Gorakhpur

गोरखपुर पड़ोसी ने मांग लिए बर्तन तो जमीन पर रखकर खाया था खाना, विभाजन की पीड़ा बताते-बताते भर आईं आंखें

गोरखपुर,  भारत के विभाजन की पीड़ा समेटे पाकिस्तान के रावलपिंडी से गोरखपुर आए सरदार बलबीर सिंह ने विभाजन की व्यथा को बयां की तो उनके साथ सुनने वालों की भी आंखें नम हो गईं। उन्होंने बताया कि 1974 में उनका परिवार रावलपिंडी से किसी तरह कानपुर पहुंचा तो मां ने पड़ोसी से बर्तन मांग कर भोजन पकाया। अभी किसी ने भोजन नहीं किया था कि पड़ोसन ने बर्तन मांग लिए। उनकी मां ने जमीन पर ही खाना पलट लिया और सभी सदस्यों ने वहीं से भोजन ग्रहण किया।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर चिड़ियाघर पांच दिवसीय प्रदर्शनी शुरू

सरदार बलबीर सिंह बुधवार को गोरखपुर चिड़ियाघर व उसकी सहयोगी संस्था के तत्वावधान में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय प्रदर्शनी का शुभारंभ के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। सरदार बलवीर सिंह ने बताया कि देश विभाजन के वक्त वह आठ साल के थे। उनका परिवार रावलपिंडी में रहता था। पाकिस्तान में उनके परिवार के करीब 250 लोगों की हत्या कर दी गई। बचे हुए लोगों को लेकर उनके दादा जी किसी तरह भारत आ गए। परिवार देवबंद, कानपुर होते हुए गोरखपुर पहुंचा। गोरखपुर में उनके परिवार ने बेयरिंग, हल और पुल्ली बनाने का काम शुरू किया।

महंत दिग्विजयनाथ ने की मदद

ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने ट्रैक्टर में लगने वाले बेयरिंग खरीदने के लिए किसी को उनके पास भेजा। उन्हें 14 रुपये में दिया तो कीमत जान बड़े महराज ने मंदिर में बुलवाया। पूछा कि बेयरिंग चोरी की तो नहीं है? बलबीर सिंह ने बताया कि 12 रुपये में मिलता है। एक रुपये मुनाफा और एक रुपये खर्च जोड़ 14 रुपये में वह उसे बेचते हैं।

बाद में एक वक्त आया जब जमीन खरीदने के लिए 10 हजार रुपये चाहिए थे। अपने अभिभावक बड़े महराज के पास गए तो उन्होंने 10 हजार रुपये दिए। रकम के बदले मंदिर के सभी घंटों की मरम्मत का काम दे दिया। इससे पूर्व उन्होंने उत्तर प्रदेश पंजाबी एकेडमी के सदस्य जगनैन सिंह नीटू, हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डा. अनिता अग्रवाल के साथ प्रदर्शनी का उद्घाटन कर अवलोकन किया। कार्यक्रम में पशु चिकित्सक डा. रवि यादव, रेंजर राजेश पाण्डेय, संजय सिंह बघेल, हेरिटेज फाउंडेशन से नरेंद्र मिश्रा, मनीष चौबे आदि मौजूद रहे।

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