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पूर्व सांसद उमाकांत यादव को उम्रैकद, जीआरपी सिपाही की हत्या में 27 साल बाद फैसला

जौनपुर. पूर्व सांसद उमाकांत यादव को सोमवार को जौनपुर की अदालत से बड़ा झटका लगा है। उमाकांत को जीआरपी सिपाही की हत्या में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। खचाखच भीड़ के बीच अपर सत्र न्यायाधीश (तृतीय)/ विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) शरद कुमार त्रिपाठी ने उमाकांत के साथ ही सात दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मुख्य आरोपी उमाकांत को 5 लाख और अन्य को 20-20 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।

मामला 27 साल पुराना है। 1995 में चालक को शाहगंज जंक्शन पर रेलवे चौकी से छुड़ाने के लिए उमांकात और उनके साथियों ने फायरिंग की थी। इसमें जीआरपी सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई थी। सिपाही लल्लन समेत तीन लोग घायल हुए थे।

वारदात के बाद उमाकांत समेत अन्य के खिलाफ हत्या व हत्या के प्रयास के अलावा बल्वा की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया था। उमाकांत यादव को शनिवार को अदालत ने दोषी ठहराया था। सभी दोषियों को कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया गया था और फैसले के लिए सोमवार की तारीख तय की गई थी।

यह है पूरा मामला

चार फरवरी, 1995 को दोपहर दो बजे शाहगंज जंक्शन पर पूर्व सांसद उमाकांत यादव के समर्थकों ने राइफल, पिस्टल व रिवाल्वर से अंधाधुंध फायरिंग करते हुए जीआरपी के लॉकअप में बंद चालक राजकुमार यादव को जबरन छुड़ा लिया। गोलीबारी में जीआरपी सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई थी। गोली लगने से रेलकर्मी निर्मल लाल, यात्री भरत लाल व लल्लन सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जीआरपी सिपाही रघुनाथ सिंह की तहरीर पर पूर्व सांसद उमाकांत यादव, चालक राजकुमार यादव, धर्मराज यादव, महेंद्र, सूबेदार, बच्चू लाल समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

पूरा मामला एमपी-एमएलए कोर्ट प्रयागराज स्थानांतरित किया गया। हाईकोर्ट के निर्देश पर मामले को जौनपुर दीवानी न्यायालय में भेजा गया। यहां अपर सत्र न्यायाधीश (तृतीय)/विशेष न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी ने एमपी एमएलए कोर्ट में बहस सुनी।

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