तहसील टाण्डा क्षेत्र में चल रहा है अवैध गांजा व पटाखा बिक्री का कारोबार
टांडा,अम्बेडकरनगर। दुकान भांग की और बिक्री गांजा की यह खेल टांडा तहसील व आस-पास के क्षेत्र में फल-फूल रहा है। जब इस गोरखधंधे की पड़ताल की तो आबकारी और पुलिस की मिलीभगत की पोल खुल गई। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल में आवंटित भांग की दुकानों की आड़ में प्रतिबंधित मादक पदार्थो की बिक्री का खेल खुलेआम हो रहा है। दुकान पर पहुंचते ही दुकानदार या उसके आस-पास मंडराने वाला शख्स यही पूछता है कि क्या चाहिए। इशारा साफ रहता है, उपभोक्ता को केवल ‘माल‘ कहने की जरूरत है और फिर पुड़िया हाजिर। इस साल क्षेत्र मे भारी भरकम धनराशि में भांग का ठेका हुआ है। लेकिन वहां गांजा बिक्री के जरिए मोटी कमाई की जा रही है। तमाम दुकानें ऐसी भी हैं जहां से भांग की लाइसेंस फीस भी नहीं निकल पाती। लिहाजा वहां का ठेकेदार गांजा बिक्री की राह पर चल पड़ता है। मजेदार बात यह भी है कि आबकारी नियम के अनुसार कोई भी भांग की दुकान गुमटी में नहीं चलनी चाहिए किंतु करीब 60 से 70 फीसदी दुकान गुमटियों में ही चल रही हैं। जहां किसी तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा है। ऐसे में तमाम अनुज्ञापी आबकारी विभाग के नियमों को दरकिनार कर अपनी ‘दुकान‘ चला रहे हैं। सबसे बुरी हालत टांडा नगर क्षेत्र की है भांग की लाइसेंस लेने वाला कहता है कि सबको पैसा देता हूं मेरा कोई क्या कर लेगा ? गांजा तीन किस्मों की मांग ज्यादा गांजा दुकानदारों के मुताबिक तीन प्रकार के गांजे की बिक्री इस समय खूब हो रही है। इसमें बिहार, मणिपुर और असमिया गांजा शामिल है। जानकारी के बावजूद सभी धृतराष्ट्र बने हुए है। पटाखे की दुकान पर छापा, लेकिन भांग की दुकानों पर क्यो नहीं पड़ता छापा टांडा के प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस पटाखे की दुकानो पर खोज खोज कर छापा मारते है लेकिन भांग की दुकानो को नहीं चेक करते जहां गांजा भयंकर बिक रहा है। क्या ये गांजा बेचने वाले रिश्तेदार लगते है।