Ayodhya

NR मंडल के सभी स्टेशनों पर हो रही है पानी बोतल की कालाबाजारी, प्यास बुझाने में खरीदने को यात्री मजबूर

 

लखनऊ। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में रेलमंत्रालय जहां करोड़ों रुपए खर्च करके सभी स्टेशनों का नवीनीकरण करने का कार्य जोरों पर चल रहा है या चल चुका है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे स्टेशनों पर वो स्थिति है कि ट्रेन आने पर यात्रियों को महंगे दामों पर पानी का बोतल खरीदना पड़ता है और प्लेटफॉर्म पर लगे पानी का टोंटी केवल शोपीस बनकर रह गये हैं यहां तक कि पक्षी एवं बंदर तक पानी पीने के लिए तरस रहे हैं और दूसरी तरफ अयोध्या जैसे वीआईपी स्टेशन पर खुलेआम अराजक तत्वों द्बारा स्नान किया जाता है और गंदगी फैलायी जा रही है तथा संबंधित रेलवे अधिकारी एवं कर्मचारी टीए डीए बनाने तक सीमित रह गये हैं। सूत्रों की मानें तो दरिया बाद से सोहावल रूदौली, सलारपुर,गोशाईंगंज, अकबरपुर, मालीपुर बिलवाई, जाफरगंज से लेकर जफराबाद आदि स्टेशन पर जितने भी टोंटी लगे हैं कुछ स्टेशन को छोड़कर तो पानी नहीं निकलता बल्कि शोपीस बनकर दिखाई देरहे हैं अकबरपुर, शाहगंज, कुछ ऐसे स्टेशन हैं जहां ट्रेन आते ही पानी की सप्लाई बंद कर दी जाती है इसलिए कि जिससे मजबूर होकर आम यात्री बीस रुपये में डुप्लीकेट पानी की बोतल खरीदें। सबसे मजे की बात तो ये है कि किसी भी स्टेशन पर रेलनीर की बोतल नदारत मिलेगी बिलसरी एवं बिसलरी जैसे डुप्लीकेट पानी की बोतल धड़ल्ले से अवैध रूप से बेंचा जा रहा है। अकबरपुर स्टेशन की स्थिति सबसे खराब हैं यहा आरपीएफ एवं जी आरपी खुलेआम संरक्षण में पानी का अवैध व्यापार कराया जा रहा है और जब कोई जांच ऊपर से आती है तो ये सब पहले ही इन पानी माफियाओं को सूचना दे देते हैं और यही स्थिति प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, जंघई जैसे स्टेशन पर भी है। बताया तो यहां तक जाता है इसका सरगना प्रतापगढ का एक पानी माफिया है जिसके गुर्गे खुलेआम बोरों में डुप्लीकेट पानी की बोतलें लखनऊ तक आती जाती ट्रेनों में बेंचते हैं और बाराबंकी लखनऊ दिलकुशा के पास ट्रेन खड़ी होते ही गायब हो जाते हैं। सूत्रों के अनुसार मंडल के कुछ ऐसे मुख्य वाणिज्य निरीक्षक हैं जो केवल दिन भर अधिकारियों की जी हुजूरी करने में लगे रहते हैं एक सीएम आई तो ऐसा है जिस पर घोटाला का आरोप भी लग चुका है लेकिन उसका आज तक बाल बांका नहीं हो सका।इस संबंध एक ईमानदार एवं तेज तर्रार सीएम आई से जब इस संबंध में पूंछा गया तो नाम न छापने की आग्रह पर बताया कि जानबूझकर रेलनीर की बोतल रेलवे अधिकारी नहीं बिकवाते क्यों कि उसका रेट केवल पंद्रह रुपए प्रति बोतल है और कमीशनखोरी नहीं हो पाती। उन्होंने बताया कि इसकी जिम्मेदारी आई आरटीसी एवं रेलवे के अधिकारी की देख रेख में होता है।

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