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भारत को लगा पितृदोष समाप्त हो चुका है, भारत फिर से अपने प्राचीन वैभव की ओर लौट रहा है

नूतन राय ,नाला सोपारा (महाराष्ट्र )

“कुछ बात है कि, हस्ती मिटती नहीं हमारी ।
सदियों रहा है दुश्मन दौरे ए जहाँ हमारा ।
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।”

भारत की प्रतिष्ठा,अखण्डता,विविधता ने पूरे भारत को
एक सुत्र में बांध रखा है।बाहरी लुटरों की कोशिश के बाद भी आज भारत की प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी हो रही है।
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि, यदि भगवान रुष्ट हो जाए तो मनाया जा सकता है ,लेकिन यदि पितृ रूष्ट हो जाएं तो कुलों का सर्वनाश हो जाता है।

भारत को पितृदोष लगा है ,आइए समझते हैं कैसे? भारत देवों की पावन नगरी है,इसका साक्ष्य पुराणों में भी मिलता है। भारत ऐसी पावन भूमि है जहां स्वयं जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु जी ने मानव रूप में रामावतार तथा कृष्णावतार लेकर धर्म की रक्षा और पापी और पाप दोनों का नाश किये थे ।

अयोध्या उसी जगत के पालनहार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी की नगरी है ।इतिहास और पुराणों में इस बात के अनेकों साक्ष्य मिलते हैं की अयोध्या विश्व विजेता रहा है। उस पावन नगरी में एक से एक प्रतापी राजा थे । लगभग सन 1526 में बाबर ने भारत पर आक्रमण किया और संपूर्ण भारत को अपने अधिकार में कर लिया।

अयोध्या को भी कुछ गद्दार राजाओं के कारण मुगलों से हार मिली।किसी बाहरी सत्ता में दम नहीं था जो भारतीयों को हरा सके लेकिन ,भारतीय राजाओ के आपसी मतभेद , आपसी फूट का फायदा उठाकर मुगलों ने संपूर्ण उत्तरभारत को अपने अधिकार में कर लिया।बाबर ने अपने बर्बरता का परिचय देते हुए राम मंदिर ध्वस्त करके उस पर बाबरी मस्जिद बनवा
डाला।

भारतीय हिंदू अपने पैतृक संपत्ति ,परम पूज्य मर्यादा पुरुषोत्तम की जन्मभूमि को बचा न सके ?कारण! मर्यादा में रहने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम कुपित हो गए और भारत को अनेकानेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। लगभग 400 सालों तक भारत विदेशी सत्ताओं का गुलाम रहा।

भारत सोने की चिड़िया थी, कितने ही लुटेरे भारत को लुटा तथा भारत भूमि पर कब्ज़ा कर लिया।परंतु भारत देश हमारा है कितनों ने एक के बाद एक लुटरों ने भारत में आकर भारत को लुटा फिर भी
कोई हमारे अस्तित्व को मिटा नहीं पाये ।” मुगलों और अंग्रेजों ने बहुत ही प्रयास किया, भारतीय संस्कृति भारतीय सभ्यता को मिटाने का, पर कहते है ।

“उसकी हस्ती मिटाए भला क्या कोई जिसके चरणों को सागर भी करता नमन ।”

बड़ी कुर्बानी बड़े प्रयत्नों बड़ी लड़ाईयों के बाद भारत आजाद हुआ ।
आजाद भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय ,चंद्रशेखर आजाद ,सुखदेव, गुरु, बाल गंगाधर तिलक ,ऐसे कितने नाम है , जिन्होंने इस देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
तब जाकर हमने आजाद हिंद ,आजाद भारत पाया।
पर हमारी आजादी अधूरी रही।

कारण 74 सालों में हमें कोई सही मार्गदर्शक नहीं मिला। सारी धन वैभव संपदा से भरपूर भारत आज भी अविकसित देशों में गिना जाता है। कारण! पितृ दोष का निवारण नहीं हो पाया था। हमारे राम जी को इंसाफ़ नहीं मिल पाया था। जगत के सबसे बड़े न्यायधीश को अपनी ही सृष्टि की रचना से न्याय की आवश्यकता थी। अपने वंशजों से न्याय चाहते थे श्री राम जी।अब कही जाकर रामजन्म भूमि का उद्धार हुआ है।राम की जन्मस्थली मुक्त हुई है,रामलला फिर से अपने सिहांसन पर विराजमान हुए है,निश्चित ही अब भारत की तरक्की होगी ,विकास होगा।

जिस प्रकार भागीरथ ने मां गंगा को लाकर अपने पितरों को पाप से मुक्त किया ,उसी प्रकार भारत में दो अवतारी पुरुषों ने फिर से जन्म लिया है, जिसने राम मंदिर निर्माण करके पितृ दोष का निवारण कर दिया है। राम जी की आजादी के लिए कितने ही वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी , हमारे उन सभी शहीदों को मुक्ति मिल गई होगी ,आत्म संतुष्टि हुई होगी।
अब भारत में शांति और समृद्धि होगी ,और भारत का विकास भी होगा भारत में फिर रामराज्य आएगा ।भारत फिर विश्व विजेता कहलाएगा।

“शत नमन मेरा युगपुरुष तुम्हें
भागीरथ बनकर आए हो ।
श्री राम लखन सीता को,
वनवास से फिर घर लाए हो ।”

अतः हमारा भारत वासियों से विनम्र निवेदन है कि, अपने इस युगपुरुष को पहचाने ,उनका साथ दे ,भारत को फिर से शक्तिशाली समृद्धि शाली देश बनने में सहायक बने । सच्चे भारती सच्चे नागरिक बने।

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