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Hijab Row: हिजाब पहन ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाने वाली मुस्कान को सलमान और आमिर खान देंगे 5 करोड़ रुपये? जानें सच

कर्नाटक का हिजाब (Karnataka Hijab Row) विवाद पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है और बात कोर्ट तक भी पहुंच चुकी है। हिजाब मामले में हाल ही में मुस्कान खान (Muskan Khan) का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें एक लड़की कॉलेज में हिजाब पहनकर ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाती दिखी थी।

वीडियो के वायरल होने के बाद कुछ लोगों ने मुस्कान का समर्थन कर उसकी हिम्मत की तारीफ की, तो वहीं कुछ ने कॉलेज में हिजाब पहनकर आने वाली लड़कियों की जिद की अलोचना की। इस बीच सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स देखने को मिले, जहां ऐसा दावा किया गया कि मुस्कान खान को सलमान खान (Salman Khan) और आमिर खान (Aamir Khan), तुर्की सरकार (Turkish Government) के साथ 5 करोड़ रुपये देंगे। लेकिन क्या है इन सोशल मीडिया पोस्ट्स का सच, इस रिपोर्ट में जानिए।

पांच करोड़ देंगे सलमान- आमिर और तुर्की सरकार

दरअसल सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे पोस्ट्स वायरल हो रहे हैं, जहां ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाने वाली मुस्कान खान को सलमान खान और आमिर खान, तुर्की सरकार के साथ 5 करोड़ रुपये देंगे। कहा जा रहा है कि सलमान- आमिर 3 करोड़ जबकि तुर्की सरकार 2 करोड़ रुपये देगी। लेकिन आपको बता दें कि ऐसी सभी खबरें महज अफवाह हैं। यानी ये सभी फेक न्यूज हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।

फेक है पैसे देने की न्यूज

KoiMoi की एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘फैक्टली’ ने अपनी रिसर्च में दावा किया है कि तुर्की सरकार ने ऐसा कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, जिस में कहा गया है कि मुस्कान खान को ईनाम दिया जाएगा। तुर्की की वेबसाइट और तुर्की की नई दिल्ली एंबेसी की वेबसाइट में भी ऐसी कोई प्रेस रिलीज नहीं है। वहीं बात सलमान खान और आमिर खान की करें तो उनकी तरफ से भी कोई आधिकारिक बयान नहीं है। बल्कि दोनों ही सितारों ने अभी तक हिजाब विवाद पर टिप्पणी भी नहीं दी है।

उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर

बता दें कि कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के बीच उच्चतम न्यायालय में शनिवार को एक जनहित याचिका दायर की गयी जिसमें समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय अखंडता के वास्ते पंजीकृत शिक्षण संस्थानों में कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए समान पोशाक संहिता लागू करने का केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कर्नाटक सरकार से शिक्षण संस्थानों को खोलने के लिए कहा। अदालत ने इसके साथ ही निर्णय आने तक शिक्षण संस्थानों में कक्षाओं में किसी भी प्रकार की धार्मिक ड्रेस पहनकर आने पर रोक लगा दी थी।

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