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नकली दूल्‍हा, झुठी दुल्‍हन और पुलिसवालों की फर्जी सगाई, मेरठ में ऐसे खुली मैरिज ब्‍यूरो की पोल

मेरठ। fake marriage bureau मेरठ में फर्जी मैरिज ब्‍यूरो के राजफाश के बाद हड़कंप की स्‍थिति है। गोपाल प्लाजा में विवाह पंजिका केंद्र पर क्राइम ब्रांच में तैनात एक सिपाही और महिला कांस्टेबल ने भी मोबाइल काल से संपर्क किया।

दूल्हा पसंद करने के लिए बुलाया

उसके बाद सिपाही को लड़की देखने और महिला कांस्टेबल को दूल्हा पसंद करने के लिए बुलाया गया। दोनों ने केंद्र पर साढ़े आठ हजार की रकम अलग अलग देकर रजिस्टेशन कराया। उसके बाद महिला सिपाही होने वाले दूल्हे से मिली है, जबकि सिपाही मंगेतर से मिला।

एक दूसरे को दिया मोबाइल नंबर

सभी ने एक दूसरे को अपना मोबाइल नंबर दे दिया। उसके बाद मोबाइल पर बातचीत शुरू हो गई। इसी बीच फर्जी मंगेतर ने सिपाही से मोबाइल खराब होने का बहाना किया। दूसरे मोबाइल नंबर से काल कर पेटीएम कोर्ड भेजा, जिस पर मोबाइल खरीदने के लिए रकम स्थानांतरण करने की मांग की। सिपाही ने कोई रकम नहीं भेजी। बल्कि पुलिस की टीम लेकर जाकर केंद्र पर छापा मार दिया।

लड़की को दस हजार और परिवार के एक सदस्य को 250 रुपये

एसपी क्राइम ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों ने बताया कि नीरज गर्ग ने सभी लड़कियों को दस-दस हजार प्रति माह की नौकरी पर रखा हुआ है। लड़कियों का परिवार बनने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक ग्राहक पर 250 रुपये दिए जाते थे। उसके बाद लड़कियां शादी करने वाले युवकों से फोन पर बातचीत करते हुए रकम अपने खातों में डलवा लेती थी।

ऐसे करते थे शादी के नाम पर ठगी

मीडिया में विज्ञापन देते थे, जिस पर फोन नंबर लिखा होता था। फोन नंबर पर काल करने वालों को शादी कराने का झांसा दिया जाता था। रजिस्टेशन के नाम पर सबसे पहले साढ़े आठ हजार वसूले जाते थे। उसके बाद लड़की और परिवार से बातचीत करने पर रिश्ता पक्का कर दिया जाता था। लड़के पक्ष को बताया जाता था कि जब रिश्ता पक्का हो गया तो दुल्हन को खाली हाथ ही घर जाने दोंगे। तभी रिश्ता करने आया परिवार लड़की को 1100 से लेकर 11000 की रकम भी देते थे। उसके बाद लड़की मोबाइल नंबर पर लड़के से बात करने लगती थी।

बाद में बात करना भी छोड़ देते

उसे एक दो दिन बाद अलग अलग कहानी बनाकर खाते में रकम डलवा ली जाती थी। कभी बीमारी का बहना बनाया जाता था। कभी मोबाइल खराब होने की बात कही जाती थी। रकम नहीं डालने पर उससे बात करनी छोड़ दी जाती थी। लड़का जबरन बात करने का दबाव बनाता था,तो उसे छेड़छाड़ और दुष्कर्म में जेल भेजने की धमकी दी जाती थी।

नीरज गर्ग अक्सर पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के आफिस में बैठा रहता था। इसलिए उसने फर्म का भी रजिस्ट्रेशन तक नहीं लिया और धंधा शुरू कर दिया था। रजिस्ट्रेशन कार्यालय में भी पुलिस को विवाह केंद्र का कोई रिकार्ड नहीं मिला है। दुकान से मिले कागजात और लेपटाप से काफी जानकारी मिली है।

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