सात बार केंद्रीय मंत्री रहने के बावजूद भी जनेश्वर मिश्र पे नहीं थी कोई गाड़ी
हिन्दमोर्चा न्यूज़ तहसील रिपोर्टर ख़ालिद नफ़ीस बेल्थरा रोड बलिया
अरशद हिंदुस्तानी कवि
कैसे भुलाएगा कोई जनेश्वर जी आपको
सिचा है अपने खून से इस गुलसितान को
अरशद ये बात सारे जमाने से पूछ लो
जनेश्वर जी पर अपने नाज़ है हिंदुस्तान को
बागी बलिया के मशहूर शायर व शिक्षा एक समान के जांबाज सिपाही अरशद हिंदुस्तानी ने पंडित जनेश्वर मिश्र के जन्मदिन पर उनकी जीवनी को याद किया ।
पंडित जनेश्वर मिश्र का जन्म 5 अगस्त 1933 में हुआ उनकी मृत्यु 22 जनवरी 2010 में हुई पंडित जनेश्वर मिश्र का जन्म जनपद बलिया के ग्राम शुभनाथीन में हुआ था। इनकी शिक्षा BA/LLB वह समाजवादी पार्टी के एक राजनेता के रूप में थे जिनको छोटे लोहिया के नाम से भी जाना जाता है इनके पिता का नाम श्री रंजीत मिश्रा थे उनका जीवन हमेशा सादगी भरा रहा है वह शोषित गरीब उत्पीड़न जैसे लोगों के प्रति अच्छी सोच रखते थे।
उनके जीवन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण डॉ राम मनोहर लोहिया के व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ा डॉक्टर लोहिया के निजी सचिव की जिम्मेदारी के साथ साथ जनेश्वर मिश्र ने 1961 में समाजवादी युवजन सभा के महामंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाली
हिंदुस्तानी का कहना है कि डॉ राम मनोहर लोहिया के अनुयायी के रूप में जनेश्वर मिश्र इतने मशहूर हो गए कि 1969 में फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव में फूलपुर के लोगों ने नारा दिया लोहिया को तो जीता न सके छोटे लोहिया को जिताएंगे ।
इस प्रकार जनेश्वर मिश्र को छोटे लोहिया की उपाधि से विभूषित करने का श्रेय फूलपुर की सम्मानित जनता को जाता है।
जनेश्वर मिश्र ने 28 अगस्त 2009 को आगरा के लोहिया नगर में कहा कि समाजवादियों को देश की तकदीर बदलनी है तो भारी बलिदानों के लिए तैयार रहना होगा समाजवादियों को राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस चलानी चाहिए सिर्फ नेताओं के भाषण सुन लेने भर से सामाजिक आर्थिक परिवर्तन की राजनीति नहीं गरमाएगी उन्होंने कहा की जनता भूखी मार सहते सहते सो गई है जनता को जगाने की जरूरत है।