Ayodhya

शासन के आदेश बावजूद सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा हटवाने में रूचि नहीं ले रहे जलालपुर के अधिकारी

  • शहर से लेकर ग्रामीण में जगह-जगह भूमाफियाओं के विरूद्ध कार्यवाही न होने से बढ़ रहा हौसला

अंबेडकरनगर। सरकारी जमीनों पर किए गए अथवा किए जा रहे अवैध अतिक्रमण को हटाने में राजस्व प्रशासन के दिलचस्पी नहीं लेने से भूमाफियों के हौसले बुलंद है। उच्चाधिकारियों के आदेश निर्देश के बाद टीम गठित कर पैमाईश करने तक ही मामला सिमट रहा है।ऐसे ही अनेकानेक मामले एंटी भूमाफिया पोर्टल, आयुक्त, जिलाधिकारी, संपूर्ण और थाना समाधान दिवस की शोभा बढ़ा रहे है। हां राजस्व प्रशासन कुछ गरीब परिवारों का अवैध अतिक्रमण हटा कर जहां शासन को रिपोर्ट भेज खानापूर्ति कर रहे है वहीं अपनी पीठ ठप थपाकार खुशियां मना रहे हैं। भूमाफियों के चंगुल में कुछ ऐसी ही सरकारी जमीनों का उदाहरण लिखा जा रहा जिस पर दर्जनों शिकायतों के बाद कार्यवाही नहीं की गई। मामला जलालपुर तहसील के कुछ गांवों में स्थित सरकारी जमीनों का है जिस पर शिकायत के बाद कार्यवाही नहीं की जा रही है।
क्या है नियम
सरकारी संपत्तियों के नियमित देखभाल के लिए गांवों में लेखपाल की तैनाती होती है। इनकी जिम्मेदारी है कि ये सरकारी जमीनों को अवैध कब्जे से बचाए। यदि किसी ने अवैध अतिक्रमण किया है और पैमाईश के बाद वह सरकारी जमीन से अपना अवैध कब्जा नहीं हटा रहा है तो उसके विरुद्ध न्यायालय में मुकदमा दायर कर उसकी पैरवी कर अतिक्रमण हटाए। ऐसा कुछ जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है।गांव की बात छोड़िए मुख्य मार्गो पर स्थित सरकारी जमीनों का राजस्व कर्मियों ने मनमुताबिक सौदा कर उसपर पक्का मकान तक बनवा दिया है। लेखपाल सरकारी जमीनों के रखरखाव में पूरी तरह फेल नजर आ रहे हैं। जिसके वजह से तालाब, खलिहान घूर गड्ढा समेत अन्य जमीन भूमाफियों की गिरफ्त में जा रही है।
केस-एक
जलालपुर तहसील के रसूलपुर बाकरगंज ग्राम पंचायत में 137 बीघा जमीन भूदान कमेटी, ऊसर बंजर, खलिहान खेल मैदान तालाब आदि के रूप में दर्ज है। यहां के निवासी बाबा वीरेंद्र दास त्यागी बीते कई वर्षों से इन सरकारी जमीनों पर किए गए अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए मुख्यमंत्री दरबार से लेकर हर अधिकारियों से लिखित शिकायत दर्ज करा चुके है। शिकायत के बाद तहसील अधिकारी सरकारी जमीनों तक पहुंचते है। फोटो खिंचवाते है। मिलजुमला नंबर की रिपोर्ट लगाकर प्रकरण को निस्तारित कर अपने दायित्वों का इतिश्री कर लेते है।19 मार्च को बाबा वीरेंद्र दास ने पूरे कागजात लगाकर आयुक्त अयोध्या से शिकायत दर्ज कराई।माह भर बीत जाने के बाद मामला तहसील स्तर पर लटका हुआ है।
केस-दो
लाभापार ग्राम पंचायत के मुख्य मार्ग पर बेस कीमती सरकारी जमीन है जो बंजर खाता में दर्ज है।इसी जमीन पर गांव का ही भूमाफिया जबरिया अवैध कब्जा कर दीवाल आदि का निर्माण कर लिया है।ग्राम प्रधान अमित कुमार बीते तीन वर्षों से इस सरकारी जमीन भूमाफिया द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए मुख्यमंत्री समेत अन्य सभी उच्चाधिकारियों से फरियाद कर चुके है।दो दर्जन से अधिक शिकायतो के बाद सरकारी जमीन से अवैध अतिक्रमण तो नहीं हटाया गया किन्तु भूमाफियों ने अपने रसूख के बल पर इनके विरुद्ध क्रिमिनल केस दर्ज करा दिया।
केस-तीन
भिस्वा चितौना ग्राम पंचायत के मुख्य मार्ग समेत गांव में स्थित सरकारी जमीनों पर गांव के ही भूमाफियों ने अवैध कब्जा कर रखा है। घूर गड्ढा खलिहान समेत अन्य सरकारी जमीनों पर स्थाई और अस्थाई निर्माण लगातार किया जा रहा है। गांव निवासी सैनिक ने कई बार इसकी शिकायत दर्ज कराई। पूर्व सांसद रितेश पांडेय ने इस गांव के सरकारी जमीनों का मुद्दा सदन में उठाया किंतु आदेश तहसील पहुंच फाइल की शोभा बढ़ा रही है।
केस-चार
जलालपुर कस्बा में कबीर मठ के पीछे नवीन सब्जी मंडी रास्ते के बगल एक बीघा 17 बिस्वा की खतौनी तालाब के रूप में दर्ज है।इस तालाब की जमीन पर एक परिवार ने बड़ा सा दरवाजा लगाकर अपने घर के अन्दर कर लिया।इस तालाब की जमीन से अवैध कब्जा हटाने के लिए यहां के निवासियों ने कई बार शिकायत दर्ज कराई। अवैध कब्जा हटाने के बजाय राजस्व कर्मी तालाब पर कोई अतिक्रमण नहीं है कि फर्जी और मनगढ़ंत रिपोर्ट लगाकर अपनी जेब गर्म कर रहे है। उक्त तो कुछ उदाहरण है।कस्बा के सभी वार्डो से लेकर तहसील के 234 गांवों में सरकारी जमीनों पर प्रतिदिन अवैध कब्जा हो रहा है किंतु अधिकारियों के इच्छा शक्ति के अभाव के वजह से कार्यवाही गरीब परिवारों तक सिमट गया है।

यह बोले उपजिलाधिकारी
उपजिलाधिकारी पवन जायसवाल ने बताया कि ऐसे मामले संज्ञान में आने के बाद कार्यवाही की जाती है। टीम गठित कर जहां अवैध अतिक्रमण को हटाया जाता है और जहां जरूरत पड़ती है वहां मुकदमा दायर किया जाता है।

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