विश्व गौरैया दिवस पर विशेष “मां-मां आंगन में गौरैया क्यों नहीं फुदकती”-ब्यूटीशियन कंचन गुप्ता
👉विलुप्त होती जा रही छोटी चिड़िया गौरैया
👉पूरे विश्व में मनाया जाता है 20 मार्च को गौरैया दिवस
👉शहर और ग्रामीण स्तर पर विलुप्त हो रहे गौरैया
👉आंगन में नहीं फुदकती अब गौरैया
अंबेडकर नगर। पूरे विश्व में आज 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक आंकड़े के तहत जानकारी निकलकर सामने आई कि दुनिया से गौरैया तेजी के साथ विलुप्त हो रहे हैं एक रिपोर्ट (आंध्र विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार) के अनुसार लगभग दुनिया भर में 60 फ़ीसदी गौरैया विलुप्त हो चुके हैं जिस पर विश्व स्तर पर विचार विमर्श करते हुए यह निर्णय लिया गया कि इस छोटी पक्षी गौरैया को विलुप्तता से छुटकारा दिया जाना चाहिए और इसमें इजाफा होना चाहिए और फिर 20 मार्च को पूरी दुनिया विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
इसीलिए माना जाता है कि विश्व गौरैया दिवस संपूर्ण विश्व में मनाए जाने वाला एक ऐसा महत्वपूर्ण दिवस है जो विलुप्त होते जा रही गौरैया पंछी से संबंधित है। जिसकी शुरुआत 20 मार्च 2010 से हुआ।
भारत में भी गौरैया तेजी से विलुप्त हो रहे हैं जिस पर देशव्यापी स्तर पर विचार विमर्श करते हुए गौरैया के संरक्षण का संकल्प लिया गया और 20 मार्च को पुरजोर तरीके से गौरैया दिवस मनाए जाने का यह सुंदर कार्य किया जा रहा है।
ब्यूटीशियन कंचन गुप्ता ने गौरैया दिवस को बहुत ही बेहतरीन और सुंदर ढंग से मनाते हुए अपने मनोभाव और विचारों को प्रकट किया है गौरैया के संरक्षण हेतु घोसले का निर्माण किया मकान में कई जगहों पर लकड़ी का घोंसला बनवाया और फिर सुसज्जित तरीके से उस में दाने रखें और जल का भी प्रबंध किया है।
बताया कि मात्र कुछ ही दिनों में पक्षियों का आना-जाना शुरू हो गया और फिर चिड़ियों का चहचहाना,फुदकने का दृश्य नजरों के सामने दृश्यमान होने लगा जिसे देखकर मन को बड़ी शांति मिलती है।
अब क्या था देखते ही देखते कुछ ही दिनों बाद गौरैया ने घोंसला बनाया और फिर उसमें से दो सुंदर बच्चों ने जन्म लिया गौरैया के इस नजारे को देखने के लिए उसे कैमरे में कैद करने के लिए कैमरा भी लगवाया और पूरा परिवार इस नजारे को प्रत्येक दिन देखा करता है और फिर उनके क्रियाकलाप को देखते हुए कई तरह की कल्पनाएं मन को जागृत करती हैं ।
चिड़ियों के चहचहाने से घर की रौनक की बात ही अलग है मानों कि घर के सदस्य हो गए। अक्सर बच्चों के भोजन के लिए गौरैया का जोड़ा कुछ समय के लिए मानव की आपसी सहमति करते हो कि कौन जाएगा और कौन बच्चों की रखवाली करेगा और फिर देखते ही देखते जोड़े से एक ने उड़ान भर लिया। जब तक वापस नहीं आ जाता तब तक घोंसले के चारो तरफ पूरी तरह चौकन्ना होकर इधर-उधर सर को हिला दे अपने बच्चों की देखरेख कर दी गौरैया इंतजार में रहती।
तलाश पूरी होने पर वापस घोसले में पहुंचने पर मानव की जश्न का माहौल रहता और झट से बच्चों की मुख्य में अपनी जोश से भोजन डाल देती और फिर कुछ दिनों बाद गौरैया के वही बच्चे अपने पंखों के सहारे आसमान की सैर करने लगते हैं और उनका भी चहचहाने की आवाज सुनकर दिल को बड़ा सुकून मिलता है।
ऐसे ही एक दृश्य का वर्णन करते हुए बताया कि जब मैं अपने मां के घर गई तो घर का आंगन वह काफी बड़ा है हर रोज सुबह से लेकर शाम तक चिड़ियों का चहचहाना और फुदकना घर की रसोई से दाने चुनना, चावल की थाली से दालों को चुनना,घोसले बनाना, मानो कि चिड़ियों का एक आशियाना घर में बरकरार हो जिसे देखते हुए मैं बड़ी हुई।
अक्सर उन चिड़ियों के साथ खेलती उन्हें दाना देती, रोटी देती और जब भी घर में खाने-पीने की सामग्री चाहे वह फल हो या फिर मिठाईयां हो तो चिड़ियों को जरूर खिलाती एक लंबा समय गुजरने के बाद अब जब मां के घर जाती हूं तो घर में छोटे-छोटे बच्चे अक्सर पूछ बैठते हैं “मां आंगन में चिड़िया अब क्यों नहीं आती” “चिड़ियों की आवाज क्यों नहीं सुनाई पड़ रही है” ” चिड़िया उछल कूद करते नजर नहीं आ रहे हैं”। ”
आखिर क्यों मां क्यों” मां क्या कहती कि बेटा संसार में न जाने क्या सब हो रहा है वातावरण पर कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा है एक छोटे से बच्चे को कितना समझाती अभी तो इतना भी समझदार नहीं की दुनियादारी को समझ पाता। बस उसे बहलाती और कहती कि बेटा चिंता मत कर चिड़िया आएगी फुदक-फुदक कर खेलेगी,चीं-चीं कर बोलेगी, तेरे साथ भी खेलेगी, चिड़िया आंगन में आएगी, चिड़िया आंगन में आयेगी,
फुदक-फुदक कर गीत सुनाएगी।
कुछ ही वर्षों में बच्चा बड़ा हो जाता है लेकिन चिड़िया नजर नहीं आती। इस अनुभव का सजीव वर्णन करने का बस इतना सा मतलब है कि आज इंसान अपने स्वार्थ के चक्कर में न जाने कितने गलत कार्य कर रहा है पर्यावरण का ध्यान नहीं, जल का दोहन हो रहा ,जंगलों को बेतहाशा काटा जा रहा है और घरों से चिड़ियों की घोंसलों को आज के इस फैशन के दौर में हटा दिया जा रहा है ।
जिसका कारण है कि आज गौरव जैसी छोटी चिड़ियों का चहचहाना और फुदकना आंगन में नहीं दिखाई पड़ता है जिस पर जोर देते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 3 वर्ष पहले 20 मार्च को पुरजोर तरीके से गौरैया दिवस मनाने की अपील की और देश में तब से गौरैया दिवस बड़े उत्सुकता और खुशी से मनाया जा रहा है।
दिल्ली देश की राजधानी है जानकारी के अनुसार यहां यह छोटे आकार की सुंदर चिड़िया गौरैया अब तो बिल्कुल नजर नहीं आती इसलिए वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने गौरैया को राज्य पक्षी घोषित कर दिया।
अब आंगन में गौरैया का आना शुरू हो गया है लेकिन अभी कुछ वक्त और लगेगा जब पहले की तरह आगन में गौरैया उछल कूद करती, फुदकती चीं-चीं करती अपने गीतों से वातावरण को सुगंधित करेगी।
ऐसे भी माना जाता है कि सुबह- सुबह गौरैया को देखना और उसकी चहचहाट को सुनने से सारे कार्य अच्छे होते हैं और शुभ संकेत मिलता है।