Ayodhya

मालीपुर में करोड़ों की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर आया फर्जीवाड़े का मामला

  • मालीपुर में करोड़ों की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर आया फर्जीवाड़े का मामला
  • तत्कालीन चकबंदी अधिकारी के आदेश का विभाग में नहीं है कोई सबूत
  • नवीन परती से लेकर तालाब की दर्जनों बीघा जमीन पर हो चुका है कब्जा
  • ग्रामीणों ने जांच अधिकारियों पर लगाये भूमाफियाओं से सौदेबाजी का आरोप
  • डीएम से लेकर शासन के होते आ रहे हैं आदेश फिर भी मामला जस का तस

अम्बेडकरनगर। तहसील जलालपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायत व बाजार मालीपुर में करोड़ों की सरकारी जमीनों के अवैध कब्जा मामले में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है जिसकी सच्चाई चकबंदी विभाग से एक अधिवक्ता द्वारा उपलब्ध कराये कागजात उजागर कर रहे हैं जबकि इस मामले में डीएम ने स्थानीय अधिकारियों को निर्देश भी दिया है बावजूद अपने दायित्व के निर्वहन से सभी कन्नी काट रहे हैं जिसके पीछे अवैध कब्जेदारों से सौदेबाजी अहम कारण बताया जा रहा है।

ज्ञात हो कि उक्त ग्राम पचांयत व बाजार में स्थित दर्जनां बीघा व सरकारी जमीन जिसमें तालाब भी है आदि को भूूमाफियाओं द्वारा सालों से कब्जा कर उसमें आलीशान इमारतें खड़ी कर ली गयी हैं जो अवशेष है वह भी इन्हीं लोगों में कोई बाउन्ड्रीवाल तो कोई खेती कर रहा है। जबकि राजस्व अभिलेख में ऐसी जमीनें सरकारी खाते में मौजूदा भी दर्ज हैं।

इस तरह की जमीनों को दशकों पूर्व से ही भूमाफिया इनके फर्जी इकरारनामा आदि के कागजात दिखाते आ रहे हैं जो भूमाफियाओं के लिए यह कवच बना है। आइए हम कुछ नजीर देते हैं जैसे गाटा संख्या-857 रकबा लगभग साढे़ छः बिस्वा यह मॉडल शाप (उचित दर विक्रेता गोदाम) के लिए चयनित है। इसमें पंचराम यादव जो भूमाफिया प्रवृत्ति का है, के द्वारा कब्जा किया गया था। ग्रामीणों के काफी प्रयास के बाद तत्कालीन एसडीएम ने लेखपाल,कानूनगो व पुलिस के साथ स्थलीय पैमाइश कराकर खाली करने का निर्देश दिया लेकिन लेखपाल की मिलीभगत व भ्रष्टाचार से अभी तक अधिकांश जमीन उसी के कब्जें में है।

महज दो बिस्वा में निर्माण चल रहा है। गाटा संख्या-865 रकबा 0.316 हेक्टेयर है। इसमें अनिल, मनोज व संतोष कुमार पुत्रगण राजेन्द्र प्रसाद के अलावा अन्य लोग कब्जा कर भवन का निर्माण व खेती कर रहे हैं। गाटा संख्या-860 जो प्राथमिक विद्यालय के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज है। इसमें भी इन्हीं लोगों ने कब्जा किया है। इसके अलावा कई अन्य गाटे जो नवीन परती व तालाब की जमीन है जिनके रकबा दर्जनों बीघा बताया जा रहा है, पर भूमाफिया कब्जा कर चुके हैं। इन सभी जमीनों को कब्जा करने में इकरारनामा (इजाजतनामा) का सहारा लिया गया है।

इसे लेकर वर्तमान प्रधान द्वारा निरन्तर शिकायतें की जा रही हैं किन्तु जो भी शासन स्तर से जांच के आदेश आ रहे हैं वह अधिकारियों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के चलते सिमट कर रह जा रहा है। इजाजतनामा के बारें में एक मुअक्किल द्वारा अपने अधिवक्ता के जरिए जांच करायी गयी तो बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा उभरकर सामने आया है।

 

नजीर के तौर पर देखा जाए तो गाटा संख्या-865 व 860 के बारें में जिसके लिए भूमाफिया तत्कालीन चकबंदी अधिकारी के आदेश का हवाला देते फिर रहे हैं,सच्चाई सामने आयी है। चकबंदी विभाग के 24 मई 2023 की जो नकल अधिवक्ता ने उपलब्ध कराया है। उसमें साफ लिखा है कि इस तरह का कोई आदेश विभाग से निर्गत नहीं है और गोशवारा में दर्ज भी नहीं है। उल्लेखनीय है कि इन गाटों के लिए तहसीलदार न्यायालय से 67/1 बेदखली जैसी कार्यवाही का आदेश भी हो चुका है फिर भी कोई अधिकारी व कर्मचारी अपने दायित्व का निवर्हन करना उचित नहीं समझ रहे हैं

। मामले को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि भले ही सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा भूमाफियाओं के विरूद्ध अभियान चलाया जा रहा है किन्तु उक्त तहसील की इस ग्राम पंचायत में कोई असर नहीं है जिसका मुख्य कारण है कि सभी भूमाफियाओं से सौदेबाजी करने में जुटे हैं। लोगों का कहना है कि चाहे राम जानकी मंदिर के निकट स्थित तालाब हो जिसमें 6 दर्जन से अधिक जिसमें अधिकांश लोग जो गैर जनपद के रहने वाले है,के द्वारा अवैध कब्जा हो अथवा अन्य सरकारी जमीनें जिसे भूमाफियाओं ने कब्जा किया है यह राजस्व महकमा के लिए दुधारू गाय बनें हैं। इन अधिकारियों व कर्मचारियों को डीएम से लेकर सीएम के आदेश कोई मायना नहीं रखता है, बेखौफ अपनी मंशा में कामयाब हो रहे हैं।

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