UP : यहां माफिया चला रहे अस्पताल, इस शहर में फैला मरीजों की खरीद-फरोख्त का जाल
हाल में गोरखपुर के डीआईजी बंगले के पास एक हॉस्पिटल के सामने फायरिंग से हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद पुलिस जांच पड़ताल में जुटी है। इस बीच पता चला है कि शहर के दर्जनों हास्पिटल माफिया चला रहे हैं। यूपी और बिहार के शहरों से इलाज के लिए गोरखपुर आने वाले मरीजों को बरगला कर निजी एम्बुलेंस चालक और बिचौलिए से कुछ निजी अस्पताल के संचालक मरीज खरीदते हैं। इस धंधे में माफिया और मनबढ़ों की एंट्री हो चुकी है।
यदि कोई सेटिंग कर उनके एंबुलेंस ड्राइवर या बिचौलिए से अपने यहां मरीज खरीद रहा है तो फिर उनके बीच रंजिश जन्म ले रही है। चार साल पहले कमिश्नर आवास के पास हुई फायरिंग और अब डीआईजी बंगले के पास पिछले शनिवार को हुई फायरिंग इसी कड़ी का नतीजा है।
माफिया-गुंडों द्वारा संचालित कुछ हास्पिटलों में मरीज का इलाज से पहले ही सौदा हो जाता है। अस्पताल संचालक मरीज ले आने वाले बिचौलियों और एंबुलेंस चालकों को मोटा कमीशन देते हैं। मरीज की जैसी हालत कमीशन का रेट भी उसी हिसाब से बढ़ता घटता है। एक गंभीर मरीज को अस्पताल पहुंचाने को एंबुलेंस चालक को 45-50 हजार रुपये तक मोटा कमीशन मिल जाता है। सामान्य मरीजों को भर्ती कराने पर 25-30 हजार रुपये तक मिल जाते हैं।
सरकारी अस्पतालों के अगल-बगल नेटवर्क
निजी अस्पतालों व दलालों का नेटवर्क सबसे ज्यादा जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आसपास फैला है। जैसे ही मरीज गेट पर पहुंचता है, वैसे ही निजी एंबुलेंस चालक सक्रिय हो जाते हैं और मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती कराने के प्रयास में जुट जाते हैं। परेशान मरीज या परिजनों को बरगला कर निजी अस्पताल ले जाते हैं, फिर शुरू होता है वसूली का सिलसिला। इस नेटवर्क के बिचौलिए देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, बिहार, बस्ती, सिद्धार्थनगर और नेपाल से आने वाले मरीजों को निशाना बनाते हैं।
अलग-अलग सड़कों पर रहती है निगरानी
कुशीनगर और बिहार की तरफ से आने वाले मरीजों को जगदीशपुर रोड, महराजगंज की तरफ से आने वाले मरीजों को भटहट व कैंपियरगंज के पास हाईजैक किया जाता है। सिद्धार्थनगर, नेपाल या सोनोली की तरफ से आने वालों को गोरखनाथ इलाके में सेट किया जाता है। एम्बुलेंस के नंबर के आधार पर कुछ ही देर में मरीज व ड्राइवर का डिटेल ले लेते हैं।