वो मुस्लिम शासक जिसने कई मंदिरों को बनाने में की मोटी आर्थिक मदद, जिसके पास थी अकूत धन दौलत
इन दिनों देशभर में ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण का मामला चर्चा में है. केवल यही नहीं बल्कि मथुरा जन्मभूमि, ताजमहल और कुतुबमीनार को लेकर भी धार्मिक तौर पर दावे और विवाद की स्थिति है. हालांकि इतिहास में ये जानकारी भी मिलती है कि देश के कई मुस्लिम शासकों और बादशाहों ने हिंदू धर्म स्थलों को बनवाने में मदद की. इसमें कई मुगल बादशाह और दक्षिण के मुस्लिम शासक शामिल थे.
इस काम में हैदराबाद के शासक सातवें निजाम उस्मान अली का नाम खूब लिया जाता है. वो दुनिया के सबसे धनी लोगों में थे. उनके धन दौलत के किस्से जितने ज्यादा विख्यात थे. उतने ही ज्यादा उनकी कंजूसी के बारे में कहा गया. हालांकि आंध्र प्रदेश और तेलंगान स्टेट आर्काइव्स एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट्स से मिलने वाले रिकार्ड बताते हैं कि हैदराबाद निजाम ने कई बार हिंदू मंदिरों को मोटा दान दिया. यही नहीं उन्होंने उस जमाने में पुणे से छपने वाली एक धार्मिक पत्रिका को आर्थिक मदद दी. साथ ही कई हिंदू प्रबंधन से जुड़े शिक्षा संस्थानों के लिए अपने दोनों हाथ खोल दिए.
तेलंगाना टुडे के अनुसार सातवें निजाम ने तिरुपति के प्रसिद्ध तिरुमला बालाजी मंदिर के लिए 8000 रुपया आजादी से पहले दान किया था. विकीपीडिया भी इसका उल्लेख करता है. भगवान विष्णु के प्रसिद्ध वेंकटेश्वरा मंदिर को देश के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है. यहां लोग बड़े पैमाने पर चढ़ावा चढ़ाते हैं, इसमें बहुमूल्य आभूषणों से लेकर मोटी धनराशि भी शामिल होती रही है. ये मंदिर एक जमाने में हैदराबाद रियासत में ही आता था.
ये हैदराबाद के सबसे पुराने मंदिरों में एक है सीताराम बाग मंदिर, इसे हैदराबाद के मंगलहाट में 25 एकड़ के इलाके में बनवाया गया. अब ये हैरिटेज दर्जे में आने लगा है. कुछ दशक पहले इस मंदिर की हालत खराब थी. इसको बड़े स्तर पर जीर्णोद्धार की जरूरत थी. तब निजाम के सामने ये मामला आया. तब निजाम ने इसके पुर्ननिर्माण के लिए 50,000 रुपए दिए थे.आज भी मंदिर के रिकॉर्ड्स में इसका उल्लेख किया जाता है.
दक्षिण भारत का प्रसिद्ध मंदिर है श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर, जो भगवान को समर्पित है. ये भद्राचलम में गोदावरी नदी के किनारे है. इसकी मान्यता दक्षिण अयोध्या के रूप में भी है. इस भव्य मंदिर के लिए निजाम ने 29,999 रुपए का डोनेशन दिया.