मेडिकल स्टोरों की जांच फिर भी प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री में ड्रग इंस्पेक्टर की भूमिका पर सवाल
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टाण्डा तहसील क्षेत्र के मेडिकल स्टोरों पर ऐसे दवाओं के कारोबार से मालामाल हो रहे संचालक
टांडा,अम्बेडकरनगर। क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित मेडिकल स्टोरों के विरूद्ध कार्यवाही न होने से लोगों में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं इन मेडिकल स्टोरो पर सभी प्रकार की दवाएं बेंची जा रही है टांडा क्षेत्र के कटोखर, हंसवर, हीरापुर, हरसम्हार, सुलेमपुर, मुबारकपुर टांडा, सूरापुर, सद्दरपुर, मखदूमनगर, इल्तिफातगंज, बसखारी और किछौछा में बिना लाइसेंस के चल रहे मेडिकल स्टोरों की भरमार है। ज्ञात हो कि औषधि निरीक्षक द्वारा टीम के साथ निरन्तर मेडिकल स्टोरों की जहां जांच का क्रम चल रहा है और अभिलेखों की निगरानी तथा दवाआ की सैम्पुल लेकर प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। वहीं टांडा तहसील में संचालित दर्जनो मेडिकल स्टोर जिनके लाइसेंस नहीं है उनके विरूद्ध कोई कार्यवाही न होना इसे लेकर लोगों में तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि औषधि निरीक्षक और उनके कर्मचारियों को अवैध मेडिकल स्टोर नजर नहीं आ रहे हैं। जब कि बाजार की गलियों अथवा चौराहों पर चले जाइए यहां तक कि किराना की दुकानों पर भी दवाओं की बिक्री हो रही है। खुलेआम अवैध ऐसे मेडिकल स्टोरों पर मंहगे दामों पर दवाएं लोग बेच रहे हैं। लोगों का कहना है कि लाइसेंस लेने के लिए विभाग की गाइडलाइन है कि डी-फार्मा व बी-फार्मा की डिग्री अनिवार्य है लेकिन विभाग की जेब गर्म होने के बाद औषधि विभाग सारे नियम भूल जाता है। औषधि विभाग ने एक और खेल शुरू किया है जिस दवा का सेम्पुलिंग करना होता है दुकानदार से पहले जेब गर्म हो जाती है तब दुकानदार से औषधि निरीक्षक पूंछकर जिस दवा का बिल व बाउचर होता है उसी का सिम्पुल भरा जाता है। अब सोचिएं क्या कभी नकली दवाओं पर रोक लगेगी? क्या अवैध मेडिकल स्टोरो पर रोक लगेगी? बिना फार्मासिस्ट के चल रहे मेडिकल स्टोरों पर क्या कार्रवाई होगी? ये ऐसे सवाल है जिसका उत्तर जानने के लिए सभी बेताब है।