अब्दुल कलाम जी को याद कर आंखे नम होती है
मिर्जा शमीम बैग
हम मनुष्य जो भी अपने जीवन में सीखते है ,वो सारी बाते किसी न किसी अनुभव का ही नतीजा होती है एवं यह अनुभव हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन करती है।
कभी कभी हम अपनी जिंदगी में कुछ उलझनों में ऐसे उलझते है कि,हमें कोई मार्ग दिखाई नही देता है ,ऐसी परिस्थित में किसी व्यक्ति ,किसी महापुरुष की प्रेरणा,व आदर्श हमें रास्ता दिखाती है और हम अपने जीवन में उनका अनुशरण करके जीवन आसान बनाते है उनके अनुभव को हम अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाकर अपनी जिंदगी आसान करते है।मेरी जिंदगी में भी ऐसे तीन लोग है जिनका मैं अनुशरण करती हूँ,फॉलो करती हूँ।
मैं मिर्जा शमीम बैग अपनी जिंदगी में तीन लोगों को फॉलो करती हूं, पहला श्री विद्यासागर जी, दूसरा श्री अब्दुल कलाम जी ,तीसरा मदर टेरेसा ।इन्हीं के दिखाएं मार्ग पर चलने की कोशिश करती हूं। इन्हीं को मैंने अपने जीवन का आधार बनाया हुआ है ।मैं अब्दुल कलाम जी को बहुत पसंद करती हूँ। आदरणीय स्वर्गीय अब्दुल कलाम जी बारे में क्या लिखूं शब्द ही कम पड़ जाएंगे। क्योंकि इनका जीवन सादगी और संघर्ष में रहा। पूरी जिंदगी पढ़ाई में लगाई इतने बड़े साइंटिस्ट बने, आला मुकाम प्राप्त किया ।
यह शख्सियत बहुत कम लोगों को हासिल होती है। इन्होंने कभी अपने ऊपर गर्व नहीं किया,एक सामान्य नागरिक का जीवन जिया । समय-समय पर अनेक अवार्ड्स से नवाजे गए ।अंत में भारत के राष्ट्रपति बने। इनकी ही देन है कि,14 साल तक के बच्चों की शिक्षा निःशुल्क दी जाने लगी। भारत में अनिवार्य शिक्षा अभियान एवं भारत में शिक्षा की स्थिति को मजबूत किया ।
सादा जीवन उच्च विचार इनकी जिंदगी का लक्ष्य था।
इन्होंने अपनी मृत्यु के बारे में भी लिखा था कि, “मैं किसी भी पद पर रहूं और मृत्यु हो जाए तो उस दिन अवकाश नहीं रखा जाए क्योंकि अवकाश रखने से शासकीय कार्यों में विघ्न पैदा होती है।”
और हुआ भी ऐसा ही सिर्फ राष्ट्रीय शोक रखा गया, जबकि यह उस समय भाhm news
रत के राष्ट्रपति थे। ऐसी शख्सियत दूसरी नहीं हो सकती ऐसे लोग कभी मृत नहीं होते ।यह हमेशा जिंदा रहते हैं ,लोगों के दिलों में एवं इतिहास में।
जब दसवीं क्लास में थी तब से इनको फॉलो कर रही हूं i इनके द्वारा दिए गए जो संदेश हैं मेरे जीवन को आगे बढ़ाने में और सही रास्ता दिखाने में हमेशा अब्बल रहते हैं ।आज इनकी पुण्यतिथि पर नम आंखों से में श्रद्धांजलि दे रही हूं मिर्जा शमीम बैग इंदौर!