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काजल की कोठरी

लेखिका- सुनीता कुमारी पूर्णिया बिहार

काजल की कोठरी में घुसने के बाद भला कोई बेदाग कैसे निकल सकता है। त्रेतायुग में सीता ने अग्निपरीक्षा दी थी मगर, फिर भी लंकारूपी काजल की कोठरी में जाने के कारण वह दागदार हो गयी । लोगो के कहने पर राम ने सीता को वनवास दे दिया?

क्या बीती होगी सीता पर ?सोचकर ही अन्तरात्मा कांप उठता है ,मुझसे बेहतर इस दुख को कोई नही समझ सकता,क्योंकि एक सीता को मैनें अपने जीवन में सीता जैसे दुख से दुखी देखा है।
सीता राजा जनक की चार पुत्री में सीता सबसे बड़ी पुत्री थी ।राजा जनक और माता का अन्य पुत्री की अपेक्षा सीता से विशेष स्नेह था। नाज़ों से पली सीता ,विवाह के तुरंत बाद पत्नी धर्म निभाने के लिए चौदह वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़ी ।सीता नवव्यहता थी, जब राम के साथ वनवास जाने की जिद कर बैठी ।

सीता ने सारी सुखसुविधा ,पत्नी धर्म निभाने के लिए त्याग दिए, मगर, बेदाग,बेगुनाह होते हुए भी सीता को दुबारा वनवास मिला। राम जानते थे की सीता निर्दोष बेदाग है ,राम ने सीता की अग्निपरीक्षा भी ली थी फिर भी,जो स्त्री काजल की कोठरी में गलती से भी घुस जाये वह दागदार हो ही जाती है ,परित्यक्ता बन ही जाती है ।अग्निपरीक्षा लेने के बाद भी सच्चाई जानने के बाद भी राम ने सीता को त्याग दिया।

मैं भी एक सीता को जानती हूँ जो मेरी पक्की सहेली है।परंतु गुनहगार मैं हूँ।
मैं कई जन्मो तक अपने इस अपराध को क्षमा न सकूगी। मैंने अपनी बचपन की दोस्त सिया की जिंदगी बर्बाद कर दी।मेरी वजह से सिया की शादी सुदा जिंदगी तबाह हो गई। मैंने बहुत कोशिश की सिया के पति राघव को समझाने की ,सारी सच्चाई बताने के बाद भी ,सारे सबूत देने के बाद भी सिया को राघव ने रखने से इंकार कर दिया।उसे पुलिस स्टेशन में ही छोड़कर कर चला गया।मेरे पैरो से जमीन निकल गई लगा जैसे धरती हिल गई , आकाश से एक साथ कई आफत आ गिरा।

सिया पर क्या बीती थी उस रात ?आज भी सोचकर मन कांप उठता है।राघव के मुह से यह सुनने के बाद कि ,सिया को वह छोड़ रहा है ,वह सिया को अब घर नही ले जाएगा , ऐसा लगा जैसे सिया दहाड़ मारकर रो देगी ? मगर हमसब पुलिस स्टेशन में थे ,सिया के मुख से कुछ भी नही निकला ।वह एकटक राघव को देख रही थी ।पुलिस स्टेशन से बाहर जाते राघव को आवाज देना चाह रही थी, मुझे छोड़कर कर मत जाओ, मैं निर्दोष हूँ यह भी राघव से सिया कह नही पाई।

सिया को यकीन ही नही हो रहा था कि, यह राघव है जिसकी खातिर सिया ने घरवालों की नाराजगी झेलते हुए शादी की थी।सिया के माता पिता शादी में शामिल तो हुए मगर साल भर तक सिया से बेमन से बात करते थे।सिया ने राघव के लिए सबकुछ झेला माता पिता की नाराज़गी झेली ।

राघव भी सिया से बहुत प्यार करता था, सिया के छिकने मात्र से भी चिन्ता होने लगती थी ।जान देता था सिया पर वह ,और आज एक झटके में उसने सिया को छोड़ दिया।सिया की हँसती मुस्कुराती जिंदगी कुछ घंटो के घटनाक्रम में तबाह हो गई।

सिया मेरी बचपन की दोस्त थी ,मेरी शादी सिया की शादी से तीन वर्ष पूर्व हुई थी।सिया मुझसे एकसाल जुनियर थी ,फिर भी हमारी दोस्ती गहरी थी,मैं और सिया एक ही कॉलोनी में रहते थे।बचपन से ही साथ खेलना एक ही स्कूल में पढ़ना सब साथ साथ किया था हमने।
शादी के बाद मैं कन्याकुमारी सिफ्ट हो गयी ,क्योंकि मेरे पति इसी शहर में शिक्षा विभाग में आर डी डी थे। सिया की शादी में मैं किसी कारण से जा नही सकी थी।

परंतु सिया की शादी से लेकर पहली रसोई हर एक बात सिया मुझसे दो चार दिन में फोन कर बताती रहती थी। सिया की शादी के चार वर्ष बाद मेरा कोलकात्ता आना हुआ। दशहरा का समय था सारे अच्छे होटल बुक थे ,लाचारी वश एक साधारण से होटल में रूम लेनी पड़ी ।
मैं सिया को सरप्राइज देना चाहती थी ,मैंने इसलिए कोलकाता आने की बात सिया को नही बतायी थी ।

मुझे लगा कि, अचानक मुझसे मिलने की बात सुनकर सिया खुश हो जाएगी।मैंने सिया को फोन किया और होटल मिलने के लिए बुलाया। सिया सुनकर खुशी से चिल्ला उठी ।मुझे ही घर बुलाने लगी मगर मेरी मति मारी गई थी मैं सिया के घर नही गई, सिया को ही जिद कर होटल बुला लिया ,साथ ही उसके दुर्भाग्य को भी होटल बुला लिया।

सिया ससमय मेरे सामने थी और हमदोनों खुशी से पागल थे।दुनिया जहान की बाते हमारे बीच होने लगी दो तीन घंटे कैसे बीत गये पता ही नही चला।मेरे पति भी बाहर से वापस होटल आ चुके थे और हमें कन्याकुमारी के लिये निकलना था।हमसब साथ ही होटल के कमरे से बाहर निकल पड़े ।सिया भी ससुराल के लिए निकल पड़ी और मैं भी कन्याकुमारी के
लिए।

करीब पंद्रह मिनट ही बीते थे कि,सिया का फोन आया जल्दी वापस आ जाओ मुझे पुलिस ने पकड़ लिया है। क्या??मेरे मुह से जोर से चीख निकली। हमदोनों पति पत्नी तुरंत वापस होटल पहुंचे तो देखा कि, पंद्रह बीस लड़कियो के साथ सिया को भी पकड़ रखा है ।मैंने सिया से पूछा ऐसा कैसे हो गया, तुम तो घर के लिए निकल चुकी थी फिर??

सिया ने मुझसे रोते हुए कहा हड़बड़ी में मेरा वो बैग छूट गया था,जिसमें मैं तुमलोगो के लिए खाना लाई थी । जैसे ही मैं ऊपर आई पुलिस की रेट पड़ चुकी थी ,अकेली होने के कारण मुझे भी पकड़ लिया । लाख समझाने के बाद भी नही माने ।उन लड़कियों के साथ मुझे भी पुलिस स्टेशन लेकर आ गए।

यह सुनते ही मेरे पैर से जमीन निकल गई। सिया के पति का परिवार,कोलकात्ता के प्रतिष्ठित परिवार था।राघव को भी सारा शहर जानता था। आज के मिडिया के युग में ये खबर शहर के सभी लोकल न्यूज चैनल में दिखाई जा रही थी।उन लड़किया के साथ साथ सिया को भी दिखाया जा रहा था जिससे राघव व राघव के परिवार की बेइज्जती हो रही थी।

पुलिस स्टेशन से मेरे फोन से सिया ने राघव को फोन किया क्योंकि सिया का मोबाइल पुलिस ने जब्त कर लिया था।राघव तथा राघव के पिता व वकील सब साथ में पुलिस स्टेशन आए ।सारी कागजी कार्रवाई पुरी होने के बाद पुलिस ने सिया को छोड़ दिया, साथ ही राघव व उसके पिता से माफी मांगी। पुलिस को पता नही था कि, सिया जानेमाने सेठ राम त्रिपाठी की बहु और राघव त्रिपाठी की पत्नी है।

पुलिस अपनी गलती पर शर्मिंदा थी, उसे एक बार सिया की बात सुन लेनी चाहिए थी।
पुलिस स्टेशन से निकलते वक्त सिया के ससुर सिया की अनदेखी करते हुए निकल गए, और राघव ने सिया के नजदीक आकर कहां-” मैं तुम्हे घर नही ले जा सकता ,मैं तुम्हे छोड़ रहा हूँ।”
पर मैं निर्दोष हूँ तुम जानते हो पुलिस ने भी माफी मांगी है ।

हाँ जानता हूँ तुम निर्दोष हो ,पर एक बार काजल की कोठरी में जाने के बाद इंसान दागदार हो ही जाता है। मैं राघव की बात सुनकर स्तब्ध रह गई, यकीन नही हो रहा था कि, सारी सच्चाई सामने होते हुए भी राघव ऐसा कैसे कह सकता है।मैं कुछ कह पाती इससे पहले ही राघव जा चुका था।

सिया और मेरी हालत ऐसी थी की ,काटो तो खून नही। मैं और मेरे पति और सिया की हालत ऐसी थी जैसी अचानक से कोई बहुत बड़ा तूफान आकर चला गया और सबकुछ तहस नहस करके चला गया। अंत में मैने सिया को संभाला ।मेरी फ्लाइट भी जा चुकी थी ।मैं और मेरे पति सिया को लेकर भागलपुर सिया के मायके आए ।सिया के माता पिता को राघव ने सब फोन पर बता दिया था इसलिए सिया के माता पिता कुछ नही बोले ।

सिया के माथे पर सिया के पिता हाथ रखते हुए सिर्फ इतना ही बोल पाए कि” युग चाहे जो भी हो ,अग्निपरीक्षा देने के बाद भी सीता को वनवास ही मिलता है”
सिया की मां सिया को गले लगाते हुए रोने लगी और रोते रोते ही कहां तुझे चिंता करने की जरूरत नही हम अभी जिंदा है।

सिया को सांत्वना देकर और सिया से माफी मांग कर मैं
वापस कन्याकुमारी आ गई और ऐसा पछतावा साथ लाई जो रात की नींद भी ले गया।
रात दिन बस यही दुआ दिल से निकलती थी कि,किसी तरह फिर से सिया की जिंदगी में सब अच्छा हो जाए।

समय पंख लगाकर उड़ने लगा ,सिया ने फिर से पढ़ाई शुरु कर दी थी ।इतना सब होने के बाद भी सिया मुझसे पहले की तरह ही बात करती थी और आए दिन यह कहती थी कि,उसके साथ जो भी हुआ उसकी किस्मत थी।

मैं सिया के मजबूत मनोबल को देखकर एक आस लिए बैठी थी कि ,जल्द ही सिया के साथ कुछ अच्छा होगा। करीब दो साल बीतते बीतते सिया ने मुझे आईपीएस बनने की खुशखबरी दी ,मैं सुनकर खुशी से पागल हो गई। मन ही मन यह ख्याल आने लगा कि,भगवान ने सिया के लिए कुछ और ही सोच रखा है।

सिया एवं सिया के माता पिता भी बहुत खुश दे ।कितनी रातों के बाद मैं चैन से सो पाई थी,मन में एक उम्मीद लिए आनेवाले समय में निश्चित ही कोई ऐसा लड़का सिया की जिंदगी में आएगा जो उसे किसी भी परिस्थित में नही छोड़ेगा।

क्योंकि अब वो समय नही रहा कि, राम के छोड़े जाने के बाद सीता दुःख के अतिरेक में धरती में समा जाए। युग बदल चुका है और अब सीता धरती में समाती नही बल्कि संघर्ष करके अपने लिए नया जीवन तलाशती है,समाज में मिसाल कायम करती है।

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