जम्मू : देश के पूर्व गृहमंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी डा. रूबिया सईद आठ दिसंबर 1989 को हुए अपने अपहरण के मामले में शुक्रवार को पहली बार टाडा अदालत में पेश हुईं। इस दौरान उन्होंने कश्मीरी अलगाववादी नेता एवं जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के सरगना यासीन मलिक सहित तीन अन्य की पहचान अपहरणकर्ता के रूप में की है। इसकी जानकारी जम्मू में सीबीआइ की वकील मोनिका कोहली ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान दी। आरोप है कि यासीन मलिक ने अपने साथियों संग मिलकर डा. रूबिया सईद का अपहरण किया था।
यासीन मलिक के अलावा इस केस में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी भी आरोपित हैं। इस पूरे मामले की सुनवाई कर रही टाडा कोर्ट जम्मू ने पिछली सुनवाई के दौरान डा. रूबिया सईद को पेश होने का निर्देश दिया था।
निर्देशानुसार रूबिया सईद शुक्रवार सुबह करीब साढ़े दस बजे जानीपुर स्थित हाईकोर्ट परिसर स्थित टाडा कोर्ट में पेश हुई। रूबिया सईद के पहुंचने के बाद अदालत के दरवाजे बंद कर दिए गए और बंद कमरे में केस की सुनवाई हुई। अदालत में केवल केस से जुड़े गवाहों के अलावा संबंधित वकील ही मौजूद रहे।
सीबीआइ की वकील मोनिका कोहली ने कहा कि 1989 अपहरण का मामले में गवाह रूबिया सईद (पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बहन) का बयान आज अदालत में दर्ज किया गया। उसने (यासीन मलिक) को पहचान लिया है। सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त है। उसने कुल चार आरोपियों की पहचान की है।
रूबिया सईद का प्रतिनिधित्व कर रहे एक अन्य वकील अनिल सेठी से जब पूछा गया कि क्या रूबिया सईद ने 1989 के मामले में यासीन मलिक सहित अपने सभी अपहरणकर्ताओं की पहचान की है तो उन्होंने कहा कि हां, वह सीबीआइ जांच के दौरान उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के आधार पर सभी की पहचान की है। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 23 अगस्त है। बता दें कि यासीन मलिक कह रहा था कि उसे जिरह के लिए व्यक्तिगत रूप से जम्मू लाया जाए। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसे अगली तारीख पर जम्मू लाया गया है या नहीं।
टाडा कोर्ट जम्मू ने 29 जनवरी, 2021 को इस मामले में यासीन मलिक व अन्य को आरोपित करार दे दिया था। इस बहुचर्चित मामले में अब टाडा कोर्ट मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी व महबूबा मुफ्ती की बहन डा. रूबिया सईद समेत तीन गवाहों के बयान दर्ज कर रही है। इस मामले में डा. रूबिया के अलावा फेस्पी व डा. शहनाज चश्मदीद गवाह है और इन तीनों को तलब किया गया है।
डा. रूबिया सईद के अपहरण को लेकर श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में आठ दिसंबर, 1989 को रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके अनुसार रूबिया सईद ट्रांजिट वैन में ललदद अस्पताल श्रीनगर से नौगाम स्थित अपने घर जा रही थी। वह एमबीबीएस करने के बाद अस्पताल में अपना इंटरनशिप कर रही थी। ट्रांजिट वैन लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी। जब वैन चानपूरा चौक के पास पहुंची, उसमें सवार तीन लोगों ने बंदूक के दम पर वैन को रोक लिया और उसमें सवार मेडिकल इंटर्न रूबिया सईद को उतारकर किनारे खड़ी नीले रंग की मारुति कार में बैठा लिया। उसके बाद मारुति वैन कहां गई, किसी को पता नहीं चला।
अपहरण के करीब दो घंटे बाद जेकेएलएफ के जावेद मीर ने एक स्थानीय अखबार को फोन करके जानकारी दी कि जेकेएलएफ ने भारत के गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण कर लिया है, जिससे चारो ओर कोहराम मच गया था। सीबीआइ को इस मामले की जांच सौंपी गई। जांच पूरी होने के बाद 18 सितंबर, 1990 को जम्मू की टाडा कोर्ट में आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया गया।
पांच खूंखार आतंकी किए गए थे रिहा :
डा. रूबिया सईद को रिहाई के बदले में जेकेएलएफ ने अपने पांच आतंकियों को रिहा करने की शर्त रखी थी। अपहरण के 122 घंटे बाद 13 दिसंबर को सरकार ने पांच आतंकियों, हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर व शेर खान को रिहा किया था जिसके बाद डा. रूबिया को छोड़ा गया। उसी रात विशेष विमान से रूबिया सईद को दिल्ली ले जाया गया जहां हवाई अड्डे पर तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद समेत परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। शुरू में जेकेएलएफ की तरफ से रूबिया को छोड़ने के बदले 20 आतंकियों की रिहाई की मांग की गई लेकिन बाद में इसे कम करके सात आतंकियों की रिहाई की मांग होने लगी। अंत में डा. रूबिया की रिहाई के बदले में पांच आतंकियों को रिहा किया गया।