पशुशालाओं की व्यवस्था के बावजूद भी छुट्टा जानवरों से किसानों को नहीं मिल पा रही है निजात
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फसलों की रखवाली के लिए रात्रि-दिन खेतों का चक्कर लगाने को मजबूर है अन्नदाता
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पशुशालाओं में जानवरों के नाम पर घोटाला करने में जुटे हैं गाँवों के प्रधान और सचिव
अम्बेडकरनगर। तहसील जलालपुर क्षेत्र के किसान छुट्टा जानवरों से परेशान है। पशु आश्रयों का निर्माण व व्यवस्था करायी गयी है किन्तु सम्बंधित ग्राम पंचायतों के प्रधान व सचिवों के भ्रष्टाचार से उन्हें राहत नहीं मिल रही है जब कि सरकार द्वारा निरन्तर किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेने का आदेश निर्गत हो रहा है किन्तु अवैध कमाई की होड़ के चलते सभी चुनौती दे रहे हैं।
ज्ञात हो कि यूपी में पूर्ववर्ती सपा और बसपा की सरकारों में गोवंशों की बेखौफ तस्करी हो रही थी जिसके विरोध भी हो रहे थे किन्तु तत्कालीन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था जैसे ही भाजपा की सरकार आयी और मुख्यमंत्री के पद पर योगी आदित्यनाथ आसीन हुए उनके द्वारा गोवंशों की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए स्लाटर हाउसों को बंद कराया गया और सड़कों पर तस्करों के वाहनों की जांच में तेजी लायी गयी। इसके बाद छुट्टा जानवर (गोवंशों) की सुरक्षा के लिए पशुशालाओं के निर्माण और वहां पर चारा-पानी की व्यवस्था के लिए भारी भरकम बजट अवमुक्त किया गया। जिसकी जिम्मेदारी प्रधानों व सचिवों को सौंपी गयी किन्तु इनके भ्रष्टाचार से सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है। सड़कों को लेकर खेत खलिहानों में छुट्टा जानवर घूमते नजर आ रहे हैं। इधर धान की फसल के बाद किसान जिन्हें अन्नदाता कहा जाता है उनके द्वारा चना,मटर,सरसों,आलू व अन्य फसलां की बुआई की जा रही है। जैसे ही खेतों में हरियाली हो रही है ये छुट्टा जानवर सफाया करने में लग गये हैं। पशु शालाओं की व्यवस्था होने के बावजूद भी छुट्टा जानवरों को किसानों को राहत नहीं मिल रही है। जिले के तहसील जलालपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को लिया जाए तो न्याय पंचायत स्तर पर पशुशालाओं के निर्माण और व्यवस्था है जहां छुट्टा जानवरों की देख-रेख में सफाई कर्मी तैनात है। छुट्टा जानवरों के आहार के लिए जो बजट महीने में मिल रहा है। उसके अनुसार प्रधान व सचिवों को खरीददारी और कर्मचारियों के जरिये छुट्टा जानवरों को खिलाने हैं किन्तु इसमें खूब गड़बड़ी हो रही है। प्रधान व सचिवों द्वारा पशु शालाओं में जो छुट्टा जानवर है उससे अधिक के दिखाकर घोटाला किया जा रहा है। इस घोटाले में पशु विभाग के डॉक्टर भी शामिल हैं। इन सभी के भ्रष्टाचार से किसानों को छुट्टा जानवरों से राहत नहीं मिल पा रही है उन्हें अभी फसल तैयार नहीं है बीज अंकुरित हो रहे हैं, रखवाली में किसानों की नींद हराम हो गयी है। छुट्टा जानवर जैसे ही मौका पर रहे है बोई फसल में दौड़ लगाकर तहस नहस कर दे रहे हैं। किसानों द्वारा सरकार के जो टोल फ्री नम्बर है उस पर काल किये जा रहे हैं, उसमें भी प्रधान व सचिवों द्वारा झूंठी रिर्पोट भेजकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर रहे हैं जिससे कहा जा सकता है कि प्रधानों और सचिवों के भ्रष्टाचार से सरकार की छवि धूमिल हो रही है।