अग्निपथ योजना में 4 साल बाद सिर्फ पैसा ही नहीं कमाएंगे अग्निवीर, जानिए क्या-क्या हैं फायदे
ग्रुप कैप्टन एमजे ऑगस्टीन विनोद (रिटा.)/ स्क्वाड्रन लीडर वर्षा कुकरेती (रिटा.)
अग्निपथ- एक सैन्य भर्ती योजना है, जो भारत में अधिकारी रैंक से नीचे के सैन्यकर्मियों ((PBOR)) की भर्ती के लिए लाई गई है. हालांकि अधिकारी या ऑफिसर रैंक में प्रवेश के लिए शॉर्ट सर्विस कमिशन (SSC) कई दशकों से काम कर रहा है. भारतीय थल सेना में एसएससी अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी की स्थापना 1963 में की गई थी. वायु सेना और नौसेना भी अपनी-अपनी अकादमी में स्थायी कमिशन ऑफिसर्स के साथ इससे जुड़ा प्रशिक्षण देती हैं.
एसएससी ऑफिसर्स की तरह जवानों, विमान चालक और नौ सैनिकों को कम वक्त के लिए भर्ती किए जाने पर सरकार पिछले कुछ वक्त से विचार कर रही थी. यह प्रणाली काम करती है, अमेरिका जैसे देशों में यह साबित हो चुका है, जहां सैन्यकर्मियों को टूर ऑफ ड्यूटी (TOD) के तहत एक तय समय के लिए भर्ती किया जाता है. इसी तरह की व्यवस्था अन्य देशों में भी है, जिसमें कई विकासशील देश शामिल हैं. इसलिए कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के बयान सच्चाई से काफी दूर हैं और मेरे हिसाब से किसी एक पार्टी या व्यक्ति के प्रति वैमनस्य की भावना से प्रेरित हैं.
आपको एक किस्सा सुनाता हूं, जो हाल ही में मेरे साथ हुआ. मैं कयाकिंग कर रहा था और पानी के तेज बहाव के साथ नीचे की और जा रहा था और प्रकृति के नजारे का आनंद ले रहा था. कुछ घंटे तक मैं यह करता रहा और मुझे पता ही नहीं चला कि मैं शुरुआती जगह से काफी दूर आ चुका हूं. लौटते हुए मुझे अपनी कयाक को बहाव से उलटे, ऊपर की तरफ ले जाना था और पानी का बहाव बहुत ज्यादा था और मैं रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा था.
पांच घंटे पहले मैंने शुरू किया था और अभी भी मैं शुरुआती जगह से कुछ किलोमीटर दूर ही था. बुरी तरह थक चुका था. आगे बढ़ पाना मुश्किल हो रहा था. उम्र के 50वें पड़ाव में और सेवानिवृत्त होने के बाद पहले वाली बात भी नहीं रही थी. मैं संघर्ष कर रहा था. और तब मेरा सैन्य प्रशिक्षण, शारीरिक ताकत काम आई जो अपने आप मानसिक बल और सहन-शक्ति में बदल गई. आखिरी के 2 घंटे पूरी तरह उस ताकत पर आधारित थे, जो मैंने भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण से हासिल की थी. उस शारीरिक और मानसिक ताकत को मैं उस पेंशन, रोजगार सुरक्षा और पैसों से अधिक मानता हूं जो वायुसेना ने मुझे दिया.
लौटते हैं अग्निपथ स्कीम की तरफ. ऐसी क्या चीजे हैं, जो युवा इस स्कीम से हासिल कर सकते हैं, फिर वह भौतिक हो या कुछ ऐसा जिसे आप प्रत्यक्ष तौर पर देख नहीं सकते लेकिन महसूस कर सकते हैं?
1. देश की सेवा करते हुए और भारत भर में यात्रा करते हुए उसकी असल तस्वीर देखने के दौरान आपकी जेब में हर महीने 21 हजार से 28 हजार रुपये होंगे. ये सब तब, जब आप सिर्फ 9 से 10 महीने की ही सेवा देंगे. सालाना छुट्टी के तौर पर आपको 2 महीने मिलेंगे जो कि निर्भर करता है कि आप कहां सेवाएं दे रहे हैं और 20 दिन कैजुअल लीव के तौर पर मिलेंगे. इसमें छुट्टी लेने से ठीक पहले के शनिवार, रविवार और अवकाश नहीं शामिल होंगे और न ही छुट्टी खत्म होने के ठीक बाद के शनिवार, रविवार और अवकाश. सेवा की जगह के हिसाब से आपको दो से तीन महीने घर जाने को मिल सकता है.
2. चार साल के बाद जब आप सेना को विदा कहते हैं, तब आपको गारंटी 11 से 14 लाख रुपये मिलेंगे और बचत तो है ही जो आपकी ही होगी. यानी चार साल बाद आप आराम से 20 लाख रुपये, वो भी कर मुक्त रकम के साथ घर लौट सकेंगे. और हां, ये सालाना वेतन-वृद्धि के आवेदन के साथ महंगाई दर से मुक्त होगी.
3. चार साल बाद आपको अग्निवीर कहा जाएगा और कुछ राज्यों ने तो अभी से पुलिस काडर में और गृह मंत्रालय ने CAPF में भी अग्निवीरों के आरक्षण की घोषणा कर दी है. चार साल में आपको बेहद सख्त प्रशिक्षण से गुजरना होगा जो कि अभी तक दी जाने वाली ट्रेनिंग से बिल्कुल अलग नहीं होगी. यह प्रशिक्षण आपकी मानसिक और शारीरिक ताकत को मजूबत करेगा और अनुशासन, सेहत और चरित्र निर्माण में सहायक होगा, जो कि मेरे लिए तो सबसे जरूरी है. अग्निवीर जब बाहर की दुनिया में चार साल बाद जाएंगे तो अपने आप में एक आदर्श होंगे, एक युवा जिसने सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभाई, देश की रक्षा की. ऐसे नौजवान जहां कहीं भी जाएंगे कमाल ही करेंगे.
ध्यान रहे कि यह सेना में अनिवार्य भर्ती नहीं है. एक स्वयं सेवा है जिसमें 1) चार साल आप देश की सेवा करेंगे, 2) लड़का या लड़की से युवा या युवती बन चुके होंगे और 3) अपना खुद का कुछ शुरू करने के लिए आपके पास बड़ी राशि होगी. मेरा सीधा सा सवाल है कि कितने ऐसे 21 साल के नौजवान हैं जो इस तरह के फायदे के बारे में अभी बात कर सकते हैं? दिल्ली में हजारों बच्चे सिविल सेवा की तैयारी करते हैं, कुछ ही सफल होते हैं, बाकी वहीं लौटते हैं जहां से उन्होंने छह साल पहले शुरू किया था. यहां हम नौजवानों को इस कदर तैयार करेंगे कि वे जो चाहे बन सकते हैं, सरकारी अधिकारी भी.
चार साल बाद रोजगार सुरक्षा का गणित
इस स्कीम के तहत करीब 45 हजार सैन्यकर्मी भर्ती होंगे, जिनमें से करीब 34 हजार 4 साल बाद रिटायर हो जाएंगे. साल दर साल आंकड़ा यही रहेगा. और इन 34000 को राज्य पुलिस, सीएपीएफ और अन्य सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिलेगी. Central Reserve Police Force (CRPF), Border Security Force (BSF), Central Industrial Security Force (CISF), Indo-Tibetan Border Police (ITBP), Sashastra Seema Bal (SSB), राज्य पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों में हर साल 1.7 लाख से ऊपर नौकरियां निकलती हैं. ये सब अग्निवीरों को प्राथमिकता देंगे. और इनके बाद भी जब जगह खाली होगी तब उन नौजवानों को मौका मिलेगा जो इस स्कीम में नहीं आ पाए थे.
भविष्य का क्या?
मेरी नजर से तो भविष्य उज्जवल है. इसलिए क्योंकि ये अग्निवीर सेना से 21 से 23 साल की कम उम्र में बाहर निकलेंगे, न कि 30 के बाद जब तक उनके हाथ से साढ़े दस साल निकल चुके होते हैं? जिसमें वो शायद अपने भविष्य को एक बेहतर दिशा दे सकते थे. आज भी ऐसे सैन्यकर्मी हैं, जो चार से पांच साल सेवा देने के बाद ही रिटायरमेंट मांगते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे बाहर की दुनिया के लिए तैयार हैं. लेकिन इन्हें विदा किया नहीं जाता, क्योंकि संस्थान को उनकी जरूरत होती है. ऐसी इच्छा रखने वाले 50 से 60 फीसदी होते हैं. इसलिए अग्निपथ में 75 फीसद का आंकड़ा करीब-करीब उतना ही है, जितना की वर्तमान में सेना से सेवानिवृत्त की चाह रखने वालों की संख्या है. ये ऐसा तथ्य है जो सरकार, इस स्कीम कि विरोध करने वालों तक नहीं पहुंचा पा रही है.
मुझे याद है जब नोटबंदी हुई तब प्रधानमंत्री ने लाइव टीवी पर आकर जनता को इस फैसले से अवगत करवाया था. ऐसा ही कुछ अभी भी होना चाहिए ताकि भ्रम की स्थिति न रहे. मोदी सरकार की लोकप्रियता कई विपक्षी पार्टियों और कुछ देशों को खटकती है. ये ताकतें इस सरकार की हर योजना की आलोचना करने से पीछे नहीं हटती. यही वजह है कि सैन्य बल और सरकार को मिलकर जनता के बीच इस स्कीम के फायदों को समझाने के तरीके निकालने होंगे.
सुरक्षा से जुड़े फायदे
ऊपर बताए गए फायदों के अलावा सरकार को भी इससे पेंशन बिल कम करने का फायदा मिलता है. पेंशन बिल कम करने के लिए सरकार मौजूदा पेंशनधारकों की पेंशन कम कर सकती थी, जो कि गलत कदम होता या फिर भविष्य की पेंशन आवश्यकताओं पर सीमा लगा सकती थी. सरकार ने ऐसा रास्ता चुना जो नौजवानों और सरकार दोनों के लिए काम करे. क्योंकि 25 फीसदी युवा जो सेवा में रहने के लिए तैयार दिखेंगे उनसे उम्मीद की जाएगी कि वे लगातार काम में संलग्न रहकर पेंशन की उम्र तक पहुंच पाएं.
सैन्य बलों की औसत उम्र 36 से घटाकर 26 होगी. यानी उनकी क्षमता बढ़ेगी. ये साबित हो चुका है कि नौजवान अधिकारी और जवान युद्ध जीतने में ज्यादा मददगार साबित होते हैं. करगिल इसका उचित उदाहरण है. आज सैन्य बल आधुनिकता के रास्ते पर नहीं चल पा रहा है, क्योंकि पेंशन फंड का बोझ बढ़ता जा रहा है. ये देश की सुरक्षा के साथ समझौता है. इस स्कीम से देश की सुरक्षा को भी बेहतर किया जा सकेगा.
हिंसा और निहित स्वार्थ
हिंसक प्रदर्शन – ये नतीजा है उन लोगों के निहित स्वार्थों का जो गलत जानकारी फैला रहे हैं और नौजवानों को सड़कों पर उतरने के लिए भड़का रहे हैं. कौन हैं ये लोग जो युवाओं की सोच के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं? कुछ राजनीतिक पार्टियां हैं जो विदेशी फंड की मदद से ये कर रही हैं और बिहार के कुछ कोचिंग केंद्र भी इसमें शामिल हैं जो बच्चों को भड़का रहे हैं.
मैंने कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों को अग्निपथ स्कीम की ऑफिसर्स की एसएससी से तुलना करते तो सुना लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि वो एसएससी कम से कम 10 साल की होती है और कई मामलों में 14 साल की भी. इस हिंसा का नुकसान उन बच्चों को होगा जो इससे जुड़े वीडियो में नजर आ रहे हैं और उनका भविष्य हमेशा के लिए इसमें सील होकर रह गया है.
गलत नियत वाले कुछ लोगों ने उन युवाओं के जरिए अपना मकसद हासिल करना चाहा है, जो ट्रेन और बस जलाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. मैं इन बच्चों से निवेदन करना चाहूंगा कि वे इस स्कीम को दूरदर्शी निगाहों से पढ़ें और महज पेंशन के फायदे न जांचे. अग्निवीर होने के बाद आप शायद इस पेंशन से कहीं ज्यादा कमा लेंगे.