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भारत में स्त्रियों द्वारा चूड़ियां पहनने के की परंपरा और उसका वैज्ञानिक प्रभाव

गरिमा सिंह, अजमेर राजस्थान

चूड़ियां चाहे कैसी भी हों, किसी भी आकार की हों, अंत में तो वह स्त्री के श्रृंगार को बढ़ाने का काम ही करती हैं। हम चूड़ियों का परम्परागत आधार जानते होंगे, लेकिन इसके अलावा इन्हें पहनने के कई सारे वैज्ञानिक कारण भी हैं।

चूड़ियों का स्त्री पर प्रभाव :

वैज्ञानिक दृष्टि से चूड़ियां जिस धातु से बनी होती हैं उसका उसे पहनने वाली महिला के आसपास के वातावरण तथा स्वयं उसके स्वास्थ्य पर भी बराबर का असर होता है।

प्लास्टिक की चूड़ियां :

ऐसा माना जाता है कि प्लास्टिक का उपयोग करके बनाई गई चूड़ियां रज-तम प्रभाव वाली होती हैं। यह चूड़ियां वातावरण में से नकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींचती हैं। इसीलिए डॉक्टरों का मानना है कि प्लास्टिक से बनी हुई चूड़ियां पहनने से स्त्री के विभिन्न शारीरिक अंगों पर एक अलग सा दबाव बनता है।

कांच की चूड़ियां :

विज्ञान का मानना है कि कांच की चूड़ियों की आवाज़ से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। इतना ही नहीं, हिन्दू धर्म में कांच की चूड़ियों को सात्विक भी माना जाता है।

हरे कांच की चूड़ियां :

नवविवाहित स्त्रियों को हरे रंग की कांच की चूड़ियां पहनने के लिए कहा जाता है। यह हरा रंग एक पेड़ की हरी पत्तियों की तरह ही अपनी छांव से खुशहाली प्रदान करता है। साथ ही यह रंग उस महिला को ‘देवी’ के रूप’ से भी जोड़ता है।

लाल कांच की चूड़ियां :

यह रंग उस स्त्री को आदि शक्ति से जोड़ता है। चूड़ियों के लाल रंग में भी कई प्रकार के रंग होते हैं जैसे कि गहरा लाल, हल्का लाल, रक्त के समान लाल, आदि। इन सभी रंगों का अपना महत्व है।

कितनी चूड़ियां पहननी चाहिए :

एक स्त्री द्वारा कितनी चूड़ियां पहनी जानी चाहिए इसके पीछे भी विभिन्न कारण दिए गए हैं। यदि तीन या इससे कम चूड़ियां पहनी जाएं तो यह उस स्त्री में शक्ति का प्रवाह लाती हैं। आमतौर पर इतनी कम चूड़ियां एक अविवाहित कन्या द्वारा ही धारण की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि यह 2-3 चूड़ियां ही उस कन्या में शक्ति का संचार कर उसे मानसिक तथा शारीरिक रूप से ताकतवर बनाती हैं।

लेकिन जब यह चूड़ियां ज्यादा संख्या में हों तो इसका महत्व कई गुणा ज्यादा बढ़ जाता है। साइंस का भी मानना है कि जब स्त्री के दोनों हाथों में काफी सारी चूड़ियां पहनी जाती हैं तो यह खास प्रकार की ऊर्जा पैदा करती हैं, जिन्हें धार्मिक संदर्भ से ‘मरक’ कहा जाता है। यह ऊर्जा उस स्त्री को हर प्रकार की बुरी नज़र से बचा कर रखती है

चूड़ियों की ऊर्जा :

बताए गए सभी तथ्य हमें चूड़ियों की सकारात्मक ऊर्जा की महत्ता समझाती हैं। इन्हें पहनने का कितना फायदा है यह तो आपने जाना लेकिन यही चूड़ियां समय आने पर विनाशकारी भी बन सकती हैं यह बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा तब होता है जब चूड़ियां टूटती हैं या फिर उनमें दरार आ जाती है। ऐसी मान्यता है कि चूड़ियों का टूटना उस स्त्री या उससे जुड़े लोगों के लिए एक अशुभ संकेत लेकर आता है।

चूड़ियों का टूटना

लेकिन साइंस का मानना है कि यह उस स्त्री के आसपास मौजूद साधारण से काफी अधिक मात्रा की नकारात्मक ऊर्जा का परिणाम होता है। जिसके चलते यह ऊर्जा स्त्री के आभूषणों में से सबसे पहले उसकी चूड़ियों पर प्रहार करती है। चूड़ियों के टूटने के साथ उनमें दरार आ जाना ही अशुभ माना जाता है।

ऐसा होने पर स्त्री को चूड़ियां उतार देने की सलाह दी जाती है। यहां भी वैज्ञानिक दृष्टि से चूड़ियों में दरार आना स्त्री को घेरने वाली नकारात्मक ऊर्जा का परिणाम है। यह ऊर्जा उसकी चूड़ियों के भीतर जगह बनाती है और उन्हें धीरे-धीरे नष्ट करती है। यदि दरार आने पर भी यह चूड़ियां उतारी ना जाएं तो यह स्त्री के स्वास्थ्य पर हावी हो जाती हैं।

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