बिहार की राजनीति में सियासी हलचल धीमी नहीं हुई है। समीकरण बदलने के साथ ही एक-एक दिन अहम हो गया है। कैबिनेट विस्तार पर अटकलों के बीच विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा का सियासी दांव महागठबंधन के लिए मुश्किलें बढ़ाता दिख रहा है। हालांकि, सत्तारूढ़ दलों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन विधानसभा सत्र के लिए 24 अगस्त तक का इंतजार भारी पड़ सकता है।
विजय कुमार सिन्हा ने ऐसे बदला सियासी हाल
सरकार बदलने के साथ ही अध्यक्ष के इस्तीफा देने की संभावनाएं ज्यादा होती है, लेकिन सिन्हा के मामले में ऐसा नहीं है। उन्होंने पद छोड़ने से मना कर दिया है। अब उनके इस कदम के बाद महागठबंधन ने भी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस विधानसभा सचिव को दे दिया। हालांकि, आंकड़े महागठबंधन के पक्ष में हैं और ऐसे में सिन्हा का पद से जाना लगभग तय है।
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राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शपथ लेने के बाद दो मंत्रियों की कैबिनेट की बैठक बुलाई। फैसला किया गया कि विश्वास मत हासिल करने के लिए 24 अगस्त को सत्र बुलाया जाएगा। अब सवाल है कि जब महागठबंधन के साथ 164 विधायकों का समर्थन है, तो विश्वास मत के लिए एक पखवाड़ा क्यों लग रहा है?
अब समझें देरी क्यों हो रही है
इस नोटिस के चलते ही महागठबंधन को 15 दिनों का इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी कहते हैं कि नियमों के अनुसार, नोटिस को जमा किए जाने के 14 दिन बाद ही उसपर चर्चा हो सकती है और सत्र शुरू होने पर यह सबसे पहला एजेंडा होगा। उन्होंने कहा, ‘मुझे भी पता चला है कि महागठबंधन ने अविश्वास नोटिस दिया है। ऐसे में 14 दिनों का समय 23 अगस्त को खत्म हो रहा है और सत्र 24 अगस्त को होगा।’
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उन्होंने बताया, ‘उस दिन सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर नोटिस पर चर्चा सबसे पहले की जाएगी। जब अविश्वास प्रस्ताव लिया जाता है, तो स्पीकर खुद अध्यक्षता नहीं कर सकता। ऐसे में डिप्टी स्पीकर काम संभालेंगे।’ विधानसभा में जदयू नेता महेश्वर हजारी डिप्टी स्पीकर हैं।
क्या कहते हैं जदयू के नेता
नीतीश कुमार की पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्पीकर या भाजपा विश्वास मत को केवल टाल सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘महागठबंधन एक है। सबकुछ पहले ही तय हो चुका है। मंत्रियों के लिए विभाग आवंटित हो गए हैं और किस पार्टी को कैबिनेट में कितनी बर्थ मिलेंगी, इसपर भी चर्चाएं हो चुकी हैं। लेकिन जहां तक नेताओं की बात है कांग्रेस और राजद दिल्ली में बैठे अपने आलाकमान से विचार विमर्श कर चीजों को अंतिम रूप देंगे।’ उन्होंने कहा, ‘सीपीआई-एमएल को भी फैसला लेना है। यह कोई मुद्दा नहीं है।’