‘नफीसा’ खोलेगी सफेदपोश रसूखदारों के कुकर्मों की पोल! मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड पर बनेगी फिल्म
पटना. मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न कांड… ऐसी घटना जिसने न सिर्फ हमारे सभ्य समाज का हिस्सा होने के दावे को कलंकित कर दिया था बल्कि बिहार की सियासत की चूलें तक हिला दी थी. हालांकि, इस कांड के मुख्य दोषी ब्रजेश ठाकुर सहित 19 को सजा हो चुकी है. अब इस मामले में बिहार सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की पीड़िताओं के मुआवजा भुगतान से संबंधित रिपोर्ट सौंपी है.
सरकार ने दावा किया है कि 49 पीड़िताओं को तीन से नौ लाख रुपये तक की मुआवजा राशि दी जा चुकी है. दरअसल, यह ऐसा मामला था जिसने एकाएक देश ही नहीं विदेशों में भी सुर्खियां बटोर ली थी.
इस केस से उस सच्चाई पर से पर्दा उठा दिया जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि किस कदर सफेदपोश रसूखदार सरकारी सिस्टम की खामियों का बेजा इस्तेमाल करते हैं और बच्चियों तक को दरिंदगी का शिकार बनाते हैं. अब इस मामले में नई खबर यह है कि यह सच्ची घटना फिल्मी पर्दे पर आएगी.
मिली जानकारी के अनुसार सत्य घटनाओं पर आधारित क्रिएटिव वर्क करने वाले राइटर और डायरेक्टर कुमार नीरज इसे हिंदी फिल्म ‘नफीसा’ के जरिए पर्दे पर दिखाने जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कुमार नीरज के अनुसार उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से एक है, जिसपर कई महीनों से काम चल रहा था.
कुछ निजी कारणों और कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के कारण यह प्रोजेक्ट कुछ समय के लिए रुक गया था. लेकिन, इस हिंदी फिल्म की शूटिंग मार्च से शुरू होने जा रही है.
कुमार नीरज के अनुसार ‘नफीसा’ बिहार के शेल्टर में हुई घटना को पर्दे पर जीवंत करेगी और असली सच्चाई भी बताएगी. इस फिल्म की प्रोड्यूसर वैशाली देव, वीणा शाह, मुन्नी सिंह और खुशबू सिंह हैं.
फिल्म की शूटिंग मार्च से शुरू होगी, लेकिन लोगों में अभी से ही इसे देखने और इसके बारे में जानने को काफी उत्सुकता है. बहरहाल, देखना ये है कि कुमार नीरज अपनी इस फिल्म के जरिये लोगों को क्या संदेश देते हैं. बता दें कि कुमार नीरज इससे पहले गैंग्स ऑफ बिहार बनाकर सुर्खियां बटोर चुके हैं.
बता दें कि मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में रहने वाली बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न व मारपीट को लेकर महिला थाने में पॉक्सो एक्ट में 31 मई 2018 को केस दर्ज कराया गया था. इसके बाद सरकार ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपी दी. जांच के बाद सीबीआई ने 20 लोगों को आरोपित किया.
इनके खिलाफ दिल्ली के साकेत कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की. इसके बाद कोर्ट ने 19 आरोपितों को सजा सुनाई. एक की सजा अवधि पूरी हो गई थी इसलिए उसे रिहा कर दिया. उक्त दोषी एनजीओ को तत्काल प्रभाव से बंद करा दिया गया था.