UP Monsoon Update: गरज-चमक कर रह जाएंगे, पूर्वांचल में अभी बरसेंगे नहीं बादल
गोरखपुर, । पिछले कई दिनों से आसमान में बादल छाए हुए हैं। बादल गरज चमक के रह जा रहे हैं, लेकिन वर्षा नहीं हो रही है। इससे किसान परेशान देखे जा रहे हैं। किसानों का मानना है कि स्थिति यही रहेगी तो उन्हें सूखे के संकट से जूझना पड़ेगा। उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। ऐसे में किसान वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हालांकि मौसम विभाग ने रविवार को भी आंशिक रूप से बादल छाए रहने व बूंदाबांदी की संभावना जताई है।
कई दिनों से हो रही हल्की बूंदाबादी
पिछले कई दिनों से हुई छिटपुट बूंदाबांदी से तापमान में गिरावट देखने को मिल रही है। तापमान अपने औसत से नीचे आ गया है। इसके चलते लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली है। मौसम विभाग ने पूर्वानुमान जताया है कि शनिवार को आंशिक रूप से बादल छाए रह सकते हैं। दिन का तापमान औसत से कम रह सकता है।
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गोरखपुर के आसमान में छाए बादल। -पूर्वांचल खासकर गोरखपुर के आसपास के जिलों में अभी बारिश नहीं होगी। बीते तीन-चार दिनों से यहां बादल गरज चमक कर रहे जा रहे हैं लेकिन कहीं भी बारिश नहीं हुई। केवल बूंदाबांदी ही हो रही है। बता दें शनिवार को भी जिले के कुछ क्षेत्रों में बूंदाबांदी हुई है।
इससे दिन का अधिकतम तापमान 33.3 डिग्री सेल्सियस के करीब रहा। यह जुलाई माह के औसत अधिकतम तापमान से 0.4 डिग्री सेल्सियस अधिक है। न्यूनतम तापमान 26.7 डिग्री सेल्सियस के करीब रहा। यह जुलाई के औसत न्यूनतम तापमान से 0.7 डिग्री सेल्सियस अधिक है।
बूंदाबांदी के चलते लोगों को गर्मी से मामूली राहत मिली है। बता दें जुलाई माह का औसत अधिकतम तापमान 32.9 डिग्री सेल्सियस है। जुलाई माह का औसत न्यूनतम तापमान 25.9 डिग्री सेल्सियस है। मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि आने वाले दिनों में हल्की से मध्यम वर्षा के आसार हैं। इससे तापमान में गिरावट के आसार हैं। इस दौरान अधिकतम तापमान 33 से 34 डिग्री सेल्सियस के करीब रह सकता है। न्यूनतम तापमान 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के करीब रह सकता है।
जुलाई का औसत तापमान
औसत अधिकतम तापमान- 32.9 डिग्री सेल्सियस औसत न्यूनतम तापमान- 25.9 डिग्री सेल्सियस औसत वर्षा- 383.4 मिलीमीटर
किसान बेसब्री से कर रहे वर्षा की प्रतीक्षा हल्की वर्षा से किसानों को थोड़ी राहत मिली है लेकिन वह अभी भी वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ताकि उनकी फसल सूखे के संकट से बच सके। कुछ किसान निजी संसाधनों द्वारा खेतों में सिंचाई कर रहे हैं, लेकिन इससे पानी की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है।