Ayodhya

NR मंडल में सुपरवाइजर स्तर के कर्मचारियों के स्थानांतरण में रेलवे बोर्ड का आदेश बेअसर

 

लखनऊ। रेलवे मंत्रालय रेलवे बोर्ड ने सभी रेलवे जोनों में एक सर्कुलर जारी किया है कि कोई भी सुपरवाइजर स्तर का कर्मचारी जो अधिकारी के आफिसों में लगे हैं। तीन वर्ष से अधिक एक स्थान पर नियुक्त नहीं होंगे और इसका क्रियान्वयन हर हाल में तीस अप्रैल तक लागू हो ताकि विभाग में भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके,लेकिन उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में तो उल्टी गंगा बह रही है और यहां वही होता है जिसे यूनियन के एक चर्चित नेता जो कर्मचारियों का मसीहा बताते हैं उनके इशारे पर ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल होता है तथा जो अधिकारी इसका विरोध करता है तो उसके खिलाफ मुर्दाबाद का नारा लगना शुरू हो जाता है।रेलवे के एक रिटायर्ड स्टेशन अधीक्षक ने बताया कि लखनऊ मंडल में हमेशा से चर्चित कर्मचारी यूनियन के एक कद्दावर नेता का स्थानांतरित आदेश को रद्द कराने में अहम भूमिका रहती है जिस कारण एक ही स्थान या स्टेशन पर लम्बे समय से जमें रेल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है और ये सब भ्रष्टाचार में लिप्त होकर सरकार को जीरो टालरेंस नीतियों को ठेंगा दिखा रहे हैं।इसके लिए यह आवश्यक है कि स्थानांतरित आदेश होते ही संबंधित सीबीएस, सीपीएस,सीजीएस, स्टेशन अधीक्षक और स्टेशन निदेशक तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों को स्पेयर करें यदि ये लोग प्रशासनिक आदेश को कार्यान्वित करने में विलम्ब करते हैं तो इनके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए और यूनियन नेताओं के प्रभाव से स्थानांतरित आदेश के रद्द होने की स्थिति में इन्हें ही दोषी माना जाना चाहिए। स्थानांतरित आदेश का बार बार रद्द होना प्रशासनिक व संबंधित विभाग की स्थानांतरित नीतियों के प्रभाव शाली बनाए रखने में एक अवरोध है मंडल प्रशासन को इस पर मंथन करना चाहिए और भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण बनाने में तटस्थ रहे।लखनऊ मंडल के दर्जनों भुक्तभोगी रेलवे कर्मचारियों ने बताया कि लगभग दो हफ्ते पहले रेलवे बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया है कि कोई भी सुपरवाइजर तीन वर्ष से अधिक न रहे जबकि ये पुराना नियम बताया जाता है लेकिन अभी तक समाचार प्रेषण तक वाराणसी एवं लखनऊ स्टेशन पर वर्षों से जमें सुपरवाइजर स्तर के कर्मचारियों को स्पेयर नहीं किये गये थे और ये सब यूनियन के नेताओं एवं अधिकारियों के चौखट पर दस्तखत दे रहे हैं।सबसे मजे की बात तो ये है कि मंडल में सबसे तेज तर्रार वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी अमित पांडेय जबसे आये हैं तभी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगना शुरू हो गया लेकिन क्या ये सफल हो पायेंगे। सूत्रों ने बताया कि इनके खिलाफ भी यूनियन के नेता मुर्दाबाद का नारा वर्षों पहले लगा चुके हैं। हालांकि कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो लखनऊ मंडल में चर्चा का विषय बन गया है मैकेनिकल विभाग के तीन लोको पायलट राकेश कुमार गुप्ता,डीपी सिंह,नीरज कुमार एन एल ये तीनों रेलकर्मी जिनकी नियुक्ति सुल्तानपुर लोकोलाबी में है शटिंग के लिए जौनपुर गये तीन चार वर्ष से लौटकर नहीं आये अपने मुख्यालय और इस बीच अयोध्या कैंट लाबी ने अपना शंटर नियुक्त भी कर दिया। सूत्रों ने बताया कि ये तीनों लोको पायलट अभी तक लगभग डेढ़ करोड़ का चूना लगा चुके हैं रेलवे को सबसे मजे की बात तो ये है कि इन तीनों कर्मियों ने लगभग तीन वर्ष से सीएमएस पर साईन आन एवं साईनआफ भी नहीं किया है कभी ।गजब का है भ्रष्टाचार,इसके बाद मुख्य हित निरीक्षक परीक्षा जो विगत 2019 से इस लिए लटकी हुई है कि निष्पक्ष ढंग से परीक्षा संपन्न नहीं हो पा रही है इसके अलावा जेई की परीक्षा भी दो बार नोटीफिकेशन होने के बाद रद्द हो चुकी है और टीसी की परीक्षा हुई जिसमें कुछ कर्मचारी तो प्रशिक्षण करके लौट आये और कुछ तो बैठे हैं अभी भी प्रशिक्षण के इंतजार में आखिर क्यों। चारबाग स्टेशन वाराणसी स्टेशन पर तो कुछ ऐसे स्टेशन अधीक्षक, डिप्टी स्टेशन अधीक्षक स्टेशन मास्टर हैं जो वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं लेकिन परिचालन विभाग के अधिकारी चुप्पी साध रखे हैं सुल्तानपुर स्टेशन अधीक्षक चार वर्षों से अधिक एक ही स्थान पर जमा हुआ है कोई नियम कानून नहीं है अकबरपुर में वाणिज्य विभाग में एक यूनियन का डेलीगेट चार वर्षों से अधिक आरक्षण लिपिक पद पर लगा हुआ है जबकि उस पर गंभीर आरोप भी लग चुका है लेकिन उसका बालबांका भी नहीं हुआ। वाराणसी में एक सीआईटी सीटीआई है उसका दो बार तबादला हुआ लेकिन बालबांका नहीं हुआ क्यों।

 

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