हैरानी! लाखों की लग्जरी बस बिक रही है 45 रुपये किलो, कबाड़ के दाम बेच रहे हैं बस मालिक
कोरोना महामारी (Corona Epidemic) ने लोगों की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर डाला है. लोगों के रोजगार चले गए, जो बिजनेस करते थे, उनका व्यापार ठप पड़ गया. कई लोग अपने घरों के सामान को बेचते भी नजर आए.
अब एक ऐसी ही बानगी देखने को मिल रही है केरल के कोच्चि में. यहां के रहने वाले रॉयसन जोसेफ (Royson Joseph) ने अपनी लग्जरी बसों (Luxury Bus) को कबाड़ के भाव से बेचने का फैसला किया है.
रॉयसन के पास 20 लग्जरी बसें थीं, जिनमें से अब 10 लग्जरी बसें महज 45 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है. बिल्कुल सही पढ़ा आपने. इन बसों के पार्टस को कबाड़ के तौर पर 45 रुपये किलो बेचा जा रहा है.
रॉयसन जोसेफ के मुताबिक, ‘उनके लिए जिंदगी जीना कठिन हो रहा है. कोरोना माहामारी से पहले अलग-अलग साइज की कुल बीस बसें थीं, अब दो साल बाद उनके पास 10 बसें ही बची हैं. अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में वे बची हुई बसों को भी ऐसे ही बेच देंगे.’
आखिर क्यों कबाड़ के दाम पर बेचने को हुए मजबूर
रॉयसन जोसेफ ने आएनस (IANS) को बताया, ‘चीजें वास्तव में कठिन हो गई हैं. मुझे और मेरे परिवार की स्थिति वास्तव में खराब है. मेरी सभी बसों पर 44,000 रुपये का टैक्स है और लगभग 88,000 रुपये का बीमा है जिसका भुगतान करना पड़ता है.
पिछले हफ्ते जब रविवार को लॉकडाउन हुआ था, यहां तक कि जब नियमों में स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया था कि पहले से बुक की गई यात्रा संभव है, मुझे कोवलम की एक पर्यटक यात्रा के दौरान पुलिस द्वारा 2,000 रुपये का जुर्माना देने के लिए कहा गया था.
हमें बिना किसी कारण के परेशान किया जा रहा है और आज एक बटन के क्लिक पर अगर वाहन पंजीकरण संख्या अधिकारियों द्वारा दर्ज की जाती है. अगर हमारे कागजात क्रम में हैं, तो वे प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इन सबके बावजूद, हमें लूटा जा रहा है.’
दूसरे बस मालिक भी बेच रहे हैं
टीएनएम (TNM) को दिए गए इंटरव्यू में कॉन्ट्रेक्टर कैरिज ऑनर्स एसोसिएशन (CCOA) के चेयरमैन बीनू जॉन (Binu John) का कहना है, पहली बार नहीं हुआ है कि कोई बस मालिक ऐसे बस बेच रहा है. इससे पहली भी ऐसा हो चुका है. टूरिस्ट बसों का वजन करीब 8 से 9 टन होता है.
ऐसे में बस मालिक को स्क्रैप बेचने पर 4 से 5 लाख रुपये मिल जाते हैं.’ बीनू जॉन का कहना है कि बस मालिक ऐसे बसों को इस तरह बेचते हैं, जो लोन पर नहीं लिया गया है. इनके स्क्रैप बेचकर बस मालिक लोन पर ली गई बसों का ईएमआई भरते हैं.
बस मालिकों के सामने मुसीबत
बीनू जॉन ने आगे बताया, ‘मैं भी अपने तीन बसों को ऐसे ही बेच चुका हूं और दो और बसों को बेचने की तैयारी में हूं. हम ऐसा केवल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कर रहे हैं. ‘ इस वक्त सभी बस ऑपरेटर परेशानी में चल रहे हैं. जॉन ने खुलासा करते हुए कहा, ‘साल 2020 में सीसीओए (CCOA) में सदस्यों की संख्या 3,500 थी, लेकिन किसी ने भी अपनी मेंबरशिप को रिन्यू नही करवाया है.
’ईएमआई के समय पर भुगतान नहीं होने से अब तक कई बसों को जब्त कर लिया गया है. जॉन का कहना है, ‘ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को ईएमआई के भुगतान के नियम में बदलाव करना चाहिए. मासिक किश्तों का भुगतान न कर पाने की वजह से पिछले दो महीनों में सीसीओए के सदस्यों की 2 हजार से ज्यादा बसों को जब्त किया गया है.’
जॉन बीनू कहते हैं, ‘केरल सरकार के कर संग्रह के नियम की वजह से वे एक और समस्या का सामना कर रहे हैं. हमें कर के रूप में कम से कम 15,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा, जिसका अर्थ है कि हमें प्रति दिन 500 रुपये कमाना होगा.
COVID-19 के कारण सप्ताहांत के कर्फ्यू और यात्रा रद्द होने के कारण, सभी दिन बसें नहीं चलती हैं, और हमें काम करने वालों के खर्चों का भी ध्यान रखना पड़ता है. इसलिए, अंत में, हमारे पास कुछ भी भुगतान करने के लिए पैसे नहीं बचता.’