Ayodhya

डॉ. धर्मेंद्र के कुशल चुनाव प्रबंधन से 33 साल बाद कटेहरी में भाजपाइयों को जगी कमल खिलने की आस

  • चुनावों में प्रत्याशियों के चयन में गड़बड़ी होने से मिलती रही है पार्टी को असफलता

  • इस बार चुनाव प्रभारी डॉ. धर्मेंद्र के कुशल रणनीति से परिणाम पक्ष में आने की लोगों में जगी उम्मीद

अंबेडकरनगर। चुनावी दृष्टिकोण से भाजपा के लिए बंजर भूमि साबित होता है। 1991 के राम लहर में भारतीय जनता पार्टी कटेहरी और आलापुर विधानसभा में ही कमल खिला पाई थी जबकि उसके लोकसभा प्रत्याशी बेचन राम को जबरदस्ती चुनाव में 56 वोटों से हरा दिया गया था 1996 के चुनाव में भाजपा को केवल जलालपुर विधानसभा में सफलता मिली थी उसके उपरांत 2014 के मोदी लहर में लोकसभा सीट पर बीजेपी का प्रत्याशी पहली बार सफलता प्राप्त कर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचा था 2017 में भाजपा की सुनामी होने के बावजूद प्रत्याशियों का सही चयन न होने के कारण बीजेपी को टांडा और आलापुर ही में विजय मिल पाई थी और अकबरपुर नगर पालिका परिषद पर भी भाजपा का परचम लहराया था इसका श्रेय भाजपा जिलाध्यक्ष शिवनायक वर्मा को जाता है उनके पद से हटने के बाद दिल्ली और लखनऊ में सरकार तो बनी लेकिन भाजपा के लिए सूखा साबित ही रहा। नाम न छापने के शर्त पर कई भाजपाइयों का कहना है कि विपक्ष की मर्जी से यहां प्रत्याशी होने के कारण चुनाव में भाजपा हारती रहती थी लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह विधानसभा उपचुनाव प्रभारी के रूप में विगत कई महीनों से विधानसभा और संगठन का सही आकलन कर ऐसा खाका तैयार किया जिसके आधार पर तीन बार के विधायक रहे पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाया गया जिसका परिणाम था कि विपक्षी दल अपने षड्यंत्र के पहले पायदान पर ही फेल हो गया और भाजपा के साथ-साथ क्षेत्र की जनता में उत्साह की लहर फैली जो चुनाव में बवंडर बनकर पूरे कटेहरी में फैल गई जिसमें पड़ोसी जनपद के विधानसभा गोशाईगंज के पूर्व विधायक इन्द्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू का भी काफी योगदान है। मजेदार बात यह है लोकसभा के चुनाव में जिस तरह से वर्तमान सांसद और सपा प्रत्याशी ने साजिश रच कर प्रशासन के साथ-साथ बीजेपी को गुमराह करते हुए जनता के बीच इमोशनल ड्रामा के माध्यम से सहानुभूति प्राप्त की थी वह इस बार चुनाव प्रभारी डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह के कुशलता के कारण असफल रहा जानकारों का तो यह भी कहना है कि बीएसपी के जो नेता गण वर्तमान में साइकिल पर सवार होकर पूरे प्रदेश और देश में अपने आप को अजेय बने हुए है सब के सब बीजेपी प्रत्याशी चयन में हुई चूक के परिणाम है देखा जाए तो जमीनी स्तर पर भाजपा यहां सुखा होने के बावजूद भी इसका संगठन काफी मजबूत है लेकिन गणेश परिक्रमा की प्रचलन के कारण मेहनत न करने वाले नेताओं का प्रभाव बढ़ने के कारण भारतीय जनता पार्टी यहां चुनाव के समय हसिया पर चला जाया करता था जिसका परिणाम रहा की पार्टी के मूल कार्यकर्ता हताशा के शिकार बन चुके थे क्योंकि मौसमी और फसली नेताओं का संगठन पर कब्जा हो चुका हैं जिससे ऊपर गलत रिपोर्टिंग के कारण प्रत्याशी का चयन गड़बड़ हो जाया करता था लेकिन यह सुअवसर ही कहा जाएगा कि सपा विधायक लालजी वर्मा के सांसद चुने जाने के कारण कटेहरी विधानसभा की रिक्त हुई सीट के उपचुनाव का प्रभारी डॉ. धर्मेंद्र सिंह को बनाया गया जो गांव-गांव शक्ति केंद्र शह संपर्क करके यहां की भौगोलिक सांगठनिक स्थिति का सही आकलन कर उपचुनाव में बहुत ही सुंदर प्रबंधन का खाका बनाया जिसका प्रणाम था कि विपक्षी अपनी ही बनाए व्यूह में फंस कर रह गए जिसके कारण भाजपा कार्यकर्ता पूरे उत्साह के साथ चुनाव प्रचार में जुटा साथ ही साथ गोरखपुर क्षेत्र के विधायक और संगठन के नेताओं ने इस तरह से यहां के कार्यकर्ताओं के साथ घुल मिलकर सघन जनसंपर्क चलाया जिसका परिणाम था की पार्टी कार्यकर्ताओं में व्याप्त हताशा और निराशा दूर हो गई और कमल खिलने का आस 33 साल बाद भाजपाइयों को कटेहरी में आभास हो रहा है। परिणाम अभी ईबीयम मशीन में बंद है लेकिन जन चर्चा कुछ ऐसा ही है। चुनाव परिणाम के बारे में जब दूरभाष पर डॉक्टर धर्मेंद्र से जानकारी किया गया तो उन्होंने कहा सुन तो मैं भी रहा हूं की भाजपा प्रत्याशी जीत रहा है लेकिन जब तक मतगणना न संपन्न हो जाए कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।

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