरुआत में ही आपको किडनी की बीमारियों के लिए खुद की जांच कराने की सलाह दी जाती है। इसके बाद भी नियमित जांच कराते रहना चाहिए।
स्वस्थ लाइफस्टाइल की आदतें अपनाना जैसे कि संतुलित खानपान का सेवन, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, हाइड्रेटेड रहना, दिन में 7 से 9 घंटे सोना, और अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित डोज के अनुसार अपनी दवाएं खाना आदि से डायबिटीज से होने वाली किडनी की समस्याओं से बचा जा सकता है या कम किया जा सकता है।
डॉ दीपक दीवान ने आगे बताया, “हाई ब्लड शुगर नेफ्रॉन (किडनी की फ़िल्टरिंग यूनिट) और किडनी में ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाओं) को नुकसान पहुंचाता है, जिससे किडनी का कामकाज बाधित होता है। बहुत ज्यादा शुगर का लेवल होने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी होती है। हाई ब्लड प्रेशर से भी किडनी को नुकसान पहुंचता है।
जैसा कि यह कहा जाता है कि रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होता है। इस रोकथाम को ज्यादा तवज्जों दें। इसलिए प्रीडायबिटीज ग्रुप में आने वाले लोगों के लिए हम डायबिटीज की शुरुआत और इससे होने वाली किडनी की बीमारियों से बचने की सलाह देते हैं। किडनी की बीमारी की शुरुआत को रोकने या देरी करने का सबसे बेहतर उपाय यह है कि आप नियमित अंतराल अपना ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर चेक कराते रहें।
जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं उनमे समय बीतने के साथ किडनी की बीमारी होना आम बात हो गयी है।
– क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) एक गंभीर बीमारी है। जब यह बीमारी होती है तो किडनी ढंग से काम नहीं कर पाती है। समय बीतने के साथ किडनी की स्थिति बिगड़ती चली जाती है।
– सीकेडी स्टेज 5 वाले लोगों के लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट कराना एकमात्र उपाय होता है। इस स्टेज को एन्ड-स्टेज किडनी बीमारी [ईएसकेडी] के रूप में भी जाना जाता है।
– अगर आप टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित है, या 5 सालों से ज्यादा समय से आप टाइप 1 डायबिटीज के शिकार है, तो शुरुआत में ही आपको किडनी की बीमारियों के लिए खुद की जांच कराने की सलाह दी जाती है। इसके बाद भी नियमित जांच कराते रहना चाहिए।