Meerut : बसपा नेता और पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी, उनके दोनों बेटों और पत्नी के गैर जमानती वारंट कोर्ट ने जारी किए हैं। हाजी याकूब की मीट फैक्ट्री में अवैध रूप से मीट पैकिंग की जा रही थी, जिसकी सूचना पर दबिश देकर फैक्ट्री सील की गई थी। इस मामले में हाजी याकूब और उनके परिवार समेत 14 आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। वहीं, दूसरी ओर हाजी याकूब पक्ष इस मामले में हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे का प्रयास कर रहा है।
मुकदमा दर्ज होने के बाद परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए दो सीओ और आठ दरोगा की टीम लगाई गई है। साथ ही पुलिस ने हाजी याकूब, दोनों बेटों और पत्नी के खिलाफ गैर जमानती वारंट के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। शुक्रवार को एसीजेएम-5 ने हाजी याकूब, बेटे फिरोज, इमरान और पत्नी शमजिदा के गैर जमानत वारंट जारी कर दिए हैं। इसके बाद पुलिस इनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है, लेकिन घर छोड़कर याकूब परिवार फरार है। सूत्रों की मानें तो हाजी याकूब का परिवार शहर छोड़ चुका है। पुलिस अब रिश्तेदारों की जानकारी करने में जुटी है।
क्या है मामला
हाजी याकूब कुरैशी की हापुड़ रोड पर खरखौदा इलाके में मीट फैक्ट्री है। वर्ष 2017 में इसे सील किया गया था। 31 मार्च को फैक्ट्री में पुलिस-प्रशासन की टीम ने छापा मारा तो वहां अवैध रूप से मीट पैकिंग का खुलासा हुआ। पुलिस ने मौके से 10 लोगों को पकड़ा था। इसके बाद हाजी याकूब, उनके दोनों बेटों इमरान व फिरोज और पत्नी समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
मीट फैक्ट्री ध्वस्तीकरण को नोटिस जारी
हाजी याकूब कुरेशी की मीट फैक्ट्री के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी तेज हो गई है। मीट फैक्ट्री को लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण ने पूर्व मंत्री के सराय बहलीम स्थित आवास पर नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि सार्वजनिक भूउपयोग पर फैक्ट्री का निर्माण किया गया है। 15 दिन का में संतोषजनक जवाब ना मिलने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। मेरठ विकास प्राधिकरण पूर्व में इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करके विधिक राय मांगी थी। कोर्ट की ओर से विधिक राय के साथ जानकारी दी गई जिसके बाद एमडीए ने नोटिस जारी कर दिया।
एसएसपी मेरठ प्रभाकर चौधरी ने बताया कि हाजी याकूब कुरैशी और उनके परिवार के नामजद सदस्यों के गैर जमानती वारंट जारी करा लिए गए हैं। गिरफ्तारी के लिए टीम लगी है। पुलिस मुकदमे में भी साक्ष्य संकलन कर रही है, ताकि आरोपियों को सजा दिलाई जा सके।
याकूब कुरैशी : कभी सियासत में धमक, आज चारों ओर शिकंजा
मेरठ नगर निगम में पार्षद बन राजनीति का सफर शुरू करने वाले हाजी याकूब कुरैशी की कभी मेरठ के साथ-साथ प्रदेश में तूती बोलती थी। अपनी दबंग राजनीति की बदौलत वह सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए। सियासत में उनका सफर डिप्टी मेयर से प्रारंभ हुआ और फिर वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी बने। चार चुनाव हारने के बाद अचानक उनका राजनीतिक ग्राफ गिरता चला गया। तमाम सिफारिशों और पैरवी के बाद भी वह अपने करीबियों या परिजनों को टिकट दिलाने में नाकाम रहे।
याकूब कुरैशी का पुश्तैनी काम गुड़ का था। उनके पिता फईमुद्दीन कुरैशी शहर के प्रसिद्ध लोगों में थे। वह गुड़ का व्यवसाय करते थे। आज भी कबाड़ी बाजार में उनकी दुकान है जो किराये पर दी हुई है। याकूब ने शुरू में गुड़ का कार्य किया। फिर प्रापर्टी डीलर बने और फिर मीट व्यवसायी बन गए।
याकूब कहां से कहां तक
– 1995 में नगर निगम के पार्षद बने और फिर डिप्टी मेयर बने
– गृहकर समिति के चेयरमैन होने के नाते उन्होंने धार्मिक संस्थानों को गृहकर के दायरे से बाहर किया
– 2002 में वह बसपा की सियासत में आए और प्रदेश सरकार में मंत्री बने।
– 2012 (सरधना), 2014 (मुरादाबाद) 2017 (मेरठ दक्षिण) से विधानसभा चुनाव हारे।
– 2019 में मेरठ लोकसभा से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
डेनमार्क के कार्टून प्रकरण से छाये
वर्ष 2006 में डेनमार्क कार्टून प्रकरण से हाजी याकूब कुरैशी अचानक सुर्खियों में आ गए। मेरठ कलक्ट्रेट में प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कार्टूनिस्ट के सिर पर 51 करोड़ का इनाम घोषित कर दिया। देखते ही देखते वह बड़े नेता बन गए और सियासत के फलक तक छा गए। अब इस प्रकरण में चार्जशीट खंगाली जा रही है और सरकार के जवाब का इंतजार है।