Kanpur Bank Locker: सीसीटीवी फुटेज का नजारा देख दंग रह गई पुलिस, ड्रिल मशीन के साथ दिखे बैंक मैनेजर और लाकर इंचार्ज
कानपुर। सेंट्रल बैंक इंडिया की कराचीखाना स्थित शाखा के बैंक लाकर से जेवरात चोरी होने की वारदातों में पुलिस को जांच में बड़ी कामयाबी मिली है। अब तक हुई जांच में बैंक मैनेजर राम प्रसाद और लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय पर ही शक गहरा गया है। एक तरह से पुलिस को पर्याप्त सबूत मिल गए, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इन दोनों अफसरों ने इस बड़ी वारदात को अंजाम दिया। खास बात यह है कि लाकर कंपनी के कर्मचारियों ने भी दोनों अफसरों को संदिग्ध बताया है। नए घटनाक्रम के बाद पुलिस ने बैंक मैनेजर को हिरासत में ले लिया है, जबकि लाकर इंचार्ज की तलाश में एक टीम प्रयागराज भेजी गई है।
लाकर से जेवर चोरी होने के मामले के पर्दाफाश में जुटी पुलिस ने बैंक के सीसीटीवी फुटेज के लिए कंट्रोल रूम का डीवीआर अपने कब्जे में कर लिया था। इधर जांच में सामने आया कि 9 दिसंबर 2021 को बैंक ने निष्प्रयोज्य पड़े लाकरों को तोड़ा था। बैंक रिकार्ड चेक किया गया तो सामने आया कि उस दिन 29 लाकर तोड़े गए थे। ऐसे में पुलिस ने 9 दिसंबर 2021 का सीसीटीवी फुटेज खंगाला तो नजारा देख सभी दंग रह गए।
वीडियो में दिखाई पड़ा कि बैंक मैनेजर रामप्रसाद और लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय ने ड्रिल मशीन के साथ लाकर रूम में प्रवेश किया। उनके साथ लाकर कंपनी के दो कर्मचारी भी थे। इस दौरान उनके पास एक बैग दिखाई दिया। वहीं यह भी सामने आया कि इस दौरान लाकर कंपनी के कर्मचारी लाकर रूम से बाहर आ गए, जबकि दोनों बैंक अफसर लाकर रूम में ही रहे।
शक इस बात भी गहराया कि अफसर एक बैग लेकर गए थे, ताकि निष्प्रयोज्य लाकर से मिले माल को उसमें रखा जा सके, लेकिन वह जब बाहर आए तो उनके हाथ में एक नहीं दो बैग थे। इसके बाद पुलिस ने लाकर कंपनी के उन दोनों कर्मचारियों को बुलाकर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि नियमानुसार लाकर तोड़े जाने के वक्त उनका वहां रहना जरूरी था, जबकि उन्हें बाहर निकाल दिया गया।
दस अतिरिक्त लाकर तोड़े डाले
लाकर कंपनी के कर्मचारियों ने पुलिस को जो बताया है कि उसके मुताबिक जो रिकार्ड में बताया जा रहा है, वह गलत है। उस दिन 29 नहीं बल्कि 39 लाकर तोड़े गए थे। यानी निष्प्रयोज्य लाकर तोड़े जाने की आड़ में ऐसे लाकर भी तुड़वा दिए गए जो कि एक्टिव थे। माना जा रहा है कि चिन्हित लाकर से जो मिला वह सरकारी खजाने में जमा करा दिया, जबकि अन्य दस के लाकर का सामान दोनों अधिकारी दबा गए। कंपनी के कर्मचारियों ने उन दस लाकरों की शिनाख्त भी करा दी है, जो कि अतिरिक्त थे।
दो लाकर धारक झूठ बोल रहे, जबकि तीन अभी बाकी
पुलिस सूत्रों के अनुसार इस पड़ताल के बाद जो सामने आया कि अब तक सामने आए नौ लाकर धारकों में से दो जेवर चोरी होने का झूठा आरोप लगा रहे हैं। पुलिस उस दिशा में भी काम कर रही है। वहीं तीन ऐसे लाकर धारक हैं, जो कि अभी तक नहीं आए हैं। पुलिस जल्द ही उनसे संपर्क कर लाकर खोलने के लिए कहेगी।
14 मार्च नहीं बल्कि जनवरी में सामने आया था पहला मामला
अब तक यही माना जा रहा था कि सेंट्रल बैंक के लाकर से जेवर चोरी का पहला मामला 14 मार्च को सामने आया है, लेकिन ऐसा नहीं है। पहला मामला जनवरी को सामने आया था। सीता देवी को जनवरी में ही पता चल गया था कि उनके लाकर से जेवर चोरी हो गए हैं। उन्हें बैंक अधिकारियों ने धमका कर भगा दिया गया था। मंजू भट्टाचार्य के मामले मुकदमा दर्ज होने के बाद सीता पुलिस अधिकारियों के पास पहुंची थी।