SBI ने बदला गर्भवती महिलाओं की भर्ती का नियम, आयोग ने जारी किया नोटिस
नई दिल्ली. देश के सबसे बड़े बैंक SBI के महिला कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर नियमों में किए बदलाव पर बवाल शुरू हो गया है. एसबीआई ने 3 महीने से ज्यादा प्रेग्नेंट महिला को अस्थायी रूप से अनफिट करार देते हुए नियुक्ति पर रोक लगा दी. इसके बाद दिल्ली महिला आयोग ने बैंक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
SBI ने अपने सर्कुलर में कहा था कि 3 महीने से ज्यादा अवधि की प्रेग्नेंट महिला को तत्काल नई नियुक्ति नहीं दी जा सकती है. वे डिलीवरी के चार महीने बाद नौकरी ज्वाइन कर सकती हैं. तब तक उन्हें अस्थायी रूप से अनफिट माना जाएगा.
इस विवादित नियम पर CPI के सांसद बिनोय विश्वम ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भी लिखा है. उन्होंने कहा, ये कैसा महिला सशक्तीकरण है जहां प्रेग्नेंट होने पर उसे अनफिट करार दे दिया जाता है. यह महिलाओं के साथ वर्कप्लेस पर भेदभाव है.
आयोग ने बताया भेदभाव वाला कानून
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने एसबीआई के नए नियम को महिलाओं के साथ भेदभाव करने वाला कानून बताया है. उन्होंने कहा, 3 महीने से ज्यादा की प्रेग्नेंसी पर महिला को अनफिट करार देना उसके मातृत्व अधिकारों का हनन है. हम उन्हें नोटिस जारी कर इस महिला विरोधी कानून को वापस लेने की मांग करते हैं. साल 2009 में भी बैंक ने इसी तरह का कानून लादने की कोशिश की थी, जिसे बाद में वापस लेना पड़ा था.
प्रमोशन पर भी पड़ सकता है असर
आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमन एसोसिएशन (AIDWA) ने नए नियम की आलोचना करते हुए कहा कि इससे महिला कर्मचारियों के प्रमोशन पर भी असर पड़ सकता है. वैसे तो नया नियम 21 दिसंबर, 2021 से लागू हो चुका है, लेकिन प्रमोशन के मामले में यह 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होगा. इसके बाद से महिला कर्मचारियों का प्रमोशन प्रभावित हो सकता है. अभी तक 6 महीने की गर्भवती महिला को भी बैंक ज्वाइन करने का नियम था.
बैंक संगठनों ने भी उठाई आवाज
आल इंडिया एसबीआई एम्प्लाइज एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी केएस कृष्णा ने एसबीआई मैनेजमेंट को लिखे पत्र में नई गाइडलाइ वापस लेने की अपील की है. उन्होंने कहा कि नया नियम पूरी तरह महिला विरोधी है और यह महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है. प्रेग्नेंसी को किसी भी तरह से अनफिट नहीं करार दिया जा सकता. किसी महिला को अपने बच्चे की डिलीवरी या नौकरी में से एक चुनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, क्योंकि दोनों ही उसके अधिकार हैं.