10 दिनों से चली आ रही अधिवक्ताओं की हड़ताल आज भी रही जारी, कोई भी न्यायिक कार्य नहीं हो सका संपन्न

भीटी अंबेडकर नगर। भीटी तहसील में 10 दिनों से चली आ रही अधिवक्ताओं की हड़ताल आज भी जारी रही जिससे कोई भी न्यायिक कार्य संपन्न नहीं हो सका इससे वादकारियों में लगातार आक्रोश गहराता जा रहा है। न्यायिक कार्य ना होने से उप जिलाधिकारी सुनील कुमार भी काफी परेशान दिखे उन्होंने इसके लिए बार एसोसिएशन भीटी के अध्यक्ष को पत्र भी लिखा।
बार एसोसिएशन भीटी को लिखे गए पत्र में माननीय उच्च न्यायालय /माननीय राजस्व परिषद द्वारा दी गई विधि व्यवस्था का उदाहरण देते हुए इस पत्र की प्रतियां अध्यक्ष बार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश प्रयागराज इलाहाबाद को जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय अंबेडकरनगर को जिलाधिकारी महोदय अंबेडकरनगर को अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन अंबेडकर नगर और तहसीलदार भीटी नायब तहसीलदार भीटी/ कटेहरी को भेजी गयी है।
उप जिलाधिकारी भीटी सुनील कुमार के द्वारा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष महामंत्री पूर्व अध्यक्ष के साथ लंबी बैठक करके भी समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया गया है लेकिन समाचार प्रेषण तक कोई निर्णय नहीं हो पाया था उल्लेखनीय है कि बार एसोसिएशन भीटी के अधिवक्ता अकबरपुर तहसील में कुछ पत्रावली को भेजे जाने से नाराज चल रहे हैं और इन्हीं कारणों से विगत 10 दिनों से लगातार हड़ताल चल रही है.
पत्रावली के बारे में बताते हुए तहसीलदार भीटी सुनील कुमार ने बताया उनका न्यायालय एक दिन अकबरपुर में चलता था जहां कुल 99 मुकदमे विचाराधीन थे और उसमें से लगभग 3 दर्जन मुकदमें भीटी तहसील से संबंधित थे।उसमें भीटी के अधिवक्ता वकालत नहीं करते थे और शासन के आदेश से सारी पत्रावली अकबरपुर तहसील को हस्तांतरित कर दी गई। जिसके कारण भीटी के अधिवक्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल किए हुए हैं और इन अधिवक्ताओं ने तहसीलदार भीटी सुनील कुमार के पेशकार आशुतोष श्रीवास्तव के तबादले की मांग की है.
अधिवक्ताओं का कहना है कि वह अपने मनमाफिक तारीख दे रहे हैं जबकि पेशकार का कहना है की तारीख देने का कार्य न्यायालय का है और जिस मुकदमे की जैसी स्थिति होती है उसी हिसाब से तारीख लगाई जाती है लेकिन कुछ अधिवक्ता जबरन तारीख लगवाना चाहते हैं जिस कारण उनसे नाराज हो गए लेकिन इन सभी समस्याओं और लड़ाइयों के बीच बेगुनाह वादकारी परेशान हो रहे हैं.
सुबह से लेकर शाम तक बैठे रहते हैं 2:00 बजे 3:00 बजे तारीख लगाई जाती है और उसके बाद हताश और निराश होकर अपने घर वापस लौट आते है। और बेईमान पक्ष खुश हो जाता है पीड़ितों के साथ न्याय कब होगा कैसे होगा इसका फैसला माननीय उच्च न्यायालय और माननीय उच्चतम न्यायालय को ही करना होगा तभी पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा।